Hindu Rashtra demand by Baba Bageshwar

हिन्दू-राष्ट्र, संविधान और बाबा बागेश्वर

आज-कल बाबा बागेश्वर लगभग सारे मीडिया के मुखपृष्ठ पर चर्चे में हैं।उनके अनुयायियों का मानना है कि वे सहज ही लोगों की समस्याएँ समझ जाते हैं और उनके हाथों में चमत्कार है जिससे वे परेशान व त्रसित लोगों के दुखों का निवारण भी करते हैं।कुछ लोगों को उनका चमत्कारी होना रास नहीं आ रहा।इन लोगों को चर्च के पादड़ियों का अपने सामने अजीबोगरीब हरकत कर रहे अनुयायियों को हाथ में एक लकड़ी का क्रॉस हिलाकर छू देने से उन मानसिक रूप से ग्रसित लोगों का ठीक हो जाना तो जायज लगता है किन्तु बागेश्वर बाबा द्वारा वैसा ही चमत्कार को वे ढोंग बताकर परिहास करते हैं।ऐसी ही अजीबोगरीब हरकत करते हुए लोग आपको अनेकों मस्जिदों में भी मिलेंगे जिसे वहाँ का मुल्ला या इमाम द्वारा एक फूँक मारकर या जमजम का पानी छिड़क कर चुटकी भर में ठीक कर देने का नाटक करना उन्हें मान्य है पर बाबा बागेश्वर नहीं। वैसे यह बात और है कि जीसस क्राइस्ट भी ऐसे ही चमत्कारों के लिए प्रसिद्द हुए थे।उधर इस्लाम के संस्थापक मुहम्मद ने भी चमत्कारिक रूप से साम, दाम, दंड, भेद से अरब जनजाति का नरसंहार कर उनको धर्मांतरण के लिए वाध्य कर दिया था।तो चमत्कारी बाबा तब भी थे और अब भी हैं

ऐसा सुनने में आया है कि चर्च और मस्जिदों में चल रही ऐसी गतिविधियों के पीछे हिन्दू वर्ग के कुछ लोगों को आकर्षित कर उनका धर्मांतरण कई दशकों से चलता आ रहा है। यह भी सुनने में आया है कि बाबा बागेश्वर के चमत्कार से कुछ लोगों की घर वापसी हुई है और इससे कुछ पादड़ी और मुल्ले क्षुभ्द हैं।उनके धर्मांतरण के धंधे में बागेश्वर बाबा द्वारा कुछ अड़चनें आ रही हैं और इसीलिए उन चर्चों और मस्जिदों द्वारा अपने-अपने धार्मिक ‘इको सिस्टम’ से बाबा बागेश्वर पर अनेकों आरोप लगाए गए ताकि बाबा डरकर अपनीं चमत्कारी दरबार बंद कर दे; लेकिन लगता है कि उस ‘इको सिस्टम’ का उलटा ही असर पड़ा है।अब बाबा के दरबार में और ज्यादा अनुयायी दीख रहे हैं और उनकी दृष्टि भारत को एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने में टिकी हुई है जिससे वे लोगऔर मोदी सरकार के विरोधी और अधिक सख्ते में आ गए हैं।अब बाबा खुले आम ‘हिन्दू राष्ट्र का’ नारा देते हैं और उनके अनुयायी उनसे दुगुनी आवाज में उनका साथ देते हैं।

यह बात तो सत्य है कि आजादी की शर्त मुसलमानों द्वारा धार्मिक आधार पर देश का बँटवारा पाकिस्तान के रूप में हुआ था। मुसलमानों के लिए पाकिस्तान तो बन गया परन्तु नेहरूजी अपने वोट बैंक राजनीति के लिए हिन्दुओं का अधिकार मार गए। पाकिस्तान से विस्थापित हिन्दू तो अपना सब कुछ गँवाकर सिर्फ जान बचाकर भारत भाग आए परन्तु भारत से विस्थापित मुसलमानों की सारी संपत्ति उनके ‘वक्फ बोर्ड; ने हथिया लिया(read ‘Waqf acts of loot India’ https://articles.thecounterviews.com/articles/waqf-acts-of-loot-india/) Iनेहरू और कांग्रेस की कुनीति से मुस्लिम पर्स्नल क़ानून बना जो अब सामान अचार संहिता के आड़े आ रहा है।मुसलमानों को इतनी छूट मिल गयी कि वे भारत को गज़वा-ए-हिन्द बनाने में जुट गए और अपनीं प्रतिशत जनसंख्याँ को दिन दूनी रात चौगुनी विस्तृत करने लगे। अब तो वे बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को भी अपने बीच बसाने लगे हैं।अब वे अपने मुसलमान वाहुल्य क्षेत्रों से अपने ही घरों में रह रहे हिन्दुओं पर यातना देकर उन्हें पलायन के लिए मजबूर कर रहे हैं और उन्हें अपने जिहादी संगठनों का इसमें पूरा-पूरा साथ मिल रहा है।

