सम्पादकीय : एक कड़वा सच
अपने देश में कपिल सिब्बल, वृन्दा करात, राघव चड्डा ऐसे बहुत लोग हैं जिन्हें शायद अपने हिन्दू होने का या स्वयँ का हिंदुस्तान में मौजूद होने का भी संदेह है। अपनी संस्कृति से इनके जैसे कुछ लोग इतने विरक्त हैं कि विकृत मानसिकता के शिकार हो गए हैं। इनके व्यक्तित्व की संदिग्धता के कारण इन्हें दंगाइयों, हत्यारों,घुसपैठियों तथा देश को टुकड़े-टुकड़े करने की भावना रखने वालों के प्रति अत्यधिक वफादार कहा जा सकता है। बहुत माथा पच्ची करने पर भी समझ नहीं आता है कि ये लोग मानसिक रूप से ज्यादा विकृत हैं या व्यवहारिक रूप से! परन्तु देश के गद्दारों के प्रति ज्यादा वफादार और समर्पित हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है।
हिन्दू त्योहारों पर निरंतर होने वाले पत्थर बाजी पर सरकार के साथ सभी वामपंथी एवँ उन्मुक्त विचार धारा के वकील किसी कोने में मुँह छुपाये आनन्द रस का स्वाद लेते रहते हैं; परन्तु ज्यों ही अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही आरम्भ होती है ये सारे एक जुट हो कर हो-हल्ला करने लग जाते हैं। आतंकियों और पत्थर बाजों के समर्थन में मानवाधिकार वालों , वकीलों, सांसदों और सुप्रीम कोर्ट के जजों की भी नींद हराम हो जाती है। इन सभी लोगों की तत्परता तब देखने लायक होती है जब ये आव देखते न ताव, झटपट बंगदेशियों, रोहिंज्ञाओं और घुसपैठिये मुसलमानों के बचाव के लिए खड़े हो जाते हैं। कोर्ट भी स्वतः संज्ञान ले कर विभिन्न प्रकार की नियमावली जारी करने लगतीं हैं।
दंगाइयों, हत्यारों, पत्थरबाजों सरकारी सम्पत्तियों का नुकसान करने वालों के लिये मानवाधिकार की बातें करने वालों को यह सोचना भी आवश्यक है कि इन आतंकियों, दंगाइयों पत्थर बाजों द्वारा प्रताड़ित लोगों का भी मानवाधिकार होता है। आगजनी करने वाले जिहादी शैतान द्वारा प्रताड़ित होने वाले हिन्दुओं को भी न्याय मिलना चाहिए और जिन हिन्दुओं के दुकानों, घरों तथा परिवार के व्यक्ति को क्षति पहुँचाई गयी है उनके नुकसान की भी भरपाई की जानी चाहिए। मानवाधिकार के तहत प्रताड़ित हिन्दुओं को नुकसान का मुआवजा कैसे मिले इसके के लिए भी कुछ कदम उठाये जाने चाहिए। कोर्ट द्वारा दिशा-निर्देश और नियमावली जारी कर उन्हें आर्थिक सहायता देनी चाहिए। संविधान में आतताइयों को कड़ी से कड़ी सजा देने का प्रावधान किया जाना चाहिए तथा अमल में भी लाना चाहिए ताकि आये दिनों पूरी तैयारी के साथ मुसलमानों की उग्रवादी जिहादी कातिलाना हमले,तोड़-फोड़ एवं आगजनी को नियंत्रित किया जा सके।
कई जगहों पर वामपंथियों, कोंग्रेसियो द्वारा बढ़ती महँगाई के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है।महँगाई बढ़ रही तो आखिर क्यों ? इस पर भी सोचना आवश्यक है।देश को यदि आर्थिक संकट से उबारना है तो सबसे पहले घुसपैठियों की मुफ्तखोरी बन्द कर उन्हें वापस उनके देश भेज देना चाहिए। उन्हें भी सजा दी जानी चाहिए जो इन्हें अवैध रूप से आश्रय देते हैं। किसी भी क्षेत्र की जनता के लिए आवश्यक है कि वे देश हित के लिए सोचें और अलतकिया तथा अलगाव वादी विचारधारा वाले नेताओं तथा देश विरोधी खयाल रखने वाले लोगों का बहिष्कार करें।
