shameless

थेथ्थर

थेथ्थर एक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग ग्रामीणों की मैथिली, अंगिका, मगही तथा भोजपुरी भाषाओं में अभी भीप्रचलित है। यह शब्द कब, कैसे और क्यों प्रयोग में आया ये अनुसंधान का विषय हो सकता है। फिलहाल सिर्फ इसके अर्थ और किस संदर्भों में इसका प्रयोग किया जाता है इसी विषय पर चर्चा करना चाहती हूँ। कहीं-कहीं 'थेथ्थर' शब्द के स्थान पर एड़ा, ढीठ, लतखोर, अकड़ू शब्दों का प्रयोग भी होता है परन्तु 'थेथ्थर' नामक विशेषण के समक्ष अन्य सभी अलंकरण फीके हो जाते हैं।

जब कोई बच्चा प्यार से समझाने पर नहीं समझता है तो उसे डाँट कर समझाया जाता है, इस पर भी न समझे तो उसे थप्पड़ लगाया जाता है, फिर भी न समझे तो अच्छी तरह से पीटा जाता है, लोगों के सामने भी लताड़ा जाता है, अन्य प्रकार की यातनायें भी दी जाती है ताकि बच्चा सही रास्ते पर आ जाये ! परन्तु कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जिनके साथ कुछ भी करो, प्यार, लताड़, मार, बेज्जती I न सुनते हैं, न समझना चाहते हैं, न ही सुधरना चाहते हैं, न उन्हें सुधारा जा सकता है। 'थेथ्थर' शब्द ऐसे चरित्र को चरितार्थ करते हैं। सभ्य व्यक्ति अपने चरित्र पर किसी भी प्रकार के दाग-धब्बे बर्दाश्त नहीं करते हैं, परन्तु चरित्रहीन एवं नंगे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें किसी की परवाह नहीं होती है।

भारतीय राजनेताओं में ऐसे ही थेथ्थर भरे पड़े हैं।

बेशर्मी और दोहरेपन की अतिशयता ऐसी है कि प्रचार-प्रसार के साधनों पर करोड़ों खर्च कर विज्ञापन दे कर हाथ जोड़ कर कभी कोविड-बेड, कभी ऑक्सीजन, कभी वैक्सिन आदि की माँग केंद्र-सरकार से कुछ इस तरह से करते हैं जैसे केंद्र सरकार उन्हें कुछ दे ही नहीं रही है जबकि सच्चाई यह है कि माँगने से पहले ही ये चीजें केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा चुकी होतीं हैं।राज्यों की सरकारें सुचारू ढंग से जीवन-रक्षक सामग्रियों का आवंटन करने में अपनी अकर्मण्यता के कारण असमर्थ होने के साथ-साथ घोटाले और काला बाजारी में लगी हुई है।

टोटी चोर जो कल तक वैक्सिन को बीजेपी का वैक्सिन कह लोगों को वैक्सिन न लगाने के लिए उकसा रहा था आज मोदी सरकार को महामारी में लोगों की मौत का जिम्मेदारठहराने की कोशिश कर रही है। महाराष्ट्र, पंजाब, केरल दिल्ली, झारखंड, बंगाल, राजस्थान में हज़ारों की तादाद में वेंटिलेटर खराब कर दिए गए हैं। महँगी दवाईयों को नहरों फेंक दिया गया है, वैक्सिन बर्बाद कर दिए गए हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर और बेड-आरक्षण की कालाबाजारी के लिए 'आप' पार्टी और कोंग्रेसियों के नेताओं ने अपने नुमाइंदों को लगा दिया गया है। पकड़े जाने के बावजूद भी इन दलों के मुखिया अपनी गन्दी, घटिया और दोहरेपन की राजनीतिक जालसाजी वाली हरकतों से बाज़ नहीं आती हैं। इस तरह की हरकतों में लिप्त कोंग्रेसियों और घटिया, धूर्त मानसिकता वाले विज्ञापनप्रेमी खुजलीवाल के कारनामों को थेथ्थरी ही कही जा सकती है।

ये वामपंथियों, लुटेरों, घोटालेबाजों, चोरों, डाकुओं से संपृक्त समूहों को भारतीयों की जिंदगी से कोई मतलब नहीं है। इन्हें गुस्सा सिर्फ इस बात का है कि मोदीजी उन्हें जी भर कर जनता की लाशों बिछाने और उन लाशों का राजनीतिक सौदा कर पॉकेट क्यों नहीं भरने देती है?