मुसलमानों की जूती चाटने वाले राजनैतिक दलों के ७० साल की कुनीति के कारण १९५१ के ~9.5% मुसलमान आज लगभग 17% से ज्यादा हो गए हैं और उसी अनुपात में हिन्दुओं की प्रतिशत घटती जा रही है। अगर भारत का आधिकारिक जनसंख्याँ सर्वेक्षण रिपोर्ट देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि मुसलमानों की जनसंख्याँ वृद्धि हिन्दुओं के 150% ज्यादा है। इसके अलावे विगत की कांग्रेस की 'मुसलमान वोट-बैंक' की तुष्टीकरण की कुनीति के कारण आज लगभग ५ से ६ करोड़ बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान भी अनधिकृत तौर से भारत में आ कर बस गए हैं और भ्रष्ट अधिकारियों की सहायता से फर्जी दस्तावेज बनवाकर भारतीय निवासी होने का झूठा दावा कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर को छोड़कर भी आज भारत के १२ जिलों में हिन्दू अल्पमत में आ गए हैं। इनकी संख्याँ इतनी बढ़ गयी है कि ये हिन्दुस्तान में ही हिन्दुओं को धमकियाँ देने लगे हैं। और हिन्दुओं की कायरता देखिए, वे चुप हैं। उनकी गीदड़ भभकी से डर कर पलायन कर जाते हैं। यह किसी भी तरह बर्दास्त के परे है। समय आ गया है कि सबसे पहले इन्हीं से निबटा जाए।

विश्व में हर धर्मावलम्बियों के लिए एक या अधिक ऐसे राष्ट्र है जो उस धर्म विशेष को राष्ट्र धर्म मानता है। इसमें सिर्फ एक अपवाद हैऔर वह है विश्व का तीसरा सबसे बड़ा 'हिन्दू धर्म' और उसकी शाखाएँ जिसे आम तौर से "भारतीय धर्म" के नाम से बुलाते हैं। आज सबसे बड़ा धर्म समूह ईसाई है (32%)।उसके बाद इस्लाम आता है जो लगभग विश्व का 23% है और तलवार तथा जिहादी आतंक के बल पर लगातार बढ़ता जा रहा है। तीसरा सबसे बड़ा धर्म हिन्दू है जो लगभग 16% है।

अगर हिन्दू धर्म के अन्य शाखाओं जैसे जैन, बौद्ध और सिख को भी इसमें मिला दें तो भारतीय धर्मावलम्बी विश्व में लगभग 20-21% हो जाते है । आज विश्व में एक धर्म विशेष को "राष्ट्र धर्म" मानने वालों में 32% ईसाईयो के लिए 11 देश, 23% इस्लाम के लिए 47 देश, ~5% बौद्धों के लिए ३ देश और 0.02% यहूदियों के लिए १ देश हैं लेकिन 16% हिन्दुओं या 21% 'भारतीय धर्म के लिए ? ठन-ठना-ठन I एक देश भी नहीं।

Reliigion-linked nations in the world

यह हिन्दुओं के लिए ग्लानि तथा विश्व के प्रतिष्ठित प्रजातांत्रिक, मानवाधिकार तथा धर्मपरस्त संस्थाओं के लिए लज्जा की बात है कि भारतीय धर्मावलम्बियों की २१% जनसंख्याँ के धार्मिक कल्याण के लिए वे सब अब तक उदासीन हैं। आज मोदीराज में कुछ तो हिन्दू जन-जागरण हुआ है और लोगों ने आवाजें उठानी शुरू कर दी है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी धार्मिक आवादी के लिए एक भी राष्ट्र क्यों नहीं ? भारत क्यों न एक हिन्दू राष्ट्र घोषित हो ? (पढ़ें भारत एक हिन्दू राष्ट्र क्यों न हो ? https://articles.thecounterviews.com/articles/india-hindu-nation-rashtra-indian-religions) I