रोहिंज्ञाओं, पाकिस्तान के आतंकवादी, अवैध घुसपैठिये,बांग्लादेशी मुसलमानों का देश में रहना बहुत खतरनाक हो गया है। ये जाली राशन कार्ड,आधार कार्ड,वोटर कार्ड आदि अपने मुस्लिम समर्थकों द्वारा बनवा कर भारत के मूल वाशिन्दों का हक़ मार रहे हैं। नेताओं द्वारा गरीबों को दी जाने वाली मुफ्त की सुविधाओं का बोझ मध्यवर्गीय करदाताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ की तरह होता है। पेट्रोल हो या टमाटर बढ़ती मंहगाई मध्यवर्गीय करदाताओं के कमर तोड़ रही है। गरीबों को मुफ्त का चस्का अमीरों को पैसे बनाने के तरीकों का चस्का, देश में बढ़ती मंहगाई का कारण है। मुख्य रूप से करोड़ों की संख्या में बांग्लादेश तथा अन्य देशों से आये हुए अवैध घुसपैठिये भी हैं; जिन्हें दोगले नेता विभिन्न प्रकार से मुफ्त की सुविधाएं प्रदान कर भारतीय जनता को छल रहे हैं। मुफ्तखोरी का लोभ अवैध घुसपैठियों को भी आकर्षित करता है इसलिए उनकी भी संख्या पाँच करोड़ से भी ज्यादा ही देश के अन्दर है। एक मजेदार आकर्षक तथ्य यह भी है भारतीय मुसलमानों के साथ-साथ प्रदर्शन कारी हिन्दुओं के अक्ल पर भी पत्थर पड़े हुए हैं। सामान्य नागरिक संहिता तथा मुस्लिम देशों से प्रताड़ित कर भगाए हिन्दुओं को नागरिकता दिए जाने का विरोध करने वाले लोगों को चार बीबी चौबीस बच्चों वाले अवैध मुस्लिम घुसपैठिये नहीं दिखाई देते हैं। अगर दिखाई देते भी हैं तो वे इसका विरोध करने के स्थान पर इन्हें भारत में सरकारी जमीन पर बसाने की कवायद कर रहे हैं।
मुस्लिम नेताओं,सरकारी अफसरों तथा मस्जिदों द्वारा आये दिन सरकारी जमीन तथा मंदिरों की जमीन का अतिक्रमण हो रहा है। जहाँ कहीं भी कोई मुस्लिम नेता या मुस्लिम अफसर हैं वहाँ हिन्दुओं की आवाज को दबाया जा रहा है, उन्हें धमकी दी जा रही है तथा कई तरीकों से प्रताड़ित भी किया जा रहा है । मुसलमानों को दबदबा कायम करने के लिए गुण्डों को उत्प्रेरित भी किया जा रहा है। असंगठित हिन्दुओं को शांति, धर्मनिरपेक्षता, उदारता का पाठ पढ़ा कर उन्हें भ्रमित करना बहुत ही आसान है अतः ये पर्दे पीछे चलाये जाने वाले इस्लामिक जिहादी साजिश को कार्यन्वित करने वाले चालबाजों के शिकार आसानी बनते जा रहे हैं। हिन्दुओं को होश तब आता है, जब पानी सिर से ऊपर जा चुका होता है। जनजागृति के साथ ही सरकार के लिए आवश्यक है कि अवैध निर्माण के अतिक्रमण को सार्वजनिक कर, सरकारी जमीन को अपने नियंत्रण में लें, अतिक्रमण करने वाले लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करें।
वोटों के लोभी नेताओं द्वारा देश के विकास तथा सुरक्षा हेतु दिए गए धन का दुरुपयोग मुफ्तखोरी करने वाले घुसपैठियों को सुव्यवस्थित कर उन्हें बसाने तथा उन्हें विभिन्न सुविधाओं से नवाजने के लिए किया जाता है। ऐसे नेताओं को भी देश का ग़द्दार घोषित कर उन पर भी कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए; अन्यथा मंहगाई में निरंतर बढ़ोतरी का होना तो स्वाभाविक ही है, साथ ही देश भी असुरक्षित हो रहा है। घुसपैठियों को फ्री का चस्का देने वाले नेताओं की भूमिका बहुत ही शर्मनाक है क्योंकि ये 'फ्री का लोभ' श्रीलंका की तरह ही भारत देश को भी आर्थिक बर्बादी की हालात की ओर अग्रसर कर रही है।
