Comedian heads of Govt

Comedian heads of Govts - मसखरों के कमाल

बचपन में 'थ्री मस्केटियर' का हिन्दी अनुवाद 'तीन तिलंगे' नामक उपन्यास में वर्णित तीन बहादुरों के किस्से अत्यंत प्रेरणा दायक थे। मुसीबतों में किसी भी मजबूर की रक्षा करना उनका मकसद और कर्त्तव्य था जिसके लिए वे जान की बाजी लगा मुश्किलों का सामना करते थे। वहीं दूसरी ओर आज के समय के तीन मसखरों ने अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए लाखों की जिंदगी से खिलवाड़ कर उन्हें बर्बादी के दलदल में धकेलना ही अपना मकसद बना लिया है। यद्यपि उसके कृत्य के घातक परिणामों ने उन्हें बेगुनाहों की बद्दुआओं से अछूता नहीं रखा है तथापि इन महान मसखरे हस्तियों की चर्चा अति आवश्यक है। लोगों को हँसा कर मनोरंजन करने या कराने वाला एक कॉमेडियन किस हद तक एक सशक्त राजनैतिक जिम्मेदारियाँ लेकर अपनी प्रजा का भला करने से कतरा सकता है या राजनीति को भी मज़ाक बना सकता है, यह आज के दिनों में एक गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है।

युक्रैन का कॉमेडियन राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की ने अपने देश, देशवासियों के जान-माल व प्रतिष्ठा को दाँव पर लगा कर विश्व पटल पर स्वयँ को एक हास्यास्पद विषय बना दिया है। वह यूरोप व नेटो के हाथों उनकी बिछाई शतरंज के चौसर पर एक ऐसा मोहरा बन गया है जो अपने देश हित की बलि चढ़ा रहा है। अपने सेना व नागरिकों को युद्ध की विभीषिका में झोंककर वस्तुतः वह नेटो (NATO) देशों की लड़ाई लड़ रहा है। जेलेन्स्की की अदूरदर्शिता ने जहाँ आम नागरिकों को असुरक्षित किया है वहीं लाखों यूक्रेनी महिलाओं और बच्चों को दूसरे देशों में विस्थापित कर उन्हें शोषण का शिकार बना दिया है। स्वयं 'अपने मुंह मियाँ मिट्ठू' बन कर भी अपने देश की तबाही का मूल कारण बना यह शख्स अपनी राजनीतिक गूढ़ता के अभाव के कारण मात्र दूसरों के हाथों की कठपुतली या एक अदना सा प्यादा बना हुआ है (पढ़ें https://articles.thecounterviews.com/articles/zelenskyy-sacrificing-ukraine-in-nato-game-plan/) । कॉमेडियन जेलेंस्की जिस प्रकार पश्चिमी देशों के हाथों के खिलौना बने अपने देश को बर्बादी की ओर लिए जा रहे हैं लगता है यूक्रेनी राजधानी कीव को दूसरा हिरोशिमा बनाकर ही दम लेंगे (पढ़ें https://articles.thecounterviews.com/articles/kiev-destruction-clear-possibility/) ।

भारत में ही रिमोट से चलने वाले मौनी बाबा के शासन काल का अंत हुआ तो बहुत से अन्य नेता भी उत्पन्न हो गए हैं जिसमें दो मसखरे भी हैं। इन मसखरों के कारनामें हमनें अपने देश में देखे हैं । ये हैं कॉमेडी टीवी चॅनेल्स पर उपस्थित रहने वाले प्रसिद्धि प्राप्त हंसौडे सिद्धू और नशें के सेवक, सांसद भगवंत मान। दोनों ही सर के ताज ‘सरदार’ हैं; लेकिन इनकी खोपड़ी में कितना और किस प्रकार का चाट-मसाला भरा है, यह तो भगवान ही जानता होगा!

सिद्धू ने तो अपनी कला से ‘पंजाब कांग्रेस’ की सशक्त मानी जाने वाली सरकार को बिना किसी मेहनत के रसातल में पहुँचा दिया I तत्कालीन मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अलग-थलग कर, पार्टी में फूट डालकर कमजोर कर उन्हें सी. एम. के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर करदिया। इस मसखरे सिद्धू जी के सी एम एवं कोंग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बनने के लोभ ने, सत्ता तो हाथ से गँवाई ही, पार्टी के पाँव तले की जमीन भी खिसक गयी। पंजाब कांग्रेस दो खेमों में बँट गयी। चुनाव में कोंग्रेस पार्टी बुरी तरह मुँह के बल गिरी तो इस मसखरे के मुख्य मंत्री बनने का सपना भी चूर-चूर हो गया। बहरहाल अभी तो यह प्रसिद्ध मसखरा सिद्धू पटियाला जेल में मुफ्त की रोटी तोड़, खिचड़ी का आनंद ले, चैन की नींद सोते हुए, सी. एम. बनने के सपने देखता हुआ सोच रहा होगा कि इतनी चरण वंदना का परिणाम क्या यही होता है? 