भारतीय स्वतन्त्रता के लगभग ७५ सालोपरांत मोदीजी के नए भारत में जहां लोगों को अपनीं बात रखने की स्वतन्त्रता है, यह सवाल बार बार उठाया जा रहा है कि विभाजन विभीषिका के उपरान्त भी भारत को हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं बनाया गया ? जहाँ जिन्ना और अन्य शासक मुसलमानों के लिए इस्लामिक पाकिस्तान बनाने में सफल रहे वहीं गांधी, नेहरू, सरदार पटेल, आंबेडकर आखिर हिन्दुओं के प्रति क्यों उदासीन रहे ? गांधीजी तो हिन्दुओं के प्रति उन्हीं दिनों से असंवेदनशील थे जब मुसलमानों ने १९२१-२२ में मोपल्ला हिन्दू नरसंहार किया था। कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए भी मुसलमानों के विरुद्ध वे कुछ नहीं बोले, न ही कुछ किया। स्वतन्त्रता से पूर्व उनहोंने देश का विभाजन कबूल कर लिया, मुसलमानों के हमदर्द बने रहे लेकिन हिन्दुओं के लिए कुछ भी नहीं किया।नेहरू जी तो मुसलमानों को अपना 'वोट बैंक' बनाने के लिए धर्म निरपेक्षता के मार्फ़त हिन्दुओं का सर्वस्व लुटा बैठे जिसका घाव हमें अभी तक नासूर बनकर तकलीफ दे रहा है (पढ़ें “विभाजन विभीषिका और भारतीय धर्म” https://articles.thecounterviews.com/articles/indian-partition-and-indian-religions/) । इस पर सरदार पटेल और आंबेडकर की चुप्पी समझ में नहीं आती।

भारत को हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र बनाने में मुसलमानों का अधिकतम विरोध होगा क्योंकि ISIS के आका अल-बगदादी द्वारा दिया गया उनके “विश्व इस्लामिक खलीफत” का स्वप्न टूट जाएगा जिसमें भारत भी शामिल है। स्वतंत्रोत्तर ~9.5% मुसलमान आज लगभग 17% हो गए हैं और यहाँ के हिन्दुओं के खिलाफ जिहाद तक छेड़ने के लिए तैयार हैं, हिन्दुओं का नरसंहार करने की भी धमकी देने लगे हैं। AIMIM के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने तो यहाँ तक कह दिया था कि "भारत से १५ मिनट के लिए पुलिस हटा लो तो मुसलमान हिन्दुओं का सफाया कर देंगे" और यहाँ के १०० करोड़ हिन्दुओं ने दब्बू बनकर इसे सुन भी लिया और सहन भी कर गए । हम 'क्षद्म धर्म-निरपेक्षता' से बुरी तरह जूझ रहे हैं।

Muslim threat to Hindus in India

मुसलमानों के बारे में एक कटु सत्य से ज्यादातर लोग अभी भी आँखें चुरा रहे हैं कि वे कभी भी हिन्दुओं के हितैषी न थे, न हैं और न रहेंगे। इसमें हम उन मुट्ठी भर 'अपवाद-स्वरुप' मुसलमानों की बात नहीं कर रहे हैं जो बहुत अच्छे हैं लेकिन वे भी अतिवादियों, जिहादियों या आतंकवादियों के खिलाफ अपनी जुबान नहीं खोलते। मुसलमानों को जब भी, जहाँ भी मौका मिलेगा अपना अधिपत्य जमा लेंगे और दुर्भाग्यवश उनके तलवे चाटने वाले बहुतों हिन्दू नेता और उनकी पार्टियां… चाहे वो लल्लू यादव का RJD, मुलायम यादव का समाजवादी, ममता का तृणमूल तथा कई अन्य… तैयार हैं।कम्युनिष्टों ने तो जिहादियों को अपने कैडर में भी शामिल कर लिया है और अब तो कांग्रेस भी खुले आम अतिवादियों और जिहादियों से साँठ-गाँठ कर लिया है (पढ़ें “Congress loses conscience, allies with Radical Muslims” https://articles.thecounterviews.com/articles/congress-rahul-radical-muslims-furfura-iuml-kerala-assam-bengal/) । स्वतंत्र भारत में भी हम मुसलमानों की बर्बरता कश्मीर में पंडितों के खिलाफ तथा भागलपुर, गोधरा, मुज़फ्फरनगर, तेलिनीपाड़ा व पूर्णियाँ जैसे अनेकों क्षेत्रों में हिन्दुओं के खिलाफ देख चुके हैं। वे हिन्दुओं के प्रति अपनी घृणा व्यक्त करने के लिए हिन्दुओं को या उनके गाँवों को ही जला देंगे और उनका कुछ भी नहीं होगा और ऐसे मामलों को हिन्दू-विरोधी नेताओं द्वारा रफा-दफा कर दिया जाएगा।वे भारत में ही मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से हिन्दुओं को पलायन करने के लिए बाध्य कर देंगे चाहे वह कश्मीर हो, मेवात या कैराना जैसे अनेकों क्षेत्र। वैसे यह बात और है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या से आए अवैध मुसलमानों को अपने बीच बसाने के लिए वे देश से गद्दारी तक कर लेंगे।