जनता को मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराने की लालच देने वाले नेताओं को अपने व्यक्तिगत आमदनी से अपने वोटरों को मुफ्त बिजली-पानी तथा अन्य सुविधा देने का अधिकार है न कि करदाताओं के ऊपर मुफ्तखोरों के खर्च का बोझ बढ़ा कर उन्हें निचोड़ने की जरूरत है। खेजड़ीवाल ऐसे झूठे और दोहरे चेहरे वाले नेताओं से नागरिकों को सावधान रहने की जरूरत है। भोली जनता नेताओं के लिये उन चूहों या परिंदों की तरह है जो शातिरों की चालें नहीं समझ पाती है। यह ठीक उसी तरह है जैसे पिंजड़े में फँसने वाला चूहा या जाल में फँसने वाले परिंदे नहीं जानते हैं कि उसे मुफ्त की स्वादिष्ट रोटी, चीज़ के टुकड़े या दानें क्यों मिल रहे हैं ?
गणतंत्र की नींव को कमजोर करने वाले फासिस्टवादी मानसिकता के नेताओं के कारण तथा अपनी उदारवादी सहअस्तित्व की धारणा के कारण आज हिन्दुओं को अपने देश में ही अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। हमारे देश के दोहरे व्यक्तित्व के नेताओं को हिन्दुओं के खिलाफ की गई पत्थरबाजी लगभग प्रत्येक त्यौहार पर की गई हत्याएँ-आगजनी सामान्य सी घटना प्रतीत होती है। प्रत्येक वामपंथी ऐसी घटनाओं के घटित होते समय मुँह पर ताले लगाए रखते हैं क्योंकि कोई भी हिन्दू किसी नेता के घर को या मुसलमानों के घर को ईश निंदा के नाम पर नहीं जलाता है। जिहादियों की तरह हिन्दू कभी भी मुस्लिम बहुल बस्तियों पर एकाएक समूह बना कर कातिलाना हमला या आगजनी नहीं करता है। जबकि हिन्दुओं की घरों -दुकानों को जलाना, हिन्दुओं की हत्याएं लगभग प्रतिदिन की घटना हो गई है।
मुसलमानों द्वारा सुचारू प्रबंधन के साथ किये गए अप्रत्याशित और अचानक हमलों को न्यायिक घटना ठहराने में जुटे हुए वकील, जज और नेता ही वस्तुतः हिन्दुओं तथा देश की सनातन संस्कृति के असली दुश्मन हैं। जिहादी आततायियों के पक्ष में पैरवीकारों को देख कर प्रतीत होता है कि देश के दुश्मन तथा सनातनी भारतीयों के दुश्मनों की पहुँच उच्चतम न्यायालय तक है। प्रताड़ित होने वाले समान्य हिन्दुओं को जिनकी हत्या, बलात्कार या आगजनी द्वारा मौतें होती हैं, न्यायालय, उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय तक पहुँचने में पूरी उम्र गुजर जाती है। वहीं अगर किसी प्रदेश में आततायियों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है तो मुस्लिम अपराधियों के पैरोकार तुरंत सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच कर स्टे ऑर्डर ले लेते हैं,जैसा कि दिल्ली में बुलडोजर चलते ही स्टे ऑर्डर ले लिया गया है।
जिंदगी भर की कमाई वकीलों को लुटा कर भी ज्यादातर प्रताड़ित गरीब हिन्दुओं को न्याय नहीं मिल पाता है,वहीं झुग्गियों में रहने वाले अवैध घुसपैठिये, रोहिंज्ञाओं, बंगदेशियों के मानवाधिकार की लड़ाई लड़ने और भारत में उन्हें बसे रहने देने की पैरवी करने के लिये कपिल सिब्बल जैसे महँगे वकील सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच जाते हैं। प्रश्न का उठना स्वाभाविक है कि इतने मँहगे वकिल को भाड़े पर लेने वाले तथा इन्हें फीस देने वाले आखिर कौन हैं ? अपराधी प्रवृत्तियों वाले अवैध घुसपैठियों को संरक्षण,सुरक्षा एवं सुविधा मुहैया कराने के प्रति उनका मंतव्य क्या है?