राहुलपप्पू, सोनियाँ, ममता, उद्धव या अन्य मोदी विरोधी नेता इसी थेथ्थरी रोग के शिकार हैं। कहीं भी किसी गरीब की सेवा में अपने कार्यकर्ताओं को लगाने के स्थान घटिया हरकतों को कार्यान्वित कर यह मोदी को असमर्थ और असफल साबित करने की कोशिश में लगे हैं। घटिया से घटिया दाँव-पेंच लगा, बेबस लोगों के मौत को राजीनीति का जरिया बना जेबें भरने की बेशर्मी भरी हरकतों से अपने-आप को नंगा कर रही है।

आम जनता के प्रति गुंडागर्दी, उन्हें धमकियाँ दे कर उन्हें केंद्र-प्रदत्त किसी भी प्रकार की सुविधा से वंचित कर, पैसे वसूली कर, ये कपटी भेड़िये, जेबें भरने का पाप करते हुए थेथ्थरपन के हद को पार कर चुकी है।

भोली-भाली, दुःखी, नासमझ को मौत के मुँह में ढकेल, ये गिद्ध 'वामपंथी मोदी विरोधी नेता' उनके परिवार के जिन्दा बचे बाकी लोगों में यह दुष्प्रचार करते हुए, जनता के दिमाग में यह भरने की जबरदस्त कोशिश कर रही है कि उनके परिवार के सदस्यों की मौत के जिम्मेदार मोदी ही हैं।

मेरा वस्त्र साफ दिखे इसलिये ये अपने सभी कुकर्मों को केंद्र सरकार मोदी पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं । मोदीजी के प्रति नफरत का प्रचार इसलिये है ताकि दुख तथा रोष में आकर जनता मोदी विरोधी बन वामपंथियों को वोट दे, उन्हें सत्ता में लाये और फिर ये वामपंथी भेड़िये भावनात्मक रूप से कमजोर जनता को जी भर कर निचोडें। अपने साथ स्वयँ के खानदान कीकई पुश्तों के लिए भी पाप की कमाई जमा कर रखें।

इस दुःख की कोविड-सुनामी के बीच भी आम जनता को धैर्यपूर्वक यह सोचना होगा कि मोदी का ही नेतृत्व है कि करोड़ों लोग जिन्दा बचे हुए हैं अन्यथा इन वामपंथियों की कुकुरमुत्तों जैसी लकड़बग्घों के सामुहिक गठबंधन वाली पार्टियों ने तो भारत की आधी जनता को अब तक मौत के मुँह में धकेल, जिन्दा बचे बाकी लोगों को विदेशियों के हाथों बेच, उन्हें दाने-दाने के लिए मोहताज कर साँस लेती लाश बना कर छोड़ दिया होता।

कुटिल वामपंथी नेताओं के क्रूरनीति को प्रत्येक हिंदुस्तानी को अपने भले और अपनी सुरक्षा के लिए समझना होगा। दिल्ली का खुजलीवाल, महाराष्ट्र का अज़ान प्रेमी कुलकलंक और उसका पप्पू भतीजा, अघाड़ी नेता, दोनों संजय, बंगाल की ममता विहीन बनर्जी बेगम, राजस्थान का हकलौत तथा इन सबों के पूज्य कोंग्रेस रत्न पप्पू और उनकी माता इतने थेथ्थर और मोटी चमड़ी वाले हैं कि गैंडा, दारियायी घोड़ा और मगरमच्छ भी हीन भावनाओं से ग्रस्त हो जायें।

इन सभी गिद्धों को जो आतंकियों, पाकिस्तान और चीन के प्रेमी हैं, उन्हेंदेश की समस्याओं या यहाँ के पीड़ित नागरिकों से कोई मतलब नहीं है। ये लूटने के इतने तरीके जानते हैं कि ये कीड़े मकोड़ों से भी वसूली कर सकते हैं।

ये देश को कभी भी आत्मनिर्भर नहीं बनने देना चाहते हैं।देश की अचल संपत्ति भी विदेशियों के हाथों बेच, सिर्फ अपने खानदान को अगाध सम्पत्ति के मालिक बनाना चाहते हैं। सत्ते में बने रहने की ख्वाहिश में हिंदुस्तान को बर्बाद कर रहे हैं।