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने देने की खिलाफत सिर्फ मुस्लिम ही नहीं अपितु ईसाई भी करेंगे। जहाँ एक ओर मुसलमानों से भारत व हिन्दुओं को हमेशा उनकी घृणा, असहिष्णुता, क्रूरता तथा लूट खसोट ही मिली वहाँ ईसाई आक्रांताओं का लूट व क्रूरता केअलावे एक हितकारी पक्ष भी था...आधुनिक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तथा उन्नत तकनीकी का समावेश। ब्रिटिश सरकार और मिशनरी ईसाईयों ने ब्रिटिश तथा स्वतंत्र भारत में अनेकों स्कूल, कॉलेज, अस्पताल तथा उन्नत वैज्ञानिक तकनीक का प्रचार-प्रसार भी किया। हिन्दुओं को उनसे सिर्फ एक ही बात की नाराजगी है कि वे हिन्दुओं को प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने में लगे हैं। पूर्वोत्तर के चार राज्य लगभग स्वतन्त्रता के पश्चात से ही ईसाई बाहुल्य हैं । उनका वर्चस्व पहले केरल में भी था किन्तु गत दो दशकों से यहाँ वे भी मुसलमानों के कट्टरपंथ से पीड़ित हैं और चुपचाप झेल रहे हैं। भारत को ईसाईयों से ज्यादा खतरा नहीं है, वे १९५१ में भी लगभग 5-6% थे और आज भी ~6% हैं। हाँ उनके पादड़ियों द्वारा देश के पिछड़े इलाकों में सामूहिक धर्मांतरण की गतिविधियाँ अवश्य बढ़ी थी जिसके चलते वजरंग दल ने उड़ीसा में उनपर छिट पुट हमला भी किया था।आजकल जगन रेड्डी और स्टालिन हिन्दू का चोला पहन कर अवश्य हिन्दू विरोधी गतिविधियों में लिप्त, ईसाई मिशनरियों को बढ़ावा दे रहे हैं जिसके लिए हमें सजग रहना होगा।

'हिन्दू राष्ट्र’ बन जानें से मुल्लों तथा ईसाई मिशनरियों की धर्मांतरण की गतिविधियों पर अंकुश सा लग जाएगा जिसके लिए विदेशों से उन्हें अपार धन उपलब्ध कराया जाता है। अभी तक सिर्फ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा विश्व हिन्दू परिषद् जब भी यदा कदा 'हिन्दू राष्ट्र' का जिक्र करती, इस बात पर राजनैतिक महाभारत सा छिड़ जाता था । मुसलमानों, ईसाईयों तथा उनके तलवे चाटने वाली राजनैतिक दलों के सीने पर मानो साँप लोट जाती थी । अब तो बाल ठाकरे द्वारा हिन्दुओं की रक्षा के लिए बनायी गयी 'शिव सेना' भी उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में सोनियाँ भक्ति में लीन मुसलमानों के ही तलवे चाट रही है। भला हो बाबा बागेश्वर का कि १३० करोड़ हिन्दुओं के लिए एक मात्र ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने के लिए एक प्रजातांत्रिक बहस शुरू हो गयी है जो हिन्दू जनमत को अवश्य गतिशील करेगा।कुछ लोग तो संविधान की भी दुहाई देंगे कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है।अभी तक जैसे १०५ संविधान संशोधन हो चुके हैं वैसे ही भारत को 'हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र ' बनाने के लिए एक और संशोधन करना पड़ेगा जिससे आगे का रास्ता प्रशस्त हो सके।