राजनीतिक या न्यायिक प्रक्रिया को भी यदि मानवाधिकार की दृष्टि से देखा जाए तो हिन्दुओं की बहुत ही दयनीय स्थिति हमारे सामने आती है।बहुत से प्रताड़ित हिन्दुओं के केस भी पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं किये जाते हैं, दबाव में अगर केस दर्ज हो भी जाये तो न्याय नहीं मिलता है जैसा कि पालघर हत्या कांड,बंगाल की नाबालिग लड़की या राजस्थान की तीन साल की बच्ची की हत्या कांड में हो रहा है। निर्भया हत्या कांड में मुस्लिम बलात्कारी हत्यारा नाबालिग होने के नाम पर जिंदा बचा हुआ है। केरल के बलात्कारी पादरी को बाइज्जत बड़ी कर दिया गया है।
इसी तरह जाने कितने मुस्लिम अपराधी पकड़े ही नहीं जाते हैं यदि पकड़े भी जाये हैं तो अल्पसंख्यक विक्टिम कार्ड का सहारा ले कोर्ट की सजा से बरी भी हो जाते हैं । उनके कौम वाले दंगे-फसाद करते हुए हिन्दुओं तथा सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान पहुँचाते हैं; कार्यवाही किये जाने पर ओवैसी ऐसे नेता अपराधियों के बचाव के लिए अल्पसंख्यक का नाटक आरम्भ कर देते हैं।
इतना आतंक, आगजनी, पत्थर बाजी करने वाली मुस्लिम कौम कहाँ हैं अल्पसंख्यक?आखिर अल्पसंख्यक की परिभाषा क्या है? संविधान तथा उच्चतम न्यायालय को पुनर्विचार कर इस आतंकी कौम के लिये अल्पसंख्यक का दर्जा भी खत्म करना आवश्यक है। उन्हें सुविधाओं से भी वंचित करना आवश्यक है अन्यथा हिंदुस्तान में भी हिन्दू सुरक्षित नहीं रह पाएंगे। आज इस्लाम के अनुयायी आतंकवाद के समर्थक तथा आतंकी कौम के रूप में पूरी दुनियाँ में मशहूर हो चुके हैं। इन्हें नागरिकता और पनाह देने वाले भारत, फ्रांस,स्पेन,कनाडा तथा अन्य बहुत से देश जिहादियों की क्रूरता, दंगे-आगजनी के शिकार हो रहे हैं।
प्रताड़ित होने कर बाद ही किसी गणतांत्रिक देश या ग़ैरइस्लामियों को समझ आता है कि ये जिहादी मुस्लिम कौम इतने खतरनाक,बर्बर और गन्दे हैं कि पूरी दुनियाँ को बर्बाद कर रहे हैं। इस्लामिक देशों में ग़ैरइस्लामियों के समूह के बीच आत्मघाती हमला का ज्वलंत उदाहरण बलूचिस्तान की बुर्का नशीन और चीनी नागरिकों की बॉम्बब्लास्ट में हुई मौत है। इस्लामिक नागरिकों के बीच हिन्दुओं की जिंदगी बत्तीस दाँतों के बीच जीभ की ही तरह है जो कभी भी चबाए जा सकते हैं। श्रीलंका में विभीषण भले ही सुरक्षित हो लेकिन इस्लामियों के बीच ग़ैरइस्लामियों का सुरक्षित रहना असंभव है।पूरी दुनियाँ को इस कड़वे सच को समझ कर इंसानियत की सुरक्षा के लिए आतंकवाद के समर्थक जिहादी इस्लाम का विरोध कर ,इसे अलग-थलग करना ही होगा।