Chief Editor: Dr Sumangala Jha

सम्पादकीय: अभागा बंगाल और संदेशखाली

सन्देशखाली में आदिवासी एवं दलित परिवार, उनकी बहू -बेटियों,औरतों पर अत्याचार की घटनाएँ आज सुर्ख़ियों में हैं परन्तु अफ़सोस है कि मणिपुर पर पटर-पटर बोलने वाली ममता, राहुल, खेजरीवाल, बहुत से कम्युनिष्ट एवं कोंग्रेसी नेता अंधे, गूंगे और बहरे बने हुए हैं। कई मामलों में अल्पसंखयकों की सुरक्षा एवं अधिकारों पर बढ़-चढ़ कर बातें करने वाले लोग, संदेशखाली के टोपीवाले टी.एम्.सी.के कारकुनों, जो बंगाल के अल्पसंख्यक सनातनी जनजातीय एवं दलित हिन्दू समाज की बेटियों के साथ दुर्व्यवहार एवं दुष्कर्म कर रहे हैं, उस पर चुप्पी साधे हुए हैं।

संदेशखाली के समाचारों एवं वहाँ की औरतों के कथनानुसार टी.एम.सी. के ये गुण्डे इतने ढीठ, बेशर्म और दबंग हैं कि ये किसी भी गृहस्थ के दरवाजे को बीच रात में खटखटाते हैं ,उन्हें चार थप्पड़ मार कर, हुक्म सुना जाते हैं कि अपनी बीबी, बहू और बेटी को लेकर दिए गए पते पर आ जाना, तुम्हारी बीबी- बेटी-बहू को कल या कुछ दिनों के बाद वापस कर दिया जायेगा। अन्यथा तुम्हारी मौत अत्यंत खौफनाक तरीके से होगी।"

मौत तथा अत्याचार का डर, इन गृहस्थों को अपने घर की इज्जत गुण्डे हवसी दरिंदों को सौंपने के लिए मजबूर कर देती है। टी.एम्.सी. के गुण्डों की इक्षानुसार गरीब बेबस गृहस्थों की बहु-बेटियाँ कई दिनों तक इन हवसियों के हवस का शिकार, बंधुआ गुलामों की तरह ही बनी रहतीं हैं। कुछ दिनों बाद जब ये वापस आती हैं तो समाज में इन्हे शर्मिंदगी के साथ-साथ गर्भवती होने पर उन बलात्कारियों की औलादों को पालने के लिए भी मजबूर होना पड़ता है, जिसके बारे में उनका यह कहना है कि वे यह भी नहीं बता सकतीं हैं कि बच्चे का बाप कौन सा दरिंदा है। कितना शर्मनाक है कि "स्वतंत्र भारत" के पश्चिम बंगाल में औरतों के साथ होती दरिंदगी ठीक वैसी ही है जैसे बंटवारे के समय पाकिस्तान में हिन्दू स्त्रियों के साथ हुआ करता था या उन्नीस सौ इकहत्तर में बंगाली स्त्रियों के साथ बांग्ला देश में होता रहा था या यह कहें कि वह आज भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में हो रहा है।

संदेशखाली की पीड़ितों के कहे अनुसार इनकी जमीनें भी ये टी.एम.सी.के दरिंदों ने अपने कब्जे में ले लिए हैं। गरीबों के लिए को केंद्र सरकार द्वारा भेजी गयी सहायता राशि भी इन गुण्डों ने जबरन ले लिया है। ये सब ममता सरकार के नाक के नीचे होता है जिसमें वहाँ की पुलिस भी गुण्डों की सहायक बनी रहती है। ममता सरकार की दलित एवं जनजातीय औरतों पर अत्याचार की इंतहा तो यह भी है कि बलात्कार का मामला दर्ज कराने गए लोगों पर ही उल्टा ऍफ़ आई आर दर्ज करा दिया जाता है एवं गुण्डों के साथ मिली पुलिस भी उन बेबसों के साथ दुष्कर्म करती है। जनता के प्रति ममता की उदासीनता या ममता की शह के कारण ही बंगाल पुलिस भी बांग्लादेशी मुस्लिम गुण्डे एवं टी. एम.सी. के गुण्डों को बचाने में लग जाती है।

मिडिया में बंगाल में हिन्दुओं पर अत्यचार की घटनाएं आम हो गयीं हैं जिसके कारण कई स्थानों से उनका पलायन भी हो रहा है,परन्तु संदेशखाली के बारे में जब स्त्री सशक्तिकरण के लिए कार्य करने वाली औरतों ने तथा स्मृति ईरानी ने पत्रकारों के सम्मुख इन बातों को उठाया, शेख शाहजहाँ की गिरफ्तारी की माँग की गयी तो गिरफ्तारी के लिए भेजी गयी आई.जी. के टीम की भी खुले आम वहाँ के गुण्डों द्वारा पिटाई हो गयी।

