
चलते चलाते: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मान दिवस,
बधाइयाँ,उत्साह वर्धक वक्तव्य
स्त्रियों की प्रत्येक क्षेत्रों में पहुंच,
आखिर जरूरत क्यों पड़ी इसकी?
स्त्रीशक्ति को कमजोर करने वाले
सच्चाई से मुँह फेरने वाले स्वार्थी,
यह भी तो बताओ औरतों के बिना,
कब, किस युग में पूर्णता सृष्ट था ।
सती,सीता,द्रौपदी,मैत्रेई,गार्गी,प्रज्ञा,
अनगिनत औरतें थी ज्ञानी सशक्त,
अपमान,शोषण,मुगलई मानसिकता
औरतें बनाई गई, अनपढ़, अशक्त।
पुरुषत्व अहंकार के मद से परिपूर्ण,
पाया जब मर्दों ने स्वयं को ही अपूर्ण,
गलतियाँ न स्वीकारते दिखाई महानता,
मनाया महिलादिवस! दिखाई उदारता।
महिलाएं शिक्षित और कमाऊ हो,
या हो अक्षरज्ञान रहित, गृहिणी,
किसी भी स्वरुप में हैं दृढ़,कार्यरत
करती हैं पोषित, बिना पारिश्रमिक।
घर की प्रकाश है, धुरी है जीवन की,
पुरुषों का पुरुषत्व,श्रृंगार प्रकृति की,
प्रेरणा, परार्थी,सहनशील है धरा सी।
भ्रमित भावनाओं में बहती है जल सी।
सुमंगला झा