चलते-चलाते : चाँद की खूबसूरती
दूर से चाँद कितना लुभावना
खूबसूरत दिखता है।
कवि की कल्पना में नाजनीन
हसीना की मूरत बनता है।
पास जा कर देखने से,
पता ये भी चलता है।
खूबसूरत दिखने के लिए,
दूरी भी अत्यन्त जरूरी है।
आज चंद्रयान जो गड्ढों भरे
सतह के चित्र भेज रहा है।
क्या अभी किसी आशिक ने
सुन्दरी को चंद्रमुखी कहा है?
कहीं कल्पना की पराकाष्ठा है,
तो कहीं सत्य की जिज्ञासा है।
कवि के शब्द जाल ही सौंदर्य हैं,
सत्यान्वेषी! वैज्ञानिक दृष्टिकोण हैं।
प्यार,आशिकी,महबूब को पाने का
पागलपन दोनों में ही अपरिमित है।
कवि,उपासक,सौंदर्य,शीतलता का
वैज्ञानिक,सत्य, गड्ढों भरे सतह का।
प्यार तो दोनों को है अपने-अपने
चाँद को करीब से समझ लेने का।
डॉ सुमंगला झा।