Idol of lord Ram

रामद्रोही ! विषैले प्राणी !!

राहुल गाँधी तो जब भी विदेश जाते हैं, देश के खिलाफ विषवमन करके ही आते है। आज चोट खाई गेहुँअन की भाँति अरफ़ा खानम के जहरीले विचार बीबीसी द्वारा प्रसारित हो रहे थे। किसी भी हिन्दुस्तानी खास कर हिन्दुओं के लिए वक्तव्य अत्यंत दुखदायी हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस्लाम की वकालत करने वाली इस औरत ने देश के प्रति, हिन्दू धर्म के प्रति, हिन्दुओं के प्रति एवं सभी धर्म के नागरिकों के प्रति बिना भेदभाव के कर्तव्यरत मोदीजी के प्रति निरन्तर विषवमन कर, अपने ही घृणित चरित्र का परिचय दिया है। ये औरत जिसे तीन-तलाक, मुस्लिम स्त्रियों के बाल-निकाह, मुताह निकाह कभी नाजायज नहीं लगे, जो सभी जगह इस्लाम का प्रचार कर सदैव इस्लामियों के सारे कुकृत्यों को जायज ठहराने की वकालत करती है, जिसे चर्च और मंदिरों का तोड़ा जाना कभी अवैध नहीं लगा, जिसे हाल में ही दस हजार साल पुराने हिंगलाज भवानी मंदिर का पाकिस्तान के द्वारा तोड़ा जाना अवैध नहीं लगा उसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद रामजन्म भूमि पर अवैध रूप से बने बाबरी मस्जिद के टूटने एवं राममंदिर के निर्माण से कष्ट हो रहा है। (बाबरी अकबर का नाबालिग रखैल लड़का था कोई फ़कीर या औरत नहीं)

लानत है ऐसी गिरी हुई औरत पर जो देश के सहनशील सनातनी हिन्दुओं एवं मोदी के प्रति जहरीली विरोधी भावनाओं से भरी हुई है। यद्यपि कुरान पढ़ने वालों के दिमाग में अन्य धर्मों के प्रति घृणा ही भरा होता, शायद इसीलिए यह औरत भी अपने ही देश के प्रति रामजी के प्राण - प्रतिष्ठा के दिन विषवमन कर अपनी गद्दारी का परिचय देते हुए, उदारवादी ज्ञानी मुस्लिम नागरिकों को शर्मिंदा कर रही है। काश ! इसे समझ आता कि इस्लामी लुटेरों के आने से पहले यहाँ सिर्फ सनातनी हिन्दू ही थे। वैदिक ज्ञान एवं कर्मकाण्डों का पालन करते हुए अपना जीवन यापन करना ही यहाँ की सभ्यता रही है। जातिगत भेदभाव का विरोध करने वाले एवं सर्वोदय में विश्वास रखने वाले सार्वजनिक उत्थान के लिए सक्रीय रहने वाले हमारे भगवान राम-कृष्ण ही नहीं, गौतम बुद्ध, गुरु नानक, महात्मा बश्वेश्वर जैसे अनेकों व्यक्तित्व गाँधी जी एवं संविधान के जनक कहे जाने वाले आंबेडकर के आने से बहुत पहले ही विश्व-विख्यात थे। जातिगत दलगत भावनाओं के साथ स्त्रियों को समाज में दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का पाप घुसपैठिये राक्षसी प्रवृति के इस्लामी दरिंदों तथा धूर्त अंग्रजो के आगमन के कारण ही भारतीय समाज में प्रेषित हुए थे।

भारत में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाले किसी भी व्यक्ति को यह याद रखने की आवश्यकता है कि भोले एवं उदारवादी हिन्दुओं को अलग करने, देश कमजोर करने के इरादों से कूटनीति के तहत छद्मियों द्वारा देश का बँटवारा धर्म के ही आधार पर हुआ था। पाकिस्तान को सेक्युलर तथा हिंदुस्तान हिन्दुओं के लिए बनाया गया था। धूर्त नेहरू-इंदिरा की दोगली नीति के कारण, इसेके संविधान में धोखे से (सेक्युलर) धर्म निरपेक्ष शब्द जोड़ा गया, जबकि भारतीय समाज सदैव धर्म सापेक्ष रहा है। अगर नेहरू-खान परिवार गाँधी उपाधि अपने नाम पीछे लगा , हिन्दुओं को निरंतर धोखा देने में सफल हो गए हैं तो यह जरूरी नहीं है कि वे सदा ही कामयाब ही होते रहेंगे। यह कड़वा सत्य है कि अपनी उदारवादी सोच, नीतियों एवं अज्ञानता के कारण हिन्दू सदैव दोगले नेताओं द्वारा प्रताड़ित रहे हैं एवं आज भी विदेशियों के हाथों के कठपुतले नेता हिन्दुओं की चेतना को दबाने प्रयास निरन्तर अनुचित तरीके से कर रहे हैं।

