udaynidhi abusing Sanatan Dharm

उदयनिधि जैसे नफरती का क्या हो ?

आज हर समाचार पत्र तथा मिडिया; और युगों से सहनशील रहे सनातनियों के मन में यही सवाल उठता है "उदयनिधि और ऐसे ही अन्य नफरती लोगों का क्या अंजाम हो"। क्या हम जिहादियों जैसा नफरती बनकर उसका गला काट दें ? क्या उसे भीड़ तंत्र के हवाले कर दौड़ा दौड़ा कर मारें ? वह ईसाई कट्टरवादी तमिलनाडु के नफरती सरकार का एक मंत्री है जिसे वहीं के हिन्दुओं ने पिछले चुनाव में जिताया है। जब से स्टालिन सरकार को वहाँ के हिन्दुओं ने जिताकर सत्ता दी है यह सरकार हिन्दुओं के साथ लगातार विश्वासघात करता आ रहा है। 

कुछ लोगों का मानना है कि उदयनिधि, उसके पिता स्टालिन और ऐसे अनेकों ईसाईयों का डीएनए दूषित है।सदियों से ऐसे लोगों का उन्हीं के चर्च के पादड़ियों द्वारा यौन शोषण किया गया है चाहे वह स्टालिन-उदयनिधि जैसा बचपन हो या फिर उनकी जननी।जब दुनिया भर के चर्चों में पादड़ियों द्वारा अनगिनत यौन शोषण और यौन उत्पीड़न किया जा रहा हो तो यह मानना बेईमानी होगी कि तामिलनाडु में ऐसा न हो रहा हो। संक्षिप्त में यह मान लेना होगा कि ऐसे लोग यौन शोषण के फलस्वरूप उत्पन्न नाजायज औलाद हो सकते हैं हालाँकि ईसाईयों में भी बहुतेरे अच्छे लोग हैं जिनमें हिन्दुओं जैसी सद्भावना और सहनशीलता भी हैं। स्टालिन, उदयनिधि जैसे असहनशील, अतिवादी, नफरती ईसाई दोगली प्रजाति के लोग हो सकते हैं जो सहनशील हिन्दुओं को गाली देने में अपना मान समझते हैं और DMK के सत्ताधारी लोगों ने ऐसा पहली बार नहीं किया है। स्टालिन सरकार आने के बाद तामिलनाडु में हिन्दू विरोधी गतिविधियाँ काफी बढ़ गयीं हैं और इसमें वहाँ के चार्चों का संलिप्त होना भी हो सकता है। चर्चों की ऐसी ही गतिविधियों के लिए बहुतेरे ईसाई भ्रमित होते जा रहे हैं कि वे इस धर्म को माने या नहीं। वैसे भी अनगिनत लोगों का मानना है कि जीसस सिर्फ एक चमत्कारी वयक्ति था। ऐसे चमत्कारी लोग भारत में भरे पड़े हैं जैसे बाबा बागेश्वर, सत्य साईं, सतपाल जी महाराज या कई अन्य । अगर ऐसे ही चमत्कारी लोग योरोप में होते तो उन्हें शायद जीसस के समकक्ष मान लिया गया होता।

स्टालिन के सत्ता में आने के बाद हिन्दू आस्थाओं पर कई चोट पहुँचाई गयी है। सौ से अधिक पुराने मंदिर तोड़े गए हैं। वहाँ के चर्चों द्वारा प्रायोजित वहाँ की सडकों पर हिन्दू देवताओं के विरुद्ध ४ जून २०२२ को मदुराई जैसे मंदिरों के शहर में DMK तथा कम्युनिस्ट ईसाईयों द्वारा नारे लगाए गए थे और दोषी अभियुक्त खुले आम घूम रहे हैं। वैसे भी केरल में ईसाइयों और अधर्मी कम्युनिस्टों की बहु बेटियों को जिहादी लव जिहाद का शिकार बनाती जा रही है जैसा कि वहाँ के कुछ पादड़ी शिकायत करते रहे हैं और सोशल रीसर्च कर दिखाई गयी फिल्म "The Kerala Stories" में भी दिखाई गयी है। यह शर्म की बात है कि उन्हीं जिहादियों को तामिलनाडु के ईसाई और पादड़ी बढ़ावा दे रहे हैं।

Christian communist abusing Hindu Gods in Madurai

ऐसी गतिविधियों पर वहाँ की पुलिस मूक बनी देखती रही और सरकार निष्क्रिय रही है।अगर ऐसा ही किसी हिन्दू संगठन द्वारा ईसाई या मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाए गए होते तो सबों को जेल में बंद कर दिया गया होता।लेकिन तामिलनाडु और वहाँ की ईसाई कट्टरवादी सरकार चुपचाप देखती रही।ऐसी ही अनेकों गतिविधियाँ अन्यत्र भी होती रही है।

