ऐसे तो 'आप' पार्टी की प्रचण्ड जीत के साथ पंजाब में पंजबियों के भविष्य का भी फैसला हो गया है। सरदारों में भी क्रिस्चियन सरदार, मुस्लिम सरदार, खालिस्तानी सरदार, निहंग मुस्लिम सरदार, देशभक्त सरदार तो कांग्रेस के सत्ता के दौरान ही शुरू हो गए थे। आगामी सालों में इसके अलावे भी बहुत से विभाग बनने अगर आरम्भ हो जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। इन सभी उल्टे-सीधे कारनामों के बीच सबसे बड़ी समस्या राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर होगी जिसकी झलक केजरीवाल के चुनाव प्रचार के दौरान ही दीखनें लगी थी जब वे खुले मन से खालिस्तानियों और जिहादियों का गुणगान कर रहे थे। संभावना है कि चालाक, मॉफलर धारी, चश्मिश के गुप्त साँठ-गाँठ की सहायता से एवं नशेड़ी मुख्यमंत्री के मार्फ़त पाकिस्तान, पंजाब सरकार की कमजोरी का फायदा उठाते हुए तस्करों एवं आतंकवादियों का घुसपैठ भारत में आसानी से कराएगा । 'आप' पार्टी एवं उसके नेताओं द्वारा दिल्ली के अंतर्गत किये गए कारनामों को देखते हुए यह निर्णय लिया जा सकता है कि पंजाब के साथ-साथ भारत देश की सुरक्षा की चिन्ता भी गहन चिंतन …विषय है।
यूँ तो किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली का घेराव, लालकिले पर खालिस्तानी झंडों को लगाने का खालिस्तानी उपक्रम, पंजाब में तोड़फोड़, मोदी को धमकाना एवं हत्या की साजिशों की घटनाओं की बहुतायत होने के कारण देशद्रोहियों के चेहरे से नकाब उतरने आरम्भ हो गए थे। परन्तु देश की सीमा सुरक्षा बलों के अधिकार क्षेत्रों के बढ़ाये जाने के कारण समय रहते आतंकवादियों के द्वारा बहुत बड़े स्तर पर होने वाली गड़बड़ी अस्थायी तौर पर टल गयी है। चुनाव में जीत पाने के मकसद से आंदोलन कराने वाले कोंग्रेसियों का अंदाजा कि पंजाब में कोई अन्य पार्टी सेंध न लगा पायेगा; गलत निकला। वे भूल गए थे कि मौके का फायदा उठाने वाला एक शातिर दिमाग वाला धूर्त,'लोमड़-बंदर' भी किसान आंदोलन का समर्थन कर, किसानों के दिमाग से खेलते हुए पंजाब की राजनीति में बाजी मार ले जा सकता है (पढ़ें “पंजाब तो गयो” https://articles.thecounterviews.com/articles/punjab-gone-case/) ।
गिरगिटी गुणों से सम्पन्न, दो बिल्लों की लड़ाई में रोटी उड़ा ले जाने वाले बन्दर ने स्वयँ एवं अपने घोटाले बाज नेताओं को बचाने के लिए ताबड़तोड़ झूठ का चौका छक्का मारना आरम्भ कर दिया है। दिल्ली के हर कोने में शराब का ठेका खोलने वाला वॉयरस अपने दारूबाज चेले के साथ मिल कर पंजाब को नशामुक्त कराएगा या हर कोने में ‘दम मारो दम.....’ का डीजे बजायेगा, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल ये गिरगिटी मकड़ा अपने ही द्वारा बुने गए जाल में उलझने के साथ झूठ पर झूठ बोलता जा रहा है। मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाना, झूठ बोल वादों से मुकरना, आम गरीब लोगों की जिंदगी से खिलवाड़, अपने निकम्मेपन का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ने की कोशिशें करते हुए हवा में बुलबुले उड़ाना जादूगर और मसखरों के लिए तो ठीक है लेकिन देश के चुने गए राजनीतिज्ञों के लिए खतरनाक ।
आज के परमाणु अस्त्र सम्पन्न देशों के बीच कोई कुशल, देशभक्ति से ओत-प्रोत राजनीतिज्ञ ही देश हित, समाज हित, विश्व हित की बातों को समझ और समझा सकता है। मसखरों को राजनीति की सत्ता सौंप जनता बहुत बड़ी गलती कर बैठते हैं। परिणाम स्वरूप राज्य की शासन व्यवस्था उस कहावत को चरितार्थ करते होते हैं जहाँ 'अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा' होता है। फिलहाल कई राज्यों की जनता ने तो अपने-अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार ली है, इसका क्या क्या खामियाजा उन्हें भुगतना पडेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।
स्लॉवेनियन पूर्व प्रधानमंत्री मार्जन सरेस और ग्वाटेमाला के पूर्व राष्ट्रपति जिमी मोरालेस जैसे कॉमेडियन या मसखरे भी विगत में अपने-अपने देशों की दुर्दशा के कारण बन चुके हैं। यूक्रेन की जनता ज़ेलेन्स्की जैसे मसखरे को राष्ट्रपति बना कर, उसकी मूर्खतापूर्ण अदूरदर्शिता का परिणाम भुगत रहा है। अमेरिका जैसे शातिर के हत्थे खिलौना बन जेलेन्स्की ऐसा फूला कि 'चढ़ जा बेटा शूली पर' का कहावत अपने प्रायोगिक स्वरूप में निखर आया है। यूक्रेन की जनता को बर्बाद करने का कार्यक्रम नैटो (NATO) ने चालू रखा है। वहीं हमारे देश पंजाब में भगवंत मान ने पंजाब को मुसीबत में डाल दिया है। लगता है न चाहते हुए भी "बंदर के हाथ उस्तरा" आ ही गया है। यूक्रेन को तो भगवान ही बचाएँ और वाहे गुरु पंजाब की रक्षा करें ! हमारी भी यही प्रार्थना है।
“मसखरे महान हैं” के नारे के साथ ....जय राम जी की।