आज की पीढ़ी मुसलमानों को भी समझने की आवश्यकता है कि अत्याचारी इस्लामिक लुटेरे अपने साथ स्त्रियां ले कर नहीं आये थे। अपनी हवस की पूर्ति के लिए यहाँ के कमजोर परिवार की स्त्रियों को अगवा कर उन्हें हरम में बन्दी बना उनका शारीरिक शोषण करते थे। उन्हें हिन्दुओं एवं अपने ही सगे संबंधियों को मारने के एवज में पैसे, जमीन या जीने मोहलत मिलती थी। ज्यादातर मुस्लिम, उन्हीं औरतों की पैदाइश हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने जान बचाने के लिए, अर्थ या ओहदे की लालच के कारण इस्लाम स्वीकार कर लिया है। इनमें कुछ भी आध्यात्मिक, सामाजिक या राजनीतिक दृष्टिकोण से गर्व महसूस करने जैसा कुछ भी नहीं है। इस कटु सत्य को स्वीकार करने के लिए किसी प्रमाण की भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस तरह के कुकर्म इस्लाम में आज भी विद्यमान हैं। इसलिए यहाँ के मुसलमानों को इस्लामिक कुकृत्यों पर गर्व नहीं बल्कि इस्लामिक दरिंदों के कुकर्मों एवं स्वयँ के मजबूरी की पैदाइश पर शर्म महसूस करना चाहिए। यह दुःखद सत्य है कि जान बचाने की मज़बूरी के कारण ही उनके पूर्वजों को एवं उन्हें भी स्वधर्म से विलग होना पड़ा है। स्वधर्म का त्याग कर इस्लाम अपनाने के साथ ही इसमें निहित घृणा से परिपूर्ण तथ्यों को जीवन शैली में उतारना या उनकी पैरवी करना, उन्हीं दरिंदे आतताइयों की तरह इन्हें भी पापी एवं दरिंदे ही बनाते हैं। जन्नत की हूरों के लोभ में सनातनी सभ्य रचनात्मक संस्कृति को नष्ट करने वाले पृथ्वी को नरक बनाने के साथ पापी राक्षसों को तैयार कर पाप एव पापी-कृत्यों को ही बढ़ाते हैं। पाकिस्तान आज पापिस्तान एवं बांग्लादेश एक नंगा देश बन चुका है। वहाँ जिहादियों एवं वहाँ के सरकार द्वारा आये दिन मंदिरों को तोड़ने का कृत्य, राक्षसी राज्य को ही मजबूत कर रही है। हिन्दुओं की हत्याएं, प्रताड़ना, बालात धर्म परिवर्तन के अलावे सभी बर्बर कुकर्म इस्लाम के नाम पर इस्लामिक देशों में किये जाते हैं। जब मजहब में घृणित एवं पापपूर्ण कृत्य का ही बोलबाला हो तो वह पापी मजहबी लुटेरों की नियमावली कहला सकता है, धर्म या पाक मजहब कभी भी नहीं हो सकता है। भारत में भी पापी मजहब के समर्थक गेंहुअन साँप और बिच्छू प्रसिद्धि, वोट तथा सत्ता के लोभी भरे पड़े हैं। जो आने वाली पीढ़ी के बच्चों के भविष्य को नरक में धकेल रहे हैं।

