सम्पादकीय: उत्तरपूर्व का पर्यटन करते हुए उद्भासित भावनाएँ
अरुणाचल-अरुण हो अंचल जिसका वह है अरुणाचल। यह काफी प्रसिद्ध वाक्य है। यह सात बहनों के समूह में से एक है। इन सातों राज्यों, इनकी सीमाओं पर एक यायावर की तरह यात्रा करने तथा स्थानीय लोगों से सामान्य बात-चीत करने का मौका मुझे हाल ही में मिला है। इन राज्यों को यदि भारतमाता के जेवरात कहे जाएं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इन सातों बहनों की सुंदरता देख कर कोई भी इसके सौंदर्य-मोहजाल में फँस सकता है। यहाँ की ऐतिहासिक समृद्धि के प्रतीक अनेकों पुराने मंदिर, युवतियों तथा युवाओं की वीर गाथाएँ यहाँ के इतिहास में भरे पड़े हैं। लेकिन लम्बे समय तक सत्ता में रही कोंग्रेसी सरकार की उपेक्षा के कारण यहाँ पर विकास कार्य अवरुद्ध ही रहा है। वर्तमान समय में बीजेपी के केंद्र में आने के बाद रेल, रोड, सफाई, बिजली पानी एवं स्कूल-कॉलेज की सुविधाओं के विकास का कार्य तुलनात्मक रूप से काफी तेजी से हुआ है। परन्तु कॉंग्रेस सरकार के सौतेले व्यवहार का शिकार, यहाँ की बदलती जनसांख्यिकी परिवर्तन के कारण इसकी सांस्कृतिक संरक्षण उपेक्षित ही रही है। इसके लिये यहाँ के हिन्दू समुदाय एवं सरकार को और भी अत्यंत जागरूक होने की आवश्यकता है।
इन राज्यों की सीमाएं काफी विस्तृत हैं जहाँ प्रत्येक स्थान पर पहरेदारी करना आसान नहीं है। बांग्लादेश, म्यांमार, एवं तिब्बत से घुसपैठियों का चोरी-छुपे प्रवेश कर कहीं छुप कर बैठ जाना कोई बड़ी बात नहीं है जिसमें पैसों के लोभी भारतीयों का एवं स्थानीय मुसलमानों का भी बहुत बड़ा हाथ होता है जिनके खिलाफ भारत सरकार कड़े कदम उठाने में कहीं लापरवाह तो कहीं लाचार भी हो जाती है।
बांग्लादेश के घुसपैठियों के कारण सीमावर्ती, बिहार, असम, बंगाल,के अलावे भी बहुत से राज्यों में जनसांख्यिकी परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है जो यहाँ के हिन्दुओं के लिये सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत खतरनाक है। कई राज्यों में जिहादी आतंकी समुदाय से संबंधित बहुसंख्यक के बीच हिन्दू समुदाय के ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य, पिछड़े वर्ग,दलित एवं जनजाति समुदाय भी अत्यंत प्रताड़ित हैं। आये दिन होने वाले हिन्दू विरोधी एवं स्त्री के प्रति होने वाली हैवानियत भरी घटनाओं के बावजूद सम्पूर्ण देश के हिन्दू अपनी मूर्खता, मजबूरी, राजनीतिक अज्ञानता से उभर नहीं पाए हैं।इस कारण हिन्दू-विरोधी एवं मुस्लिमों को खुश करने वाले नेताओं के झाँसे में आ कर, उन्हें वोट देते हैं जो जीतने के बाद वोट देने वाले हिन्दुओं को ही प्रताड़ित करते हैं एवं इस्लामियों तथा ईसाइयों को विभिन्न सुविधाओं से नवाजने में लग जाते हैं।
उत्तर पूर्व राज्यों के मूल वाशिन्दे एवं सभी राज्यों के ग्रामीण हिन्दू समुदाय स्वभावतः ही सीधे-सादे, प्रकृति प्रेमी, वैदिक सनातन धर्म में विश्वास रखने के कारण उदारवादी, छल-कपट से दूर एवं शान्ति प्रिय हैं। यहाँ के स्थानीय मूल हिन्दू अपने भोलेपन के कारण बांग्लादेश के घुसपैठिये, उग्रवादी इस्लामियों तथा धूर्त मिशनरियों की चालों को नहीं समझ पाते हैं। चालबाजों, धूर्तों, जिहादी मुल्लों एवं पादरियों को अपनी तरह ही सीधे-सादे लोग ही समझते हैं।