Kejriwal may lose Delhi election 2025

अबकी बार…”खेजड़ी की खैर नहीं”

इस बार की दिल्ली चुनाव में कुछ अप्रत्याशित होने वाला है I हवा की दशा और दिशा का साफ़ संकेत है कि इस बार खेजड़ी की खिचड़ी नहीं पकेगी I लगता है उनके पापों का घड़ा भर चुका है I यह तो सर्वविदित ही है कि आप पार्टी के सर्वे सर्वा केजरीवाल जी ही हैं I उन्ही के बूते दो बार दिल्ली में आप की सरकार बनी और उन्हीं के बूते पंजाब में भी एक नशेड़ी गद्दी पर बैठा है I लेकिन बात सिर्फ यहीं नहीं ख़त्म हो जाती है I दिल्ली में जिस तरह पिछले दो चुनावों में अनेकों चुनावी वादे कर उसे भुला दिया गया यह किसी से छुपा नहीं है I ज्यादातर दिल्लीवासी केजरीवाल सरकार से ऊब गयी है जिसके कारण इस चुनाव में परिवर्तन लगभग तय माना जाता है I इस परिवर्तन के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण निम्नलिखित कारण हैं :-

  • दिल्ली में साफ पीने के पानी का अभाव
  • दिल्ली में पानी की बड़ी किल्लत
  • इस किल्लत में भी आप सरकार पानी टैंकर सिंडिकेट के घोटाले में लिप्त थी 
  • नाली साफ़ न होने से बारिस से आई बाढ़ से भारी तबाही
  • जब दिल्ली बाढ़ से त्रस्त थी, दिल्ली सरकार लापता थी
  • यमुना का पानी घरों को डुबो रहा था और केजरी सरकार हरियाणा पर ठीकरा फोड़ रही थी
  • जब जनता को जरूरत थी सरकार के आधे मंत्री जेल की खिचड़ी खा रहे थे 
  • केजरीवाल अकेले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने जेल से एक पंगू सरकार चलाया
  • केजरीवाल को छुपाने के लिए बहुत कुछ था इसीलिए उन्होंने अपने मोबाइल का पासवर्ड जाँच अधिकारी से साझा नहीं किया
  • कोरोना काल में जब जनता बीमारी से त्रस्त थी, केजरीवाल शराब घोटाले में व्यस्त थे
  • पंजाब चुनाव के दौरान खालिस्तानियों से इनकी साँठ-गाँठ का जबरदस्त संदेह