Hate politics of Rahul Gandhi

चलते - चलाते: मुहब्बत की दुकान

मुहब्बत की दुकान में घृणा के माल हैं।
रामद्रोहियों के झुंड, पतित-प्रदूषित हैं।

कोरोना की तरह ही उभर-उभर आते हैं।
नए-नए प्रारूपों में, उत्पात ही मचाते हैं।

करोड़ों के घोटाला कर, धृष्टता से डटे हैं।
भारत को बर्बाद करना, धृष्टों के ध्येय हैं।

संसद के उपद्रव में देशद्रोही! सिद्धहस्त।
लूट-पाट, तोड़-फोड़, चमचे हैं, मदमस्त।

ठगों का गठबंधन! बनाया तो तगड़ा है।
साठ-गाँठ करके भी, अंदर में झगड़ा है।

भ्रष्टाचारी-चोर-डाकू-झूठों की जमात हैं।
मिल बैठें, देश लूटें, लगाए हुए घात हैं।

मुहब्बत की दुकानों से छिड़के पेट्रोल हैं।
हत्या-आगजनी में, आतंकी अभ्यस्त हैं।

मुहब्बत की दुकानें, बहुत ही खतरनाक हैं।
बच के रहना देशवासी,'ये' तो मगरमच्छ हैं।

डॉ.सुमंगला झा

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