उधर अचानक हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देने से संभव है किअतिवादी मुसलमानों के अलावे कुछ अतिवादी ईसाई समूह भी हिन्दुओं या भारत के प्रति कट्टरवाद या आतंकवाद में जुट जाएँ। तो यह माना जाना चाहिए कि हिन्दूराष्ट्र बनाने का यह कार्य बहुत ही मुश्किल और संवेदनशील होगा लेकिन देश व हिन्दू हित में इसे संपन्न करना ही पड़ेगा। यही एक मात्र तरीका है जिससे भारतीय धर्मावलम्बी सुरक्षित हो सकेंगे और देश का धार्मिक जनांकिकी (religious demography) व समीकरण संतुलित रह सकेगा। फिर हिन्दुओं को अपने ही सरजमीन से पलायन के लिए वाध्य नहीं होना पडेगा।

अब समय आ गया है कि हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा सिख एक जुट हो जाएँ और “हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र” के लिए संघर्षरत हों जिसमें भारतीय धर्मावलम्बियों का वर्चस्व हो तथा अन्य लोगों का अहित भी न हो। भारत अब हिन्दुओं का अहित चाहनें वाले मुसलमानों, ईसाईयों तथा क्षद्म धर्म निर्पेक्षियों या धर्म विरोधी कम्युनिष्टों से डरकर नहीं रह सकता। स्वतन्त्रता उपरान्त ७५ वर्षों में हम आज मुसलमानों का जिहाद (जिहाद-अल-दावा और जिहाद-अल-निकाह) भुगत रहे हैं I भारत में इस्लामिक अतिवादियों एवं आतंकवादियों का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है।

हिन्दुओं का धीरे धीरे ह्रास होता जा रहा है जिसमें उनकी १९५१ की जनसंख्यां 86% से घटकर अब 78% के करीब आ गया है। हमारी धरती इस्लाम रूपी कैंसर से ग्रसित होता जा रहा है। हमारे मंदिर तोड़े जा रहे हैं, साधुओं की हत्याएँ हो रही है तथा इस्लामी धार्मिक कट्टरता बढ़ता ही जा रहा है। हमारी बहु-बेटियों पर लभ-जिहाद का खतरा बढ़ता जा रहा है (Combating Love-Jihad in India) . मुसलमानों द्वारा उनकी अस्मिता लूटी जा रहीं हैं। यह सब हिन्दुओं काआत्म-सम्मान के विरुद्ध है। हिन्दुओं को अपनीं ही सरजमीं से बेदखल किया जारहा है।

इस 'हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र' में हिन्दू, सिख, बौद्ध तथा जैन धर्मावलम्बियों के लिए निम्नलिखित मुख्य प्रावधान होंगे :-

  • वे भारत के मौलिक नागरिक होंगे तथा उन्हें किसी भी तरह अपने घरों से विस्थापित नहीं किया जा सकेगा।
  • उनकी धार्मिक जनांकिकी (religious demography) का ह्रास होने नहीं दिया जाएगा।
  • उनका अवैध रूप से धर्म परिवर्तन करने वालों को मृत्य दंड तक की सजा मिल सकती है।
  • स्वतन्त्रतोत्तर विभाजन पश्चात पलायित मुसलमानों और ईसाईयों की जमीन भारत सरकार अपने अधिकार में लेकर विदेशों से आए धार्मिक प्रताड़ित हिन्दुओं को देंगे ।
  • भारत के सभी पाठ्यक्रमों में सनातन धर्म सम्बन्धी मौलिक शिक्षा समाहित होंगी।
  • मुसलमानों द्वारा तोड़े या मस्जिदों में बदले गए हर मंदिरों का जीर्णोद्धार हो।
  • मुख्य मंदिर परिसरों में पुनः आध्यत्म शिक्षा, धर्म प्रवचन तथा बौद्धिक परामर्श की शुरुआत हो।
  • जिस तरह जनजातियों के सुरक्षा का प्रावधान संविधान में दिया गया है वैसा ही प्रावधान सभी हिन्दुओं को मुस्लिम वाहुल्य क्षेत्र में मिलेगा।
  • किसी भी विदेशी या बाहरी धर्म को भारत में किसी भी प्रकार का रूढ़िवादी गतिविधि नहीं करने दी जाएगी।
  • भारतीय धर्मों को अपमानित करने वाले गैर-हिन्दुओं के लिए विशेष सजा का प्रावधान हो।
  • पिछले १५०० वर्षों में मुसलमानों और अंग्रेजों द्वारा हिन्दू समाज में जो जाति व वर्ग विषमता उत्पन्न किए गए हैं उसे समाप्त कर हिन्दुओं में पुनः एकता लाई जाए।

