चलते चलाते : देखे पठान
देखे पठान
जो करे हिन्दुओं का अपमान,
और पाक को दे अनुदान।
घृणित कर्म,बेशर्म पठान,
करो बहिष्कृत उसके काम।
पहन पजामा बचा के जान,
नलवासिंह से थे परेशान ।
पूर्वजों ने देखे बहुत पठान,
फाड़ जलाओ उनके नाम।
अफगान में बीबी-बच्चे,
उन्हें छोड़ ये कायर भागे।
तालिबान के डर से ये तो,
लटक,विमान-टायर में भागे।
झूठे-पाखण्डी पठान का,
और दरिंदों की कायरता,
करो न इनका महिमामंडन,
करो चरण से इनका खंडन।
तिरस्कार के पात्र ये सारे,
नीच सोच के अभिनेता ये
कुत्सित,प्रपंचपूर्ण अश्लील,
क्षम्य नहीं इनकी यह भूल।
संस्कृति को अपमानित कर
जो संवेदन की चाहत रखते,
कला नहीं! यह तो प्रपंच है
धिक्कार योग्य येअदाकार है।
हिंदुस्तान में अर्थ उपार्जित,
हिन्दू-संस्कृति भी अपमानित
छद्मयुक्त हैं! अश्लील-विचार,
निश्चित ! इनका हो बहिष्कार।
अपमानित करके स्त्रीत्व का,
अतिश्योक्ति ये है विनोद का,
निर्वस्त्र नृत्य!दौलत का प्यार,
घृणित बहुत इनका व्यापार।
सदाचार च्युत अभिनेता ये,
दर्शक के संवेदन से ये ,
खेल रहे नित नए खेल ये,
द्रव्य उपार्जित हैं करते ये,
इसे बहादुर या हीरो कह,
करो न वीरों का अपमान,
अफगानों में बहुत पठान,
भागे त्याग आत्मसम्मान।।डॉ सुमंगला झा।