अब दूसरा मखौलिया... चुनाव के दौरान नशे में डगमगाते हुए जनता को हवाई चुम्मा देने वाले, भगवंत मान की चर्चा भी अपेक्षित और आवश्यक है। पंजाब चुनाव में किसी भी गैर कोंग्रेसी, गैर अकाली, गैर बीजेपी पार्टी को जीतना ही था तो एक मात्र बचे "आम आदमी पार्टी" ने झूठ बोलकर बाजी मार ली। खेजड़ीवाल जी दो प्रदेशों के मुख्यमंत्री तो बन नहीं सकते थे इसलिए अपने मोहरे भगवंत मान को पंजाब का मुख्य मंत्री बना दिया। ये चुनावी वादों के प्रतिकूल कारनामों को अंजाम तो दे ही रहे हैं, विज्ञापन पर बेझिझक जनता के पैसे भी लुटा रहे हैं। इससे भी आगे बढ़ ये महानुभाव अपनी नशेड़ी प्रवृत्तियों का परिचय देते हुए, देश-विदेशों में भी नाम कमा रहे हैं। नशें में धुत्त जन-समूहिक कार्यक्रमों में जाना तो आम बातें हैं। ये नशें में धुत्त भांगड़ा के तरन्नुम की ताल पर तैरते, हवाई जहाज के अंदर सिर्फ बैठने ही नहीं जाते बल्कि उसे (जहाज) ‘वही उड़ायेंगे’, ये भी दावा करते हैं। परिणामस्वरूप इन्हें सम्मान सहित देश एवं विदेश में विमान से धरातल पर पत्तनम कर दिया जाता है। मसखरापन इनके व्यक्तित्व पर इस कदर हावी है कि इन्होंने अपने ओहदे को भी ठिठोली का विषय बना दिया है। अब देश का कलंक भगवंत मान जैसा 'उड़ता मसखरा' का सपना ‘उड़ता पंजाब’ बनाने का है । पाकिस्तान से सीधा व्यापार की चाहत रखने वाला, लक्ष्मी का वाहन भगवंत मान के लिए शराब का नशा शायद पर्याप्त सुरूर नहीं दे पा रहा है इसीलिए अफीम, चरस, हेरोइन आदि का प्रतिरोध मुक्त कारोबार कर पायलट की तरह अपने साथ पूरे पंजाब को ही हवा में उड़ाना चाहता है।

ऐसे तो 'आप' पार्टी की प्रचण्ड जीत के साथ पंजाब में पंजबियों के भविष्य का भी फैसला हो गया है। सरदारों में भी क्रिस्चियन सरदार, मुस्लिम सरदार, खालिस्तानी सरदार, निहंग मुस्लिम सरदार, देशभक्त सरदार तो कांग्रेस के सत्ता के दौरान ही शुरू हो गए थे। आगामी सालों में इसके अलावे भी बहुत से विभाग बनने अगर आरम्भ हो जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। इन सभी उल्टे-सीधे कारनामों के बीच सबसे बड़ी समस्या राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर होगी जिसकी झलक केजरीवाल के चुनाव प्रचार के दौरान ही दीखनें लगी थी जब वे खुले मन से खालिस्तानियों और जिहादियों का गुणगान कर रहे थे। संभावना है कि चालाक, मॉफलर धारी, चश्मिश के गुप्त साँठ-गाँठ की सहायता से एवं नशेड़ी मुख्यमंत्री के मार्फ़त पाकिस्तान, पंजाब सरकार की कमजोरी का फायदा उठाते हुए तस्करों एवं आतंकवादियों का घुसपैठ भारत में आसानी से कराएगा । 'आप' पार्टी एवं उसके नेताओं द्वारा दिल्ली के अंतर्गत किये गए कारनामों को देखते हुए यह निर्णय लिया जा सकता है कि पंजाब के साथ-साथ भारत देश की सुरक्षा की चिन्ता भी गहन चिंतन …विषय है।

