चलते चलाते : चुनाव का चमत्कार
ये चुनाव है चमत्कार,
बेपर्द हुए हैं होनहार,
हत्यारे, गुण्डे ,दंगाई ,
हो गए इकट्ठे हैं सारे।
जो खोले ठेके दारू के,
जो धुत्त पड़े दारू पी के
वे नशा-मुक्त करवाने के
देते हैं ज्ञान लुढ़कते से।
सत्ते में रहने की चाहत,
हैं बदल रहे नित पार्टी भी।
निंदा एक-दूजे का करते,
हैं स्वार्थसिद्धि में लिपटे से।
धमकी कुछ नेता देते हैं,
कुछ आतंकी के मददगार,
कहते शहीद हत्यारों को,
हैं देशद्रोही के वफादार।
कितने ये रंग बदलते हैं,
वादे करते बेतालों से,
ये झूठतन्त्र की गाड़ी पे,
हैं चले बचाने लोकतंत्र।
आतंकवाद का एक धर्म,
है लूट-मार औ बलात्कार,
दोगले नेताओं का न धर्म,
छलते जनता को बार-बार।
बेचारी जनता को देखो,
उनको तो गुण्डे चुनने हैं,
छोटे गुण्डे या बहुत बड़े,
मतदान उन्हें तो करने हैं।।डॉ सुमंगला झा।