एक औरत होकर भी ममता ममताविहीन एवं स्त्रीत्वविहीन है जो किसी भी औरत के लिए शर्मनाक है। अपने ही वोटर जनजातियों तथा दलितों एवं उनकी औरतों का शोषण घुसपैठिये बांग्लादेशी गुण्डों, पुलिस गुण्डों के द्वारा शायद वहाँ की ममता सरकार की मर्जी से ही हो रहा है। ऐसा इसीलिए कहा जा सकता है क्योंकि अत्यंत बेखौफ होकर मुस्लिम नेता गरीब हिन्दू औरतों को टी.एम.सी. के कार्यालय एवं निवास स्थानों पर अपने कारकुनों द्वारा धमकियाँ दे कर अपनी ऐयासी के लिए मँगवाते हैं।

ममता की बदजुबानी और बेशर्मी घृणा के लायक है। चेहरे छिपा कर राज्यपाल के सामने दुखड़ा रोने वाली स्त्रियों को ही ममता दोषी बता रही हैं। पीड़िताओं को चुप कराने के लिए उन्हें डराया धमकाया भी जा रहा है। ममता का सार्वजनिक रूप से यह बयान देना कि इन औरतों के पास क्या सबूत है कि इनका बलात्कार हो रहा है इस बात की पुष्टि करता है कि स्त्रीत्वविहीन ममता एक खौफनाक दरिंदगी की मानसिक बीमारी की शिकार हो चुकी है। उसे अपनी जनता के दुखदर्द से कुछ भी लेना देना नहीं है। वह अपनी सत्ता को बनाये रखने के लिए बेशर्मी और दरिंदगी की हदें पार कर चुकी है जहाँ उनके वोटर छद्म आधारकार्ड वाले घुसपैठिये रोहिंग्या हैं। वहीं यह औरत जो औरत के नाम पर कलङ्क है, गुण्डे बांगलादेशियों को टिकट दे कर उन्हें विधायक भी बनाये हुए है ।

ऐसा लगता है बंगाल तथा बांगलादेशी गुण्डे की सहायता से ममता मुफ़्ती या फारुख की तरह ही भारत को तोड़ बंगाल को इस्लामिक देश बनाने के लिए मुसलमानों या इस्लामिक देशों से कोई वादा कर चुकी है। गुण्डा गर्दी कर, हिन्दुओं का शिकार कर मुस्लिम गुण्डों को खुश रखने की कोशिस के अलावे इसका कोई देशधर्म नहीं है। सन्देश खाली की औरतों के अनुसार तो इनका कातिल ही इनका मुंसिफ है तो भला इन्हें (संदेसखाली की औरतों को ) न्याय कहाँ मिलेगा। कौन शेख शाहजहाँ एवं अन्य गुंडों को भी सजा देगा ? .....गांव में कहावत है "सैयां भयो कोतवाल, अब डर काहे को"....जब मुख्य मंत्री ही गुण्डों एवं बलात्कारियों की संरक्षक हो तो उन्हें भला प्रताड़ित औरतों या पुलिस से डर क्यों होगा?"

लानत है बंगाल की मुख्य मंत्री को जो औरत होकर भी औरतों को एवं उसके सम्मान को सुरक्षित नहीं रखती है। आँखें मूँद कर अंधी, कान से बहरी बनी हुई, सत्ता का दुरूपयोग, गुण्डागर्दी बड़ी ही क्रूरता एवं बेशर्मी से करती रहती है।लानत है उन न्यायिक व्यवस्था में बने रहने वाले, स्वतः संज्ञान लेने वाले न्यायपालिका पर भी जो बंगाल की दुरव्यवस्था पर कोई संज्ञान नहीं ले रहे हैं। बलात्कारियों, पत्थरबाजों, आगजनी करने वाले गुण्डों की गिरफ्तारी के मामले को गंभीरता से न ले, उसे रफा-दफा करने में लग जाते हैं। कुछ के मामले में यदि एफ. आई.आर. हो भी जाए तो गिरफ्तारी अधर में लटके रहते हैं। बंगाल के हिन्दुओं, खास कर वहाँ के औरतों की दुर्व्यवस्था को देखते हुए, घुसपैठिये रोहिंग्याओं तथा गुण्डों के प्रति सहानुभूति रखने वाली ममता सरकार का सत्ता में बना रहना देश के लिए घातक है अतः वहाँ की जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वहाँ रष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आवश्यकता है साथ ही घुसपैठिये बंगलादेशीयों को देश से बाहर करना भी आवश्यक है।

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