आये दिनों मोदीविरोधी धूर्त समूह जो हो हल्ला मचाते रहते हैं, उन्हें भारत एवं इस्लामिक देशों में बहुसंख्यक मुस्लिम (बहुसंख्यक मणिपुर, केरल, तमिलनाडु में ईसाई) समाज के बीच प्रताड़ित हिन्दू नहीं दिखाई देते हैं। हिन्दुओं के मौलिक अधिकारों के हनन पर भी वामपंथी नेताओं एवं पत्रकारों की जुबान नहीं खुलती है न ही इनको दुःख ही होता है। हिंदुस्तान में अराजकता फैलाने वाली ताकतों के समर्थक पत्रकार एवं नेताओं को जय श्रीराम के नारे से, श्रीराम मंदिर बनने से कष्ट होता है परन्तु दिन में पाँच बार कर्णभेदी सियारों का हू... हू... हू... सुन कर एवं सरकारी जमीन पर मशरूम की तरह उठते अवैध मस्जिदों एवं चर्चों से, जिससे आम जनता परेशान रहती है कष्ट नहीं होता है। मोदीजी का मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए जाना इन्हें सेक्युलरिज्म का अपमान दिखता है लेकिन चर्च एवं मस्जिदों में पूर्व प्रधानमंत्रियों का जाना संसद भवन से अवकाश ले हामिद अंसारी का नमाज के लिए जाना इन्हे सेकुलरिज्म का अपमान नहीं लगा है। अपने ही देश के नेताओं, पत्रकारों, अदाकारों एवं विभिन्न पार्टी प्रवक्ताओं का ये दोगलापन आखिर कब तक चलता रहेगा?

भारत के मुसलमानों को ये स्वेच्छा से स्वीकार करना चाहिए कि बर्बर अत्याचारियों के प्रति आत्मसमर्पण एवं उनका गुणगान उनके ही नहीं बल्कि किसी के लिए भी हास्यप्रद एवं शर्मनाक है। समय की मज़बूरी चाहे उन्हें जहाँ ले गयी हो परन्तु अपने हिन्दू सनातनी पूर्वजों के प्रति उन्हें अभी भी गर्व एवं सम्मान की भावना होनी चाहिए क्यों कि उन्होंने किसी पापी कृत्य को कभी धर्म नहीं कहा है। मुस्लिम इस मिट्टी के सनातनियों के ही वंशज हैं यद्यपि लुटेरों ने उनके पूर्वजों की औरतों को अगवा कर उन्हें वर्णशंकर पैदा होने के लिए मजबूर किया, जिसे अस्वीकार करना उनके लिए भी असंभव है। परन्तु इन सच्चाइयों को ध्यान में रख कर भी इनके लिए हिन्दू सनातन धर्म का अपमान करना कहीं भी उचित नहीं है। सच्चाई तो यह है कि वैदिक संस्कृति को स्वीकार करना ही किसी भी मुस्लिम के लिए अपने सनातनी पूर्वजों को दी गयी सच्ची श्रद्धांजलि होती है न कि अत्यचारियों एवं आततायियोंके बताये गए कुमार्ग पर जाना।

हिन्दुओं का पूजा-पाठ करना यदि मुसलमानों या वामपंथियों को कष्ट दे रहा है तो यह उनकी मानसिक विकृति का परिचायक है। बर्बरता के उपासक राक्षसों को एवं उनके द्वारा पापी कुकृत्यों को जीवन में अपना कर स्वर्ग सी सूंदर भारतभूमि को इस्लामी राष्ट्रों की तरह पापियों एवं आतंकी राक्षसों का देश बनाने का दुष्परिणाम भी उनकी ही आगामी पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा। हिंदुस्तान में भी आये दिन गैरभाजपा राज्यों में मंदिरों का तोड़ा जाना, स्टालिन द्वारा राज्य में राम प्राणप्रतिष्ठा उत्सव के प्रसारण रोक लगाया जाना ( जिसे उच्च न्यायालय की फटकार के बाद सीमित रूप दिखाया गया है) अपने ही देश में हिंदुओं एवं हिन्दू धर्म का खुलेआम अपमान ही नहीं स्टालिन की मानसिक विकृति एवं ओछेपन का भी प्रतीक है। वामपंथी नेता, अरफा ऐसे पत्रकार भारत विरोधी विदेशियों के हाथों, कुछ ही सिक्कों में बिक जाने वाली कठपुतलियाँ हैं जिन्हें अफगानिस्तानी-तालिबानी अत्याचार या ईरान में बुर्का विरोध में उठी आवाज को दबाने के लिए की गई हत्याएँ भी उचित ही दिखाई देते हैं। स्टालिन ऐसे भारतीय ईसाई जिन्हें दो बोरी चावल के लिए या मार के डर से धर्म परिवर्तन करना पड़ा है ऐसी टोलियाँ जो पैसे ले, अन्य का धर्म परिवर्तित कराती हैं। ये लोग अपनी हीन भावनाओं से मुक्त नहीं हो पायी है। उदारवादी भावना भी उदात्त चरित्र वालों में ही पायी जाती है। लोभ से या डर से धर्म परिवर्तन करने वालों को अपनी वरीयता सदैव चुनौती भरी दिखाई देती है इसीलिए वे सदैव दूसरों को दबाने का प्रयास करते हैं। मुस्लिम लड़कों द्वारा नाबालिग लड़कियों का बलात्कार, इस्लाम के नाम पर हत्याएं आदि जघन्यतम पापी कृत्यों पर कभी मुँह नहीं खोलने वाले पत्रकार एवं वामपंथी नेताओं को एक बाबरी मस्जिद के टूटने पर एवं राममंदिर निर्माण पर निरंतर विषवमन की आवश्यकता आखिर क्यों होती है शायद इसलिए, क्योंकि अपनी नीचता का प्रकट होना उन्हें स्वीकार नहीं हैं।

