सायकिल पंचर किसने की ? मोदी, योगी या महायोगी ?
अभी कुछ महीनें पहले अपने चाटुकारों से घिरा एक युवा सायकिल पर उड़ा जा रहा था।उसके उड़ने में प्रदेश के राक्षसी प्रवृत्ति के बहुतेरे लोग भी थे जो सदैव से शांतिप्रिय हिन्दुओं के खिलाफ रहे हैं। चाटुकारों का काम था सायकिल पर सवार उस युवक के टुकड़ों पर पलना और राक्षसी प्रवृत्ति वाले लोगों का काम था उस प्रदेश के नागरिकों को डराना, धमकाना व कमजोरों का दमन करना।वैसे सायकिल पर सवार वह युवा भी विकृत आचरणों से संपन्न था। वह टोंटी चोर, झूठबोला, मक्कारी में किसी से कम नहीं था। पिता का अपमान करना, झूठ बोलना, साधू संतों की हँसी उड़ाना, दूसरों के द्वारा किए गए कार्यों को अपना कहना, देश के दुश्मनों से साँठ-गाँठ रखना, अपने ही देश के लिए अनहित करना आदि उसके डीएनए में था।
यह एक विड़म्बना है कि राक्षसी प्रवृत्ति रखने वाले लोगों के पूर्वजों ने मध्यकाल में उस प्रदेश के राम मंदिरों, शिव मंदिरों एवं कृष्ण जन्मभूमि मंदिरों को धार्मिक विद्वेष से तोड़ दिया था और वे चाहते हैं कि उन मंदिरों का पुनर्निर्माण न हो।उस देश प्रधानमंत्री की उत्प्रेरणा से राम मंदिर का पुनर्निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। काशी के शिव मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया गया है जिससे राक्षसी प्रवृत्ति के लोग अति क्षुभ्द और क्रुद्ध हैं।
वे चाहते हैं कि सायकिल पर सवार वह युवक उस प्रदेश का मुख्यमंत्री बने जिससे उस प्रदेश में असुरों का बोलबाला हो। वे चाहते हैं वहाँ बाहुबलियों, गुंडों, भू-माफियाओं, बलात्कारियों आदि का वर्चस्व हो। अब से दस साल पूर्व अपने शासन काल में उसने ऐसी ही एक नकारात्मक भूमिका निभाई थी। पूरे प्रदेश में जुल्म, हाहाकार मचा था। लड़कियाँ और औरतें घर से बाहर निकलने से डरती थीं। कमजोरों और गरीबो की जमीनें राक्षसी प्रवृत्ति वाले लोगों द्वारा हड़प ली जाती थी। मज़हबी खुले आम राजनैतिक संरक्षण में आतंक मचाते थे। भगवान्-भक्तों से उसे सख्त चिढ थी।
कहते हैं हर रात के बाद सुबह होती है। आतताइयों के शासन का भी अंत हुआ। एक योगी आया जो निःस्वार्थ भाव से प्रजा की भलाई के काम में जुट गया। सड़क छाप रोमियो मुँह छुपा कर भाग निकले। दंगाइयों, गुंडों, बलात्कारियों को कारागार मिला। भू-माफियाओं की नाजायज संपत्ति कुछ जब्त हुई और कुछ पर बुलडोज़र चला। मजहबियों केआतंक से जनता का निवारण हुआ। प्रदेश की बहू बेटियों ने चैन की साँस ली।
गरीबों के लिए घर, बिजली व पानी की व्यवस्था की गयी। कोरोना काल की आपदा से जूझते तथा ज्यादातर असंगठित क्षेत्रों के बंद हो जानें से बेरोजगार हुए लोगों के घर २० माह तक मुफ्त अनाज एवं गरीब महिलाओं को रसोई गैस दिए गए। गरीबों के परिवार को पाँच लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज दी गयी। किसानों को सालाना ६ हजार रुपये की सहायता मिली।गन्ना किसानों का वर्षों का बकाया भुगतान किया गया। राज्य में राजमार्गों तथा यातायात का जाल सा बिछा दिया गयाथा। राज्य का अप्रत्याशित भौतिक व आध्यात्मिक विकास हुआ। दर्जनों (३६) नए मेडिकल कॉलेज खोलेगए। वह योगी जो भी चुनावी वादा किया था, लगभग सब पूरा कर दिया I