भारत को ‘हिन्दू-राष्ट्र’ घोषित करना ही होगा। विश्व की 21% की आवादी को धार्मिक प्रतिनिधित्व देने वाला कम से कम एक ‘हिन्दू-राष्ट्र’ तो होना ही चाहिए और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग को भी कोई आपत्ति नहीं होगी… अपितु… इतने बड़े धार्मिक समूह को एक 'राष्ट्र धर्म' प्रतिनिधित्व देने में संयुक्त राष्ट्र को गर्व ही होगा। ( read “Shamefully Biased UN Human Rights Council”; Page-7; https://www.researchgate.net/publication/354753650_Shamefully_Biased_UN_Human_Rights_Council) I यह सब भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार द्वारा ही संभव है । लेकिन मोदीजी या अमित शाह फिलहाल 'हिन्दू राष्ट्र' की और कदम बढ़ाने से बच रहे हैं I वे भी शायद एक बड़ी जनभागीदारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं I अब तो संसद के ऊपरी सदन में बहुमत होने के कारण इस संविधान-संशोधन विधेयक को पास करना मुश्किल नहीं होगा I वैसे मुसलमानों-ईसाईयों के तलवे चाटने वाली राजनैतिक पार्टियाँ अपनी एड़ी-चोटी का दम लगा देगी कि यह विधेयक किसी तरह से पास न हो।गत दो सालों से अधिकांश भारतीयों की मनसा रही है कि मोदी सरकार इस सम्बन्ध में कुछ संविधान संशोधन बिल संसद में पास कराएगी लेकिन गृह मंत्री जी की पहल नहीं हो रही है (पढ़ें "Urgent Issues being ignored at our Parliament” https://articles.thecounterviews.com/articles/urgent-issues-being-ignored-parliament/) I विश्व भर के हिन्दुओं को मोदी सरकार से काफी आशाएं हैं।बीजेपी ही एक ऐसी राजनैतिक पार्टी है जो हिन्दुओं का हितैषी हो सकती है।अब तो मोदी सरकार को भी सोशल मीडिया पर सलाह मिल रही है कि २०२४ लोक सभा चुनाव में हिन्दू मत पाने के लिए उसे अपने चुनावी संकल्प पत्र में 'हिन्दू राष्ट्र" स्थापना का वचन लेना होगा।

Social media demand for Hindu Rashtra

समय आ गया है कि भारत को एक "हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र" घोषित किया जाए। इसके लिए देश के समस्त हिन्दू समाज बाबा बागेश्वर के सुर में सुर मिलाकर देश में जनमत बनाएँ और मोदी सरकार को वाध्य करें कि वे अगले चुनाव में भारत को एक 'हिन्दू राष्ट्र ' बनाने का संकल्प लें। इसपर जो जनतांत्रिक बहस होनी थी वह कमोवेश हो चुकी है। बाबा धीरेन्द्र शास्त्री जी ने जो पहल शुरू की है, आवश्यकता है उसे बढ़ाने की, और भी अधिक जन प्रतिनिधित्व की, हमारे शंकराचार्यों को इससे जोड़ने की I अब देश के बहुसंख्यकों की और अवहेलना नहीं की जा सकती है। यहाँ ऐसे लोगों को भी नागरिकता में प्राथमिकता दी जाए जिसके लिए कोई भी धर्म राष्ट्र नहीं है (जैसे पारसी)। हाँ ! यहाँ के अल्पसंख्यकों को वो सारे अधिकार अवश्य देने चाहिए जो उनके धर्म राष्ट्र देशों (जैसे इस्लामिक या ईसाई देशों) में हिन्दुओं को दी जाती है।

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