low politics

घटियापन की अतिशयता

प्रत्येक पत्रिका के लिए लिखने से पहले सोचती हूँ कि किसी वामपंथी कॉम्युनिस्ट, इस्लाम, पाकिस्तान, कांग्रेस या जिहादियों के बारे में कुछ नहीं लिखूँगी। परन्तु सप्ताह नहीं बीतता है कि सनसनीखेज अनैतिक घटनाएं मानसिक शांति भंग कर देती है। किसी भी चैनल पर न्यूज़ देखते ही कूद-कूद कर दिल्ली का मशहूर कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक वायरस प्रत्येक दो मिनट पर स्वयँ की नाकामी का घटिया विज्ञापन देने आ जाता है। समझ में नहीं आता है कि यह चिफ मिनिस्टर है या विज्ञापन से पैसे कमाने वाला सिनेमा का अभिनेता ?

आंदोलन जीवियों, दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों पर धरना देने वालों या शाहीन बाग को समर्थन देने वाला, उन्हें विभिन्न सुविधायें प्रदान करने वाला यह मोफलर-खाँसी वायरस बीस सौ बीस में देश के गृहमंत्री से दिल्ली के लोगों को बचाने की गुहार लगा रहा था। दो हज़ार इक्कीस में आज जब पुनः कोरोना दुबारा फैल रहा हैतो पी.एम से दिल्ली को सारी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कह रहा है।

दिल्ली से उपार्जित टैक्स के पैसे और केन्द्र से मिले सहायता राशि आखिर कहाँ खर्च हो रहे है, यह चिंतन का विषय है। दिल्ली के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सैलरी न दे पाने वाला यह वायरस मौलवियों और ईमामों की सैलरी इस महामारी में भी बढ़ा कर दे रहा है जबकि इसी दिल्ली में तोड़े और लूटे जाने वाले मंदिरों, जलाई गई गाड़ियों, दुकानों या घायल पुलिस कर्मियों से इसे कोई मतलब नहीं है।

इसके द्वारा दिये गए विज्ञापन वाले सारे 'मोहल्ला क्लीनिक' और 'कोविड अस्पताल' कहाँ गायब हो गए ये तो सिर्फ यही विज्ञापन-वैज्ञानिक बता सकता है। परन्तु कोविड के आक्रमण के साथ यह सर्वविदित है कि आम नागरिकों की जबाबदेही से पल्ला झाड़ने वाला यह व्यक्ति-विशेष और पप्पू का पालतू, नाटकबाजी तथा झूठ बोलने में पप्पू से भी कुछ कदम आगे ही है।

कांग्रेस प्रशासित प्रदेशों में कोविड से भी ज्यादा खतरनाक वहाँ की भृष्टाचारियों, दंगाईयों और जिहादियों के संरक्षक, माइनो मालकिन के इशारे पर नाचने वाले आत्मसम्मान विहीन नेताओं के समूह हैं जो दुश्मन देशों के द्वारा भेजे गए आतंकियों से भी ज्यादा खतरनाक हैं।

कोरोना के पहले दौर में केन्द्र सरकार द्वारा भेजे गए वेंटिलेटर और कोरोना संरक्षक सामग्री कई कोंग्रेस शाशित प्रदेशों में कुशल प्रबंधन के अभाव में धूल फाँक रहे हैं। सदैव से लाशों की राजनीति करने वाली कांग्रेस, कॉम्युनिस्ट शाशित या समर्थित राज्यों में बीमार, कोरोना संक्रमित नागरिक, कहीं ऑक्सीजन, कहीं बिस्तर की कमी के कारणमौत को गले लगाने के लिए मजबूर हैं।

मंदिरों के दान या चंदे द्वारा उगहित पैसों से आपदा-प्रबंधन या अस्पताल बनाने की सलाह देने वाले या तंज कसने वाले वामपंथियों के वक्ता ये भूल जाते हैं कि देश में हजारों मस्जिद, मरकज़ और चर्च भी हैं जिसे आपदा प्रबंधन के लिए अस्पताल में बदला जा सकता है। करोड़ों की जायदाद के मालिक चर्च तथा मस्जिदों को भी वामपंथी, कोंग्रेसियों और मुल्लों के समर्थक इस कोरोना-महामारी के काल में अनुदान देने के लिये कह सकते हैं परन्तु इस मामले ये चुप ही रहते हैं। दुःखद, हास्यप्रद व्यवहार करने वाले वामपंथी और राहुलासुर परिवार जब भी मुँह खोलते तो घटिया बकवास, झूठ और अपना निकम्मापन दिखाते हैं। स्वयँ का गैरजिम्मेदाराना कुकृत्यों को छुपाने के लिए ये दोहरे-चेहरे वाली राज्य सरकारें, सारे दोष केंद्र-सरकार पर थोपने की राजनीति करते हैं। कई राज्यों के भ्रष्टाचारी, गुण्डागर्दी में लिप्त सत्ताधारीमुफ्तखोरों, लुटेरों, घटिया चरित्र वालों के समूह तथाबिके हुए दलालों को अपनी ओछी, घृणित, कुटिल बुद्धि को ही बेशर्मी से प्रदर्शित करना होता है।

