Demons in Islam

जिन्न, दानव या वेताल ?

जिन्न से भी खतरनाक ये दानव.......

बोतल के जिन्न की या वेताल की कहानी लगभग सभी ने किसी न किसी संदर्भ में अवश्य सुनी होगी, एक बार फिर एक जिन्न की व्याख्या नए अंदाज में आप पढ़ें तो निश्चित ही उसे आप महसूस करेंगे। मस्तिष्क की खुली आंखों से उसे दुनियाँ की तबाही करते देख भी पायेंगे। जिन्नों को, वेतालों को अगर अन्य प्रजातियों को खाने से फुरसत मिल जाए तो अपने पैदा करने वाले, पालने वाले आका को भी खाने के लिए तैयार रहते हैं। हवस के भूखे वेतालाें के इस दुनियाँ में अनेकों उदाहरण भरे पड़े हैं। इंसानियत की रक्षा के लिए खतरनाक जिन्न, वेताल या राक्षसों का क्या करें यह समूची दुनियाँ के इंसानों को सोचना ही होगा।

आज समूची दुनियाँ इस्लामिक जिहादियों की घिनौनी मानसिकता से परिपूर्ण आतंकवाद, हत्या, बलात्कार, लूट - पाट, आगजनी, तोड़ - फोड़ से प्रताड़ित हो रहा है, इन रक्तबीज राक्षसों को प्रताड़ित समझने की भूल कर, इन्हें शरण देने वाले देश, अपने मूल वाशिंदों (नागरिकों) को भी इन जहिलों से सुरक्षित नहीं कर पा रहे हैं। इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ग्रीस आदि अपनी उदारवादी नीतियों के कारण इन जिहादी कैंसर की चपेट में बड़ी आसानी से आ रहे हैं। सरसरी तौर पर देखा जाए तो जहाँ भी ये जिहादी जमातें हैं, वे सभी शरणदाता देश को, वहाँ के मूल वाशिंदों को अपनी जाहिलता, बर्बरता, क्रूरता और विकृत मानसिकता के साथ- साथ जनसंख्या विस्फोट द्वारा उन्हें बर्बाद करते हैं।

स्वयं को प्रताड़ित बताने वाले ये जिहादी मानसिकता वाले लोग खाने के लिए भले ही भीख या लूटपाट पर निर्भर हों परन्तु हथियार इन सभी के पास होते हैं। कुरान की तालीम के कारण चार बीवियों द्वारा अनगिनत बच्चे पैदा करना, गैरइस्लामियों को लूटना इस्लामी कट्टरवादियों का पेशा है। इस्लाम के उदय के साथ ही ये इस प्रकार के घिनौने कार्य में तल्लीनता से लगे रहते हैं। मजे की बात है कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर, अपने आप को सताया हुआ बताने की नाटक करने में ये जमाती अच्छे से अच्छे अभिनेताओं को भी पीछे छोड़ देते हैं। गरीबी के बावजूद इनके पास देशी कट्टे, तलवार, गोले बारूद हथियारों या आतंकियों को समर्थन देने के लिए उम्माह के तहत विभिन्न जालसाजी एवं तरीकों की कमी नहीं होती है। नाबालिग बच्चों को भी हत्या करने का प्रशिक्षण दे कर उनसे हत्याएँ करवाना, उन्हें नाबालिग कह, बचाने के लिए मनवाधिकार वालों का सहारा लेने जैसे घृणित कार्य करने से ये नहीं चूकते हैं। इनकी घृणित मानसिकता ही इन्हें समूची दुनियाँ में घृणा का पात्र बना रहे हैं, जिसे आज इस्लामोफोबिया कहा जा रहा है।

भारत एवं इसके शांतिप्रिय मूल वाशिंदे तो कई मोर्चे पर इन अंदरूनी एवं वाह्य हिन्दू विरोधी मानसिकता वाले जिहादियों की क्रूरता का शिकार हो रहे हैं। कश्मीर, दिल्ली, बंगाल, केरल, तमिलनाडु, हरियाणा, लगभग सभी राज्यों में जहाँ भी जिस मोहल्ले में भी इनकी जनसंख्या ज्यादा है, अपनी जाहिलता, बर्बरता, क्रूरता का परिचय देते हुए गैर इस्लामियों को सताने में, जबरन उनको डरा धमका कर इस्लाम काबुलवाने में तल्लीनता से एकजुट हो जाते हैं। किसे कब कैसे लूटना या मारना है, किस तरह अल्पसंख्यक प्रताड़ना का पत्ता खेलना है, किस तरह उन्हें (हत्यारों, लुटेरों या अन्य गुनहगारों को) बेगुनाह साबित करना है, कैसे नेता, मौलाना, वकील एवं पुलिस को अपने में मिलाना है, किस तरह भीड़ इकट्ठा कर पत्थरबाजी या आगजनी करनी है, ये सब इनके उम्माह के तहत जमाती नमाज के दौरान ही तय किया जाता है। जिसे वे किसी न किसी बहाने कार्यान्वित करते ही रहते हैं। इनकी जिहादी विकृत मानसिकता, बर्बरता और जाहिलता की सीमा रेखा तय करना मुश्किल है। शायद ही कोई क्षेत्र बचा हो जहाँ इनकी नीचता के उदाहरण न मिलते हों।

