Chief Editor: Dr Sumangala Jha

सम्पादकीय: दोहरा चरित्र (इंसानियत के दुश्मन)

गद्दार दोस्त से सच्चा दुश्मन अच्छा होता है क्योंकि वह कभी दिखावे की दोस्ती का नाटक कर पीछे से जानलेवा आघात नहीं पहुंचाता है। देश - विदेश, राज्य, राष्ट्र एवम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक सम्मानित पदों पर आसीन व्यक्तियों का दोहरा चरित्र मानवता के लिए अत्यन्त खतरनाक तथा जानलेवा है।

महाशक्तियों ने अपने वर्चस्व को स्थापित किए रखने के लिए छोटे - छोटे देशों को शतरंज की बिसात पर प्यादा बना दिया है। यद्यपि कई देश अपने दोहरे चरित्र एवम वक्तव्य के कारण खुद के दुश्मन बन अपनी बर्बादी का कारण बने हुए है परन्तु फिर भी दुम उठा कर भौंकते रहने की जन्म जात प्रवृति या आदत जाती ही नहीं है। इनमें सत्य को स्वीकार कर बुराईयों की जड़ आतंकवाद के समर्थक मजहब के खिलाफ न बोलने की हिम्मत है और न उसे त्यागने की इक्षाशक्ति ही है।

जाने क्या मजबूरी है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी विराजित हो, अंतर्राष्ट्रीय सम्मानित नेता आतंकियों के कुकर्मों पर, उसके द्वारा किए गए मासूमों की बर्बर हत्याओं पर कुछ न बोल कर सिर्फ एक तरफा इंसानियत या मानवता की बातें करते हैं। हमास , हूती, हिजबुल्लाह जैसे आतंकी समूहों के मार्गदर्शकों या मालिकों के द्वारा किए गए घातक हमलों पर प्रतिबंध लगा कर उन्हें सजा देने के बदले उनका कभी मूक तो कभी मुखर समर्थन कर जीते हैं। आत्मरक्षा के लिए किए गए प्रयत्न या थोपे गए युद्ध के प्रतिकार में उठाए गए कदम को ही गलत साबित करने की कोशिश करते हैं। धोखे से आक्रमण कर मासूमों की हत्या करने वाले या मासूमों को ढाल बना कर आक्रमण करने वाले किसी भी प्रकार की सहानुभूति पाने या मनवाधिकार की बातें करने लायक नहीं हैं। फिर भी कुछ देश आतंकी समूहों के प्रति उदारता प्रकट करते हैं। ऐसे दोहरे चरित्र के नेता मानवधिकार के नाम पर आतंकियाें तथा उनकी बर्बरता का मूक समर्थन कर ( टैक्स देने वाले लोगों को ) आर्थिक योगदान देने वाले देशों बेवकूफ बना रहे हैं। गहराई से विचार करें तो पायेंगे कि ये दोहरे चरित्र वाले लोग ही इंसानियत के दुश्मन बने हुए हैं।

घातक के हथियार तो दिखाई देते हैं उससे निपटा जा सकता है परन्तु घातकों के समर्थकों के दोहरे चरित्र वाले वक्तव्य वाले हथियार तो समूची दुनियां को बर्बादी की ओर ले जा रहे हैं। फिर चाहे वह अंतरराष्ट्रीय मंच के एंटोनियो गुटेरस हों, लेबनान, ईरान, इराक, यमन, पाकिस्तान, बांग्लादेश के तख्तापलट प्रधान मंत्री जैसे नेता हों या हमारे देश के शहजादे राहुल गांधी, अब्दुल्ला खानदान या इनके गठबंधन वाले, ये सभी इंसानियत तथा देश-विदेश के शांतिप्रिय समुदाय एवम धर्म के लिए आतंकवादियों से भी ज्यादा खतरनाक, समाज के सफेदपोश दुश्मन हैं।

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