चलते-चलाते: दुर्दान्तकारी दृश्य
दुर्दान्तकारी दृश्य से, दहल गया हृदय कहीं
जालिमों के अंत का, कसम लिया गया यहीं।
ये रक्तबीज राक्षस, हैं रक्तपात कर रहे!
वृद्ध-बाल-नारियों को ढाल हैं बना रहे।
मानव-मूल्यों की हैं,'ये' धज्जियाँ उड़ा रहे
नित्य नए जाहिलाना, कुकृत्य को बढ़ा रहे।
हथियारों की होड़ ले, प्रलयंकारी प्रयोग से,
विकास है विनाश का, विध्वंस गतिशील है।
आरोप-प्रत्यारोप के, विवाद हैं उत्कर्ष पर,
संषर्षरत देश के, भविष्य! विश्वमंच पर ।
सम्पूर्ण विश्व बँट गया, हमास के प्रकोप से,
बेशर्म-बेपर्द हैं, समर्थक, आतंकवाढ के।
जिहादियों के समूह, दुनियाँ में कई नाम से,
कर रहे हैं नित ग़दर, उद्देश्य कत्लेआम ले।
ज्ञान है कुरान का, तालीम तालिबान का,
कलंक ये जहान का, तौहीन है इस्लाम का। डॉ सुमंगला झा।