Dr Sumangala Jha, Chief Editor

सम्पादकीय: धमाकेदार मार्च 2024

फ़रवरी माह में बसंत पञ्चमी पर ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा के बाद मार्च महीना में महाशिवरात्रि का पर्व उपवास, उत्साह और उमंग के साथ संपन्न हुआ। दुग्ध से शिवाभिषेक के संदर्भ में दूध की बर्बादी पर उपदेश देने वालों में भी कुछ कमी आई है, लेकिन हिंदू धर्म पर बदजुबानी करने वाले कई स्थान पर महाशिवरात्रि के अवसर पर छुट्टी न देने की घोषणा करने वाले विषाक्त विदूषकों की बेशर्मी में कोई कमी नहीं आई है। शान्ति से गुजरते हुए मार्च के महीने में जब हमारा ध्यान संदेशखाली के अलावे अंतरराष्ट्रीय युद्ध (इजराइल - हमास, यूक्रेन - रूस) की खबरों पर था कि बदायूं हत्याकांड, बैंगलोर में जिहादियों की दादागिरी, इलेक्टोरल बॉन्ड, चुनाव आयोग का गठन, चुनाव के दिनांक की घोषणा, सी ए ए को लागू करने के प्रशासनिक प्रावधान, खेजरीवाल के द्वारा प्रत्यावर्तन निदेशालय द्वारा भेजे गए नवीं सम्मन की अवमानना के बाद उनकी गिरफ्तारी, जलयान के टकराने से अमेरिका के पुल का टूटना, रूस के अंदर आतंकी हमले जैसी धमाकेदार खबरों ने हलचल मचा दी है।

विदेशियों के कुछ समूह को उनके अपने देश के अन्दर होते घपलों की तो कोई खबर नहीं होती है परन्तु भारत के मामलों में नाक घुसाने में लगे रहते हैं। इसमें विपक्षी दलों के नेता, इनके चाटुकार देशविरोधी पत्रकारिता पर पेट पालने वाले पत्रकार भी सहयोगी होते हैं। विपक्षी दल के नेताओं की आदतें तो सुधरने वाली नहीं हैं। 'ये' देश की रोटी खाने वाले देश के गद्दार; कानून को तोड़ - मरोड़ कर झूठ की चटनी लगा कर; जनता के सामने परोसने के लिए प्रसिद्द है। सच्चाई को जानते हुए भी, बिना सिर पैर के दलीलों के साथ झूठ फैलाना ही इनका कर्त्तव्य है। सरकार द्वारा किये गए विकास कार्य, सुधारे गए प्रत्येक कानून के खिलाफ विपक्षी नेताओं के वकीलों ने अपनी - अपनी अर्जियाँ विभिन्न अदालतों में दायर कर दी है। इस प्रकार प्रायः देशहित में लिए गए निर्णय के विरोध में रोड़े अटकाने के लिए विपक्षियों द्वारा दाखिल की गई अर्जियों के कारण जहाँ अदालत का समय बर्बाद होता है वहीं प्रशासनिक तथा विकास के कार्यों में भी व्यवधान उपस्थित होता है।

इस समयांतराल में राहुल की मोहब्बत के बाजार में भी सरगर्मी बनी हुई है। फलते - फूलते आतंकी समुदाय, देशविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले देशद्रोही समूह, हिन्दुओं, हिन्दू धर्म का अपमान करने वाले इंडि-गठबन्धन के नेता एवं स्वयँ राहुल विंची भी बेबाक हो कर उटपटांग हरकतें तथा बदतमीजी भरे बयानबाजी कर रहे हैं। करोड़ों का काला धन, नशीले पदार्थ तथा हथियारों के तस्कर भी कहीं- कहीं पुलिस के हत्थे चढ़े हैं जो देश में दंगे, हत्या, चुनाव से पहले एवं बाद में अराजकता फैलाने, सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने के उद्देश्य से जाने किन-किन महानुभावों द्वारा आयातित किए जा रहे थे।

