चलते-चलाते : दुष्ट नेता खेलते
पुरूष मानसिकता की विकृतियाँ,
काले पर्दे के अंदर की आकृतियाँ,
अनेकों जुल्मों-सितम को झेलती,
होठों को सिल,चुपचाप सिसकती।
हलाला,तलाक,मुत्ता-विवाह,सौतें,
प्रजनन-यन्त्र बन यंत्रणायें झेलते,
अनेकानेक बच्चे, माँ-बाप के रहते,
मजबूर होते,अनाथालयों में पलते।
डालने को पर्दा अपने कुकृत्यों पर,
दोषारोपण करें'ये'बेबस स्त्रियों पर,
काम-काजी स्त्रियाँ,बहनें या बेटियाँ,
होती!असुरक्षित,जहाँ हैं'ये'टोलियाँ।
सरिया कानून,सड़े से आचार-विचार,
आदमखोर-जानवर!जाहिल-व्यवहार,
ओढ़ते-बिछाते'झूठ का,काला-तिरपाल,
कुत्सित-प्रवृत्ति,कुटिलता से माला-माल।
अराजकता बेमिसाल,मानवता शर्मशार,
स्त्री पे अत्याचार,सार्वभौमिकअस्वीकार्य
कुरान के कानून!आतंकियों के शिरोधार्य,
बेकॉफ़ हत्या,दंगा-फसाद हैं, अपरिहार्य।
इस्लाम के शांतिदूत!कहाँ हैं शांतिपूर्ण?
पाप-हवस,दुष्कर्म, क्रूरता से परिपूर्ण,
गणतांत्रिक देश में,जहाँ 'ये'घुस जाएं,
आतंक की आग में देश झुलस जाएं।
शान्ति-सुरक्षा,स्त्रियों की अस्मिता,
खतरे में सभी हैं सरकार,सुव्यवस्था,
देशद्रोह,धृष्टता,भ्रष्ट-स्वार्थ-लोलुपता,
निस्पृह अनजान से बुद्धिजीवी नेता।
सत्य-तथ्य को नकार,विज्ञापन बेमिसाल,
साजिशों से ओत-प्रोत, निकृष्ट-शर्मशार,
सनातनियों को छल,छद्मवेशी निकलते,
नव-पीढ़ी के भविष्य से दुष्ट नेता खेलते।
डॉ सुमंगला झा।