कोरोना महामारी से लड़ाई में प्रदेश की भूमिका को WHO द्वारा भीसराही गयी। सबों को बचाव के टीके लगवाए गए। इतना स्वच्छ शासन प्रदेशवासियों को कभी नहीं मिला था। और ऐसी अच्छी सरकार को वह बेईमान युवक आनेवाले चुनाव में अपने हवाई सायकिल, खोखले वायदे, नकली आस्था से चुनौती देने चला था। उसके साथ उसका शैतान मंडली तथा मजहबी लोग भी थे।मतदाताओं को डराना-धमकाना भी चल रहा था। चुनावी प्रचार के दौरान सायकिल पर उड़ता वह युवक अपने लिए लाखों की भीड़ जुटाता था। इसके लिए वह कितना खर्च करता था भगवान् जाने। ये सारे उसी के पैसे थे या उसको मजहबियों के भी फंडिंग आती थी, ठीक से पता नहीं। अपनी भीड़ पर इतराता वह मूढ़ यह समझ बैठा था कि प्रदेश के मुख्य मंत्री का उसका रास्ता साफ़ है। लेकिन मतदान के दिनों योगी के प्रति जनता का झुकाव देखते ही सायकिल वाले युवक की पराजय का अनुमान लगना शुरू हो गया था I फिर क्या था, राक्षसी प्रवृत्ति का एक दल ने अपना चुनाव प्रचार ही छोड़ दिया था जिससे मजहबी लोग एक जुट होकर सायकिल की सुरक्षा और उसकी जीत सुनिश्चित करने के लिए एक जुट मतदान करे। इसी तरह की घटना गत वर्ष दूसरे राज्य में भी सामने आयी थी जब मजहबी पार्टियों ने अपने अनुयायियों का वोट एक पिशाचिनी को हारने से बचाने के लिए एक जुट दिया था। 'जय श्रीराम' के उद्घोष से गुस्से में आग-बबूला होकर नाचने वाली दूसरे प्रदेश की वह ‘पिशाचिनी’ भी चुनाव प्रचार में उस युवक के साथ थी; उसकी सराहना, जीत की कामना करती थी ।
मंदिरों व भगवान् के प्रति अश्रद्ध वह अभिमानी ने प्रजा की दृष्टि में महानता पाने के लिए एक बड़ी चाल चली। स्वयं को श्रेष्ठता देने के लिए, झूठी मान देने के लिए उस झूठबोले ने एक झूठी और मनगढ़ंत कहानी रची। उसने शान से घोषणा की कि महायोगी भगवान् श्रीकृष्ण ने उसके सपनें में आकर कहा कि वह उस प्रदेश का राजा बन जाएगा। इतना ही नहीं। उसने यह भी कहा कि भगवान् रोज उसके सपनें में आते हैं। जब वह यह सब बोल रहा था, उसके चाटुकार ही उसी के बगल में हँस रहे थे। सुनने वाले में से कुछ लोगों ने तो समझा होगा कि वह व्यक्ति महायोगी होगा तभी तो भगवान् प्रतिदिन उसके सपनें में आते होंगे। और जब वह स्वयं ऐसा कह रहा है तो शायद सच भी हो। (Lord Krishna in Akhilesh Dreams; The Counterviews; https://articles.thecounterviews.com/articles/lord-krishna-akhilesh-dreams/). लेकिन उस झूठबोले की मति मारी गयी थी। उसकी सायकिल का पंचर होना लगभग तय था।
कहते हैं कि भगवान् की लाठी अदृश्य होती है। मार भी पड़ती है और दीखता भी नहीं। देखिए परमात्मा की माया।पलक झपकते ही राजा बनने का लोलुप वह मूढ़ अहंकारी रंक बन गया। उसकी उड़ती सायकिल पंचर हो गयी।अब वह जमीन पर गिरा पड़ा है। सब पूछते हैं कि सायकिल पंचर किसने की ? उस देश के प्रधानमंत्री मोदी ने ? उस प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने या पूरे विश्व के पालक महायोगी भगवान् श्रीकृष्ण ने ?