यूँ तो किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली का घेराव, लालकिले पर खालिस्तानी झंडों को लगाने का खालिस्तानी उपक्रम, पंजाब में तोड़फोड़, मोदी को धमकाना एवं हत्या की साजिशों की घटनाओं की बहुतायत होने के कारण देशद्रोहियों के चेहरे से नकाब उतरने आरम्भ हो गए थे। परन्तु देश की सीमा सुरक्षा बलों के अधिकार क्षेत्रों के बढ़ाये जाने के कारण समय रहते आतंकवादियों के द्वारा बहुत बड़े स्तर पर होने वाली गड़बड़ी अस्थायी तौर पर टल गयी है। चुनाव में जीत पाने के मकसद से आंदोलन कराने वाले कोंग्रेसियों का अंदाजा कि पंजाब में कोई अन्य पार्टी सेंध न लगा पायेगा; गलत निकला। वे भूल गए थे कि मौके का फायदा उठाने वाला एक शातिर दिमाग वाला धूर्त,'लोमड़-बंदर' भी किसान आंदोलन का समर्थन कर, किसानों के दिमाग से खेलते हुए पंजाब की राजनीति में बाजी मार ले जा सकता है (पढ़ें “पंजाब तो गयो” https://articles.thecounterviews.com/articles/punjab-gone-case/) ।

गिरगिटी गुणों से सम्पन्न, दो बिल्लों की लड़ाई में रोटी उड़ा ले जाने वाले बन्दर ने स्वयँ एवं अपने घोटाले बाज नेताओं को बचाने के लिए ताबड़तोड़ झूठ का चौका छक्का मारना आरम्भ कर दिया है। दिल्ली के हर कोने में शराब का ठेका खोलने वाला वॉयरस अपने दारूबाज चेले के साथ मिल कर पंजाब को नशामुक्त कराएगा या हर कोने में ‘दम मारो दम.....’ का डीजे बजायेगा, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल ये गिरगिटी मकड़ा अपने ही द्वारा बुने गए जाल में उलझने के साथ झूठ पर झूठ बोलता जा रहा है। मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाना, झूठ बोल वादों से मुकरना, आम गरीब लोगों की जिंदगी से खिलवाड़, अपने निकम्मेपन का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ने की कोशिशें करते हुए हवा में बुलबुले उड़ाना जादूगर और मसखरों के लिए तो ठीक है लेकिन देश के चुने गए राजनीतिज्ञों के लिए खतरनाक ।

आज के परमाणु अस्त्र सम्पन्न देशों के बीच कोई कुशल, देशभक्ति से ओत-प्रोत राजनीतिज्ञ ही देश हित, समाज हित, विश्व हित की बातों को समझ और समझा सकता है। मसखरों को राजनीति की सत्ता सौंप जनता बहुत बड़ी गलती कर बैठते हैं। परिणाम स्वरूप राज्य की शासन व्यवस्था उस कहावत को चरितार्थ करते होते हैं जहाँ 'अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा' होता है। फिलहाल कई राज्यों की जनता ने तो अपने-अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार ली है, इसका क्या क्या खामियाजा उन्हें भुगतना पडेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।

स्लॉवेनियन पूर्व प्रधानमंत्री मार्जन सरेस और ग्वाटेमाला के पूर्व राष्ट्रपति जिमी मोरालेस जैसे कॉमेडियन या मसखरे भी विगत में अपने-अपने देशों की दुर्दशा के कारण बन चुके हैं। यूक्रेन की जनता ज़ेलेन्स्की जैसे मसखरे को राष्ट्रपति बना कर, उसकी मूर्खतापूर्ण अदूरदर्शिता का परिणाम भुगत रहा है। अमेरिका जैसे शातिर के हत्थे खिलौना बन जेलेन्स्की ऐसा फूला कि 'चढ़ जा बेटा शूली पर' का कहावत अपने प्रायोगिक स्वरूप में निखर आया है। यूक्रेन की जनता को बर्बाद करने का कार्यक्रम नैटो (NATO) ने चालू रखा है। वहीं हमारे देश पंजाब में भगवंत मान ने पंजाब को मुसीबत में डाल दिया है। लगता है न चाहते हुए भी "बंदर के हाथ उस्तरा" आ ही गया है। यूक्रेन को तो भगवान ही बचाएँ और वाहे गुरु पंजाब की रक्षा करें ! हमारी भी यही प्रार्थना है।

“मसखरे महान हैं” के नारे के साथ ....जय राम जी की।

Read More Articles ›


View Other Issues ›