३१ अगस्त २०२२ को रामनाथपुरम में गणेश चतुर्थी पर्व मना रहे दो युवकों अरुण प्रकाश और योगेश्वरन को जिहादियों ने दिन दहाड़े चाक़ू मार दिया। इसी तरह रामलिंगम को ६ फरवरी २०१९ को तिरूभुवनम में जिहादियों द्वारा मार दिया गया। २०१२ से ही तामिलनाडु में जिहादी गतिविधियाँ बढ़ती जा रही हैं, असंगठित हिन्दुओं में भय फैलाने के लिए उनको मारा जा रहा है (read Rise of Islamic atrocities against Hindus in TN”, https://organiser.org/2023/02/09/107675/bharat/tamil-nadu-the-rise-of-islamic-atrocities-against-hindus-in-dmk-ruled-state-here-are-the-recent-incidents/) लेकिन वहाँ की सरकारें चुप रहीं हैं। याद रहे तामिलनाडु में 85% से ज्यादा हिन्दू हैं। वर्तमान स्टालिन सरकार जिस तरह हिन्दू आस्थाओं पर चोट पहुँचा रही है, अत्यधिक संभव है अगले चुनाव में वे उसे उखाड़ फेकें। वैसे वहाँ के मुख्य अल्पसंख्यक (ईसाई और मुसलमान) जी-तोड़ प्रयास करते रहे हैं कि हिन्दुओं में जातिगत फूट डालकर उन्हें कमजोर बना दिया जाए। जातिगत भेदभाव तो ईसाइयों व मुसलमानों में भी हैं लेकिन कोई उसकी बातें नहीं करता।

ISIS growing influence in TN

ये जिहादी तो ईसाईयों के भी खिलाफ हैं लेकिन तामिलनाडु में पादड़ियों के समझ में यह नहीं आ रहा है। तामिलनाडु में में ISIS समर्थक खुले आम खौफ का माहौल बना रहे हैं। स्टालिन के आने के बाद हिन्दुओं का तिरस्कार और धर्मांतरण में वहाँ के चर्च भी जुट गए लगते हैं। अपने तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी जिस नफरती पादड़ी जॉर्ज पुनैया से मिले थे वह हिन्दुओं और भारत माता से ही नफ़रत करता है।ऐसे अनेकों चर्च और पादड़ी तामिलनाडु में स्टालिन के संरक्षण में अपने नफरती कार्यों में जुड़े हैं और वहाँ की सरकार मूक दर्शक बनी है।

अब सवाल उठता है कि उदयनिधि का क्या करना चाहिए।ज्यादातर लोगों का मानना है कि अभी हाल के महीनें (28 Apr 2023) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार तामिलनाडु सरकार को उसके घृणा से भरे वक्तव्य के लिए हिरासत में लेकर उसपर मुकद्दमा चलाना चाहिए लेकिन स्टालिन सरकार की इसमें कोई रूचि नहीं दीख रही।

SC Guideline on hate speech

दूसरा तरीका है उसपर FIR और मुकद्दमा चलाने की; सो तो शुरू हो गया है। देश के अनेक राज्यों में उसपर प्राथमिकी दर्ज की गयी है। एक-आध नासमझ हिन्दू कट्टरवादियों ने उसे मारने के लिए इनाम भी जारी किया है। कुछ का तो यह भी कहना है कि उदयनिधि जहाँ भी पकड़ में आए उसका जीभ काट दो।

उदयनिधि का जुर्म संगीन है क्योंकि यह हिन्दू या सनातन धर्म विरोधी वक्तव्य उसने अपने मंत्री होने के दायरे में दिया है अतः उसे तुरंत वर्खास्त कर हिरासत में लेना चाहिए। यह उसका दुस्साहस है कि सनातन पर उसने हमला किया है।सनातन मुख्यतया वेदों, उपनिषदों एवं पुराणों पर आधारित है और किसी वेद या उपनिषद में किसी भी वर्ण के खिलाफ कोई घृणा या भेद भाव नहीं है। गैर मुस्लिम जातियों के प्रति तो ‘कुरान’ में भेदभाव, घृणा तथा असहिष्णुता भरी पडी है जिसपर सुप्रीम कोर्ट भी संज्ञान लेने से कतरा रहा है (read “Gross violation of Indian fundamental rights”, https://thecounterviews.com/articles/gross-violation-of-indian-fundamental-rights-by-quran/) । यह लोगों की नासमझ की उपज है जो हिन्दू समाज में घृणा और फूट डाल रहे कांग्रेस नेहरू जी के समय से ही करती आ रही है (read “विभाजन विभीषिका (भाग-3): एक और विभाजन ? कभी नहीं”, https://thecounterviews.com/articles/partition-horrors-india-part-3-no-more/) । कुछ नासमझ हिन्दू भी इन अवधारणाओं के शिकार हो रहे हैं जो यथार्थ नहीं। हाँ मनुस्मृति में अवश्य ऐसी कुछ भ्रांतियां डाली गयी थी जिसपर पिछले कई दशकों से प्रतिबन्ध लगा है और इसमें संसोधन की बातें चल रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट को भी यह तय करना है कि अपने मंत्रियों द्वारा घृणित वक्तब्य देने के लिए अगर कोई राज्य सरकार उनकी दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रही है तो फिर उस पर क्या कदम उठाने चाहिए। अगर स्टालिन अपने बेटे के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं करता तो फिर शायद हिन्दू समाज को क़ानून अपने हाथों में लेना होगा, फिर उसका जो भी परिणाम हो। सनातन याहिन्दू धर्म का अपमान करने वाला कोई भी भारत में चैन से नहीं सो सकता। उसे इसके परिणाम भुगतने ही होंगे। वो चाहे ईसाई कट्टरपंथी स्टालिन या उसका बेटा हो या कोई और कट्टरवादी इस्लामी।

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