टिकैत, स्वरा, गार्गी, अंसारी हो या बिके हुए गिद्ध-पत्रकारों का समूह इन्हें अपने हिस्से की हड्डियाँ चबाने के लिए मिल जाती है और ये बदले में विष वमन कर देश में अराजकता, झूठाप्रचार या मोदी जी को कोसने रहना का काम करते हैं।

इस कोरोना काल में जहाँ लाखों लोग भगवान को याद कर रहे हैं, मौत से जूझ रहे है वहीं कांग्रेस सरकार टैक्स के राजस्व से करोड़ों रुपये खर्च कर कहीं हज हाउस (राजस्थान, महाराष्ट्र ) तो कहीं चर्च (पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना) बनाने का कार्य कर रही है। कुकर्मों तथा घटियापन की अति तो यह भी है कि कहीं करोड़ों की वसूली, कहीं दवाइयों तथा अन्य मेडिकल सामग्रियों के घोटालों में भी कोंग्रेस तथा उसके द्वारा समर्थित सरकार व्यस्त है। गरीब से गरीब लोग जहाँ एक-दूसरे की सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं लोगों की बेबसी का फायदा उठा कर वामपंथियों द्वारा दंगा,लूटपाट, हत्यायें तथा धर्म परिवर्तन के कार्य तत्परता से उत्प्रेरित किये जा रहे हैं। केरल में तो कहीं-कहीं समूची बस्ती को ही ईसाइयों के गाँव में परिवर्तित कर वहाँ के स्थानीय मंदिरों को चर्च में परिवर्तित किये जा चुके हैं।

बंगाल की ममता-विहीन 'टी.एम. सी'. दीदी की रक्तपिपासु जिव्हा को रक्तपान की आदत इतनी ज्यादा हो गयी है कि वहाँ हत्याकांड, दंगा, आगजनी प्रतिदिन के समाचार में शुमार है। बी. जे. पी. के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के अलावे भी जाने कितने हिंदू औरतें, मर्द, बच्चे कई कारणों से काल कवलित हो चुके हैं।

देशविरोधी, बिके हुए, घटिया नेताओं को न तो देश की सुरक्षा-समृद्धि से मतलब है और न ही देश के मूल नागरिकों की सुरक्षा या जरुरतों से, ये दुश्मन देशों के इशारों पर भारत को लूटने, कमजोर करने यहाँ के उद्दोगों को नष्ट करने में कट्टरपंथी जिहादी समुदाय की तरह ही तल्लीनता से लगे हुए हैं।

विदेशों के इशारों पर नाचनेवाले और देश को नुकसान पहुँचाने वाले समूहों एवं नेताओं को पहचान कर उनके चरित्र को सार्वजनिक करना जरूरी है। भष्टाचार एवं अराजकता वादी तत्वों को बढ़ावा देने वाले,रोहिज्ञाओं को घुसपैठ में मदद करने वाले,आतंक या जिहादी विदेशियों कोछुपाने वाले नेताओं को सत्ता रहित करना ही पर्याप्त नहीं है। इन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुँचाना प्रत्येक जागरूक, निर्भीक, देशभक्त नागरिक का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए। गणतांत्रिक व्यवस्था का एवं संविधान के द्वारा दिये गए अधिकारों का दुरुपयोग करने वाले वकीलों, नेताओं,गुण्डों हत्यारों तथा देश की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करने वाले दंगाईयों, आंदोलन जीवियों पर लगाम लगाने की कानूनी व्यवस्था आवश्यक है। हमारा संविधान हमें अपना हाथ हिलाने की स्वतंत्रता देता है परन्तु हिलते हाथ से किसी को चोट लगती है या किसी का नुकसान होता है तो हाथ हिलाने वाला दण्ड का अधिकारी है।

भारत में भारत के मूलनिवासी सुरक्षित रह पायें इसलिये इसे आतंकियों, रोहिज्ञाओं, घुसपैठियों, जिहादियों का सरायबनने से बचना आवश्यक है। सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने के साथ-साथ मुस्लिमों को भी जनसंख्या नियन्त्रण के प्रति जागरूक करना होगा या जरूरी होने पर कठोरता से लागू करना होगा,क्योंकि की देश के अंदर नागरिकों के लिये जीविका के संसाधन सीमित ही हैं।

Read More Articles ›


View Other Issues ›