
चलते-चलाते : हिन्दू-नरसंहार
पहलगाम का हिन्दू-ह्त्या
परिचायक है बर्बरता का;
समय आ गया है आतंकी पर
अब आतंक मचाने का I
अपनों ही ने हमको बाँटा
किया था यत्न कटाने का;
सफल भी हुआ कुछ हद तक
हमें आपस में ही लड़ाने का I
जयचंदों ने जूती चाटी
कट्टरवादी अमानुष की;
वोट बैंक के लिए है छोड़ी
साथ स्वयं के परिजनों की I
नरसंहार थे झेले पंडित
जन्मभूमि में प्रताडन का;
बेघर किया डराकर सबको
घायल हुआ सनातन था I
बदल रहा है जन-मानस अब
तमस तमातम सब में डारो;
उठो संगठित हो, हत्यारों को
तुम चुन-चुन कर अब मारो II