मुहब्बत की दुकान द्वारा ऐसी मुहब्बत फैलाई गई है कि बदायूं के एक मुस्लिम पड़ोसी ने उसी हिन्दू परिवार के दो बच्चों का गला रेत कर मार डाला जिसने उस मुस्लिम लड़के को दुकान स्थापित करने एवं उसे चलाने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी। दक्षिण में शान्ति प्रिय कर्णाटकियों के बीच कोंग्रेस की सरकार ऐसी मुहब्बत की दुकान चला रहे हैं कि सड़क और रेलवे ट्रैक पर पसर कर, यातायात रोक कर दिन में पांच बार सियारों जैसे हू -हू के साथ नमाज अदा कर, मोहल्ले के सभी लोगों को परेशान करने वाले जमाती, दुकान के अंदर हनुमान चालीसा सुनने वाले दुकानदार को पीट कर चले जाते है। कोंग्रेसी सरकार जो रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट पर गैस सिलेंडर फटने का बयान दे आतंकियों को बचाने की कोशिश कर रही थी वही दुकानदार को पीटने वाले इस्लामियों को सजा देने के बजाय विरोध करने वाले हिन्दुओं को नफरत फैलाने वाला कह गिरफ्तार कराती है। ऐसा महसूस होता है कि कर्नाटक की कोंग्रेसी सरकार शायद देश-विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों के समर्थन से विदेशों से आयातित आतंकियों को सुरक्षित आवास देने लिए ही मुस्लिम वोटरों को लुभा पायी है। हिन्दुओं को लूट कर, हिन्दुओं के वोट से जीत कर, हिन्दुओं को असुरक्षित वातावरण देने के उद्देश्य से ही खेजरीवाल स्टाइल में फ्री की रेवड़ी तथा थोक के भाव झूठ का पुलिंदा बाँट कर, देश की अर्थ -व्यवस्था को क्षत-विक्षत करने के उद्देश्य से एक गहरी साजिश के तहत सत्ता में आयी है।

चुनावी वादों के अनुसार कर्नाटक में प्रत्येक मोहल्ले में हनुमान मंदिर तो नहीं बनवाया गया है परन्तु मंदिरों को लूटने का कार्यक्रम कोंग्रेसी सरकार द्वारा आरम्भ हो गया है। जाति, धर्म एवं भाषा के नाम पर अनेक व्यापारियों एवं व्यापारिक संस्थाओं पर तोड़-फोड़ और हमले हो रहे हैं। राहुल गाँधी जिन्होंने बजरंग दल, आर एस एस पर रोक लगाने, हिन्दू शक्ति को मिटाने की आवाज उठायी है तथा लोगों को भड़काने, दंगे-फसादों को उकसाने में अपनी पूरी ताकत रक्तबीज राक्षसों के साथ मिलकर झोंक दी है, उस पर यही कहा जा सकता है कि यहाँ के हालात भी ज्यादा दिन शान्ति पूर्ण नहीं रह सकते हैं। कोंग्रेस एवं इनके गठबंधन के मुहब्बत की दुकानों में हिन्दुओं को काफिर कह उनकी हत्या करने वाले, हिन्दू धर्म के प्रति नफरती बयानबाजी करने वाले, गोहत्या करने वाले नापाक दरिंदे, खून-खराबे करने वाले आतंकवादी, नशीले पदार्थों एवं हथियारों के तस्कर पूर्ण सुरक्षित हैं।

अब आगामी चुनाव में ये देखना है कि हिन्दू और कितना बेवकूफ बनते हैं? इन मुहब्बत की दुकान चलाने वाले लोगों को फलते-फूलते रहने देने में ये उनके कितने मददगार बनते हैं क्योंकि राहुलासुर के नेतृत्व में दृष्टि विहीन 'इंडि' ठगबंधन 'सिर्फ मोदी को हटाना, हिन्दुओं को मिटाना" के नारे के साथ चुनाव लडने आ रही है। इनके मुहब्बत की दुकानों में सत्ता के लिए साम-दाम-दण्ड भेद के सहारे जीत कर आने वाले भ्रष्ट नेता भरे पड़े हैं । इनके पुराने दस्तावेजों को टटोलें तो इनमें लूट, घृणा, खूनी राजनीति, देश विरोधी, हिन्दू विरोधी, चीनी और पाकिस्तान प्रेम के वक्तव्य, नशीले पदार्थों, स्वर्ण तथा हथियारों की तस्करी की गतिविधियों के कारनामों के साथ ऐतिहासिक पुरातात्विक सामग्रियों का अवैध निर्यात की कहानी भी भरे पड़े हैं। उससे भी ज्यादा खतरनाक इनके चमचे पत्रकार हैं जो भारत के अंदरुनी मामलों पर विदेशों के भारत - विरोधी मानसिकता वाले एवं आतंकी सरगना तालिबानियों जैसे समूहों से राय लेने की शर्मनाक देश विरोधी पत्रकारिता करते हैं।

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