लवजिहाद में हजारों लाखों औरतों, लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करना, रेल जिहाद के नाम पर रेल की पटरी पर पत्थर रख, पटरी उखाड़ या फिशप्लेट गायब कर रेल हादसों को अंजाम देना, रेलवे के बेडशीट कंबल आदि चुराना, रास्ता रोक कर नमाज के लिए पसर जाना, तीर्थ यात्रियों के बसों, ट्रेन पर बॉम्ब ब्लास्ट या पत्थरबाजी करना, बच्चों को जिहादी मानसिकता वाले अपराधी बनाना, नाबालिगों द्वारा हत्याएं करवाना, वक्फबोर्ड द्वारा जबरदस्ती जमीन हथियाना, रोशनी एक्ट के तहत कश्मीर में हिन्दुओं की संपत्ति हथियाना (जो फारुख अब्दुला के चीफ मिनिस्टर रहते आरम्भ हुआ था) आदि जाने कितने जिहाद और कितने तरीके के जिहाद हैं, गिनवाना मुश्किल है। सभी प्रकार के जिहाद का तात्पर्य हिंदुस्तान में हिन्दुओं को लूटने, उनकी हत्याएँ करवाने के लिए कॉन्ग्रेस एवं नेहरू - खान - माइनो परिवारों के द्वारा रचाई गई गहरी साजिश है जिसे पैसठ सालों में चुपचाप बड़े स्तर पर, दूरसंचार साधनों पर नियंत्रण रखते हुए किया जाता रहा है।

आज भी उसके इंडी ठगबंधन में शामिल राजनीतिक पार्टियों द्वारा भ्रष्टाचार की मानसिकता वाले लोगों को बचाने का कार्य पूरी तत्परता से कर्नाटक, केरल, बंगाल आदि जगहों पर किया जा रहा है। कठपुतले, चमचे नेता एवं उनके गुंडे देश विरोधी, हिन्दू विरोधी मानसिकता वाले लोगों द्वारा अनेकों अनैतिक कार्यों में लिप्त हो रहें हैं। कुछ राज्यों में इंडी ठगबंधन वाले नेताओं के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार, अनैतिकता, क्रूरता भरे कारनामों की तालिका इतनी लम्बी है कि गिनवाना मुश्किल है।

आज हिन्दुओं को अपने ही देश में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए निरन्तर संघर्ष करना पड़ रहा है जहाँ सुप्रीम कोर्ट भी संवेदनहीनता का परिचय दे रही है। कुछ बेशर्म कांग्रेसी वकील तो घुसपैठियों, हत्यारों, गुनहगारों, देशद्रोहियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी तुरंत पहुँच जाते है लेकिन हिंदुस्तान में भी हिन्दुओं पर होते जुर्म पर चुप्पी लगाए रहते हैं। इस्लामिक देशों में तो हिन्दू नाम मात्र के ही बचे हैं, जो बचे भी हैं वे निरन्तर अमानवीय प्रताड़ना के शिकार हैं। मानसिक नीचता की पराकाष्ठा है कि अपने ही देश के कुछ नेता जो पेलेस्टाइन के मुसलमानों के लिए विधवा विलाप करते हैं उन्हें इस्लामिक देशों में हिन्दुओं की दुर्दशा दिखाई नहीं देती है।

हिन्दुओं की दुर्दशा पर भारत के नेता यह अंतर्राष्ट्रीय मामला या यह अन्य देश का मुद्दा है कह कर देश या अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी कोई आवाज नहीं उठाते है। हिन्दुओं के अस्तित्व की रक्षा के लिए देश में भी कोई विशेष कानून नहीं बना है। यदि आज देश या हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए कुछ करने की कोशिश की जाती है तो उसका विरोध करना कॉन्ग्रेस एवं एवं इंडी ठगबंधन का मनोवांछित कार्य हो गया है। इससे भी शर्मनाक है कि भारत में रह कर, हिन्दुओं के पैसों पर पल कर, हिन्दुओं की जमीन पर वाशिंदे बन कर, हिन्दुओं के वोट से सत्ता में आकर कांग्रेस के हिन्दू नेता भी देश विरोधी, हिन्दू - विरोधी, स्त्री-विरोधी मानसिकता वाले, अखिलेश, राहुल, ममता, स्टालिन, पिनराई, ओवैसी आदि का साथ देते हैं। ये अप्रत्यक्ष रूप से अनाचार, भ्रष्टाचार, नरसंहार करने वाले समूहों को उत्प्रेरित कर रहे होते हैं।

हिन्दुओं के साथ छल की पराकाष्ठा ये है कि ये हिन्दू विरोधी मानसिकता वाले समूह आज देश को बांटने, हिन्दुओं का नरसंहार करवाने एवं देश को गृहयुद्ध की आग में धकेलने की कोशिश में तल्लीन हैं परन्तु इन्हें (इंडी गठबंधन के हिन्दू नेता) अपनी व्यक्तिगत स्वार्थ एवं तुष्टिकरण की राजनीति से फुरसत नहीं है। ज्यादातर देश यूँ ही युद्ध एवं गृह युद्ध में तल्लीन हैं, जिन्हें हथियार और खाना दोनों ही लड़ने के लिए दिया जा रहा है। इंसानियत बर्बादी की कगार पर है, शान्ति की स्थापना के लिए सच्चे हृदय से पहल करने वाला कोई नहीं है।

अमानवीयता के विरुद्ध आवाज उठाने वाले, मानवता की दुहाई देने वाले समूह ही जब अमानवीय कृत्यों का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में समर्थन करने लगें तो समूचा विश्व युद्ध की चपेट में कब आ जाएगा पता नहीं। भगवान ही सद्बुद्धि दें भारत के नेताओं को इन युद्ध एवं गृहयुद्ध के भूखे दरिंदें भेड़ियों को क्योंकि कट्टर इस्लामी तो दरिंदे जिन्न की तरह ही हैं जो बोतल से बाहर आए कि तबाही मची।

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