स्वार्थी नेता हिन्दुओं को आपस में लड़ा रहे हैं,खुद भी लड़ रहे हैं वे उन राक्षसों को पाल रहे हैं जो मौका मिलते ही सेक्यूलर का ढोल बजाने वाले नेताओं को भी पलक झपकते चबा जायेंगे, जैसाकि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान कश्मीर आदि कई जगहों पर हो चुका है। हिन्दुओं एवँ हिन्दू नेताओं की आपसी लड़ाई उन हिरनों लड़ाई की ही तरह है जिसे अपने पीठ पर बैठे या घात लगाए भेड़ियों और लकड़बग्घों के समूह नज़र नहीं आ रहे हैं। स्वार्थवश और थेथ्थरई के कारण न समझते हैं और न ही समझना चाहते हैं न ही पहचानकर पहचानना चाहते हैं कि उनका और देश का असली दुश्मन कौन है?

जिन-जिन देशों ने, देश के मूल निवासियों के दुश्मनों को पहचान लिया है उन्होंने आतंकवादियों को भी पहचान कर उनका सफाया आरंभ कर दिया है। छोटे-छोटे देशों ने भी कड़े कानून बना कर,नागरिकों द्वारा उसका पालन करवा कर आंतरिक गद्दारों और विषैले दुश्मनों का फन कुचल कर उन्हें देशनिकाला दिया है।

भारत को आत्मनिर्भर, मजबूत करने के लिए हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए सार्थक कदम उठाने पड़ेंगे क्यों कि प्रत्येक इस्लामिक देशों से हिन्दुओं को भगा दिया गया है। उनकी संस्कृति सभ्यता इतिहास को जड़ से खत्म कर,उन्हें अपने पुरखों की जन्मभूमि से बहिष्कृत कर दिया गया है।

हिन्दुओं के लिए बस एक यही देश हिंदुस्तान बचा है जहाँ जिहादी घुसपैठियों को कोंग्रेसियों तथा ग़द्दार जिहादी मुस्लिमों द्वारा बसाया जा रहा है। ये देशभक्त नागरिकों और हिन्दुओं कोखत्म करने के तहत निरंतर अपनी जिहादी राक्षसी संस्कृति को फैलाने में लगे हुए हैं। देश तथा देशवासियों के सुरक्षा हेतु कड़े नियम को बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। गद्दारों और घुसपैठियों को देश से बाहर निकालना या उसका खात्मा करना भी आवश्यक है। बहरे, अंधे, गूंगे और थेथ्थर नेताओं का इलाज देश हित के लिए कैसे किया जाए ये सोचना, एकजुटता दिखा कर गद्दारों को खत्म करने तरीका निकलना हर देशभक्त नागरिक का कर्तव्य है।आत्मरक्षा हमारा अधिकार है, हमें स्वयँ रक्षार्थ खड़े होना आवश्यक है तभी ईश्वर भी राक्षसों से हमें बचाने में हमारी मदद करेंगे। अन्यथा जिहादी मुसलमानों द्वारा बंगाल हिंसा, पूर्णियाँ में महादलित के बस्तियों को जलाया जाना, बेगुनाहों को घेर कर जान से मारना, साथ ही वहाँ के मुस्लिम एम एल ए का हत्यारों के बचाव में खड़े होना, मुसलमानों द्वारा किये गए हत्याकांड को दबाने का प्रयास करना सामान्य सी घटनाओं की तरह ली जाने लगेंगी। सर्वविदित है कि जहाँ अनैतिक कृत्य करने वाले मुस्लिम लड़के पर जड़े थप्पड़ की आवाज अंतर्राष्ट्रीय खबरों का मुद्दा बन गया था, वहीं पूर्णियाँ में, बंगाल में जलाई गई बस्तियों के बारे कोई भी अंतर्राष्ट्रीयमीडिया या मानवाधिकार वाला चुप्पी साधे हुए है। दोगलेबाजी करने वाले मीडिया या नेताओं को जगाने का सिर्फ एक ही मंत्र हिन्दुओं के लिए बचा है "अहिंसा परमो धर्म: धर्म हिंसा तथैव च "।

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