ममता ऐसी औरत जो घुसपैठिये मुसलमानों के वोट से सत्ता में बनी है, वह हिन्दुओं का वोट पाने के लिए चंडीपाठ करने लगती है, हवा का रुख देखते हुए वह मुस्लिम को खुश करने के लिए अल्लाह की कसमें खाती है। गिरगिटी चाल वाले नेता यही साबित करते हैं कि देश एवं जनता की भावनाओं, उनके विकास या उत्थान से उन्हें कुछ भी लेना -देना नहीं है। उसे सिर्फ सत्ता का सुख भोगना है। ऐसे नेता या पत्रकार हिन्दूद्रोही, देशद्रोही एवं रामद्रोहियों के ही गिनती में आते है। राहुलासुर, अंटोनियो माइनो, खड़गे, स्टालिन, विजयन, खेजरीवाल, हेमंत सोरेन,लल्लू यादव एवं उसके कुपुत्रों के बारे में यही कहा जा सकता है कि ये लोग देश के बदनुमा कोढ़ हैं जो भारत को भारतीय संस्कृति को खाये जा रहे हैं। ऐसे विषैले जानवर तीन-तलाक, हलाला, मुस्लिम लड़कियों का बाल विवाह, परीक्षा हॉल में बुर्का धारण, वक्फबोर्ड द्वारा हिन्दुओं की जमीनों पर अवैध कब्जा आदि बुराइयों को स्वीकार कर इस्लामिक उम्माह में सहयोग देती हैं लेकिन इनको लाखों वर्ष, सदियों पुरानी वैदिक ज्ञान, सनातन हिन्दू संस्कृति के सम्मान में प्रधानमंत्री का हिन्दुओं कर बीच शामिल होना कष्ट देता है। समाजहित एव समाज उत्थान का कार्य करने वाले मोदीजी का राममय व्यक्तित्व, उनके लिए व्रत -पूजा सामान्य जनों के बीच घुल-मिल जाना, देश के जोंकों एवं अरफ़ा ऐसी कट्टर जिहादी पत्रकार को बीबीसी जाकर जहर उगलने के लिए बाध्य कर देता है। हैरानी तो बीबीसी वालों पर भी होती है कि वे अपने देश में इस्लामियों द्वारा प्रताड़ित होते बच्चों एवं बलत्कृत बच्चियों एवं स्त्रियों को न्याय एवं सुरक्षा न दे पाने के बावजूद ऐसी घृणित संस्कृति के प्रति उम्माह की इक्षुक स्त्री को आधार एवं सहयोग प्रदान करते हैं। क्या उन्हें यह भी पता नहीं है कि किसी भी इस्लामिक देश में ईसाई या कोई भी ग़ैरइस्लामियों को कभी भी बेवजह ही प्रताड़ित किया जाता है। किसी भी इस्लामिक देश में हिन्दुओं की तो छोड़ो, मुसलमानों को पुचकारने वाले ईसाईयों को भी धार्मिक या विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। पाश्चात्य उदारवादी गणतांत्रिक देशों में भी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में कोई ईसाई या गैर इस्लामिक औरतें एवं उनके बच्चे सुरक्षित नहीं हैं।