जबकि हिन्दू विरोधी नफरती स्टालिन, पंद्रह मिनट में सभी हिन्दुओं को कत्ल करने की मंशा रखने वाले ओवैसी, देश के हर हिस्से को तोड़ने की चाहत रखने वाले चीनी दलाल राहुलसुर, टोटी चोर अखिलेश, ऐ.सी चोर कन्हैया, दोगले व्यवहार करने वाले गहलौत, खालिस्तान या किसान के नाम पर आई. एस.आई. एवं कनाडा द्वारा उत्प्रेरित आतंकियों, दोहरे चेहरे रखने आने धूर्त खेजड़ीवाल जैसे नेताओं की देश के किसी भी क्षेत्र में कोई कमी नहीं है।
चीन तथा पाकिस्तान के रहनुमाई करने वाले बिके हुए भ्रष्टाचारी दलाल जिसमें नेता एवं प्रशासनिक क्षेत्रों में काम करने वाले लोग भी हैं; प्रायः हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने का काम करते हैं। भोली हिन्दू जनता मुफ्त की रेवड़ी या कुछ पैसों के लोभ में नेताओं की कुटिलता पहचान नहीं पाते हैं एवं उनकी धूर्त चालों के शिकार हो अपना कीमती वोट उन्हें दे जाते हैं। सरकारी नुमाइंदे जो स्वार्थवश विदेशियों को पनाह दे उनके लिए आधार कार्ड, वोटरकार्ड,राशनकार्ड आदि बनाते हैं, वे भी देश के विशेषतः हिन्दुओं के दुश्मन ही हैं। जालसाजी करने वाले ईसाई मिशनरियों, देशद्रोही नेताओं एवं घुसपैठिये जिहादी-आतंकियों के कारण उत्तरपूर्व के हिन्दू कब तक सुरक्षित रहेंगे कहना मुश्किल है! भारतीयों को सीमा पार चीनी या पाकिस्तानियों से ज्यादा खतरा तो अंदरूनी देशद्रोही लुटेरों, जिहादियों को पनाह देने वाले नेताओं एवं आई.एस.आई. तथा तालिबानियों को अपना आराध्य मानने वाले मुसलमानों से है जिन्हें पहचान कर अलग-थलग करना भी मुश्किल होता है।
देश के युवाओं एवं भारत की संस्कृति को आत्मसात कर जीने वाले देशभक्त मुसलमानों को यह जानकारी हासिल कर महसूस कराना आवश्यक है कि उनके पूर्वजों को प्रताड़ित कर, उन्हें जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया है अतः इस्लाम की अनैतिक मान्यताओं एवं विचारों का त्याग कर अपनी सत्य-सनातन-इंसानियत के धर्म एवं देश की मिट्टी प्रति अपनी देशभक्ति को अपने व्यवहार में भी अपनाएं। ऐसी कट्टर मान्यताएँ, ध्येय एवं नियमावली जो इंसानियत विहीन विकृतियों को सहज स्वीकार कर मजहब के नाम पर पापकर्म, आतंकी गतिविधियाँ, लूट-पाट एवं क्रूरता को बढ़ावा देती है वह सिर्फ डाकुओं एवं बर्बर जानवरों की जनसंख्या ही बढ़ाती है। भारतीय मुसलमानों को अपने जड़ों एवं पूर्वजों के प्रति सत्कार स्वरूप अपने मूल धर्म इंसानियत, उदारता, दया, एवं देशभक्ति को स्वतः ही स्वीकारना चाहिए।
प्रत्येक नागरिक के लिये देशहित के लिए काम करने वाले नेताओं को पहचानना, देशद्रोहियों को पनाह देने नेताओं एवं व्यक्तियों को भी पहचान कर उनका तिरस्कार करना एवं देश की सुरक्षा के लिए सोचना हर नागरिक का सहज कर्तव्य होना चाहिए। झूठ फैलाने वालों एवं भारत देश के अन्दर वैमनस्यता एवं इसे नुकसान फैलाने वाले व्यक्तियों एवं तत्वों का तिरस्कार करना प्रत्येक नागरिक का धर्म होना चाहिए। धर्म,जाति,समुदाय,नस्ल से परे एकात्मकता, वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास कर देश हित के लिये कार्य करना चाहिए,एवं देशहित का कार्य करने वाले नेताओं को ही चुनना चाहिए क्योंकि देश सुरक्षित रहेगा तभी देश के नागरिक भी सुरक्षित रह सम्मानित जीवन व्यतीत कर पायेंगे।