यद्यपि इस्लाम का उद्भव ही ढेर हज़ार साल पहले हुआ है। लूट-हत्या, बर्बरता, जहिलता के प्रसारण के साथ-साथ स्त्रियों को अगवा करना, हरम में बंदी बनाना, उसकी अस्मत लूटना ही इस्लाम का आधार रहा है। ज़बरन बेबस गरीबों को इस्लामी अधर्मी कुकृत्यों को स्वीकार करवाने के लिए दलाल सूफियों एवं मौलवियों का सहारा लेना पड़ा हैं। बवंडर की तरह ही ध्वंसात्मक गतिविधियों को अपनाते हुए ही इस्लाम को फैलाया गया है। सभी कुकर्मों के बेपर्द होने के बावजूद मुस्लिम इस्लाम को शांति का मजहब बताने की कोशिस करते हुए हास्यपद घृणित ही दिखते हैं। किसी भी गैर इस्लामियों के लिए इन्हें त्याग, सहिष्णुता, निर्माण, एवं विश्व बंधुत्व स्वीकार नहीं होता है। इसीलिए कुरान एवं हदीस में वर्णित तथ्यों के आधार पर कहा जाता है कि इस्लाम अधर्म का पर्याय है, जिसे पढ़ने एवं समझने की आवश्यकता प्रत्येक व्यक्ति को हैं। अधर्मी, चरित्रहीन, बलात्कारी, ध्वस्तीकरण के कर्म वाले, हत्यारे तलवार के बल पर अधर्म का विस्तार तो कर सकते हैं परंतु धर्म के विस्तार के लिए त्याग, उदारता, सतचरित्रता के साथ अन्य धार्मिक तत्वों का भी सम्मान किया जाना आवश्यक है।

एक ओर जहाँ राममंदिर निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव सकारात्मक प्रभावात्मक उत्सव के रूप में जन-जन को राममय कर रहा है वहीं आसुरी प्रवृत्तियों वाली दुरात्माओं ( ममता, स्टालिन, राहुलासुर, अंटोनियो माइनो, ओवैसी, अखिलेश, कट्टर बेईमान खेजरीवाल या लल्लू एवं लल्लू के कुपुत्रों ) को यह ऐतिहासिक पल अत्यंत कुपित कर रहा है। राम जो भगवान विष्णु के अवतार हैं, जिनके व्यक्तित्व का हर अंश अनुकरणीय है, पुरुषोत्तम चरित्र जो विलक्षण है, विश्वमानव के रूप में जो सर्वश्रेष्ठ हैं, जो प्रत्येक के लिए पूजनीय हैं, जो असुरों और राक्षसों का भी उद्धार कर उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं, दुश्मनों की पत्नियों का भी सम्मान करते हुए स्वयँ उनकी छाया से भी दूर रहते हैं, उनकी पूजा, प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री द्वारा किये जाने पर राक्षसी संस्कृति की उपासिका या उपासक एवं जिसका आराध्य ही राक्षस हो उसका हृदय दग्ध होना स्वाभाविक ही है। जगह-जगह रामद्रोही आसुरी शक्तियाँ एवं उनके असुर नेता उन्माद, तोड़-फोड़ एवं हिन्दूओं की राम शोभायात्रा पर घातक प्रहार कर देश भर में फसाद करवाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। मोदी चाहे कितना भी देश का विकास करें, इन घुसपैठिये रामद्रोहियों को मुफ्त घर, राशन, दवाइयां रोजगार दे दें परन्तु देशद्रोही, रामद्रोहियों का काम तो देश को, देश की सभ्यता-संस्कृति एवं हिन्दुओं की सम्पत्ति एवं जान-माल को बर्बाद करना ही है। वस्तुतः कहावतें यूँ ही नहीं बनी हैं कि साँप और बिच्छू को कितना भी प्यार से पालो बिच्छू डंक मारना और साँप दंश मारना एवं लकड़बग्घे जिंदा प्राणियों को घेर कर उन्हें जीते-जी खा जाने की आदत नहीं छोड़ते हैं। शेर भी लकड़बग्घों के कारण जंगल छोड़ देते हैं फिर जिहादी इस्लामिक लकड़बग्घों के बीच हिन्दू या कोई भी गैरइस्लामिक किसी भी देश में कैसे सुरक्षित हो सकता है?

Read More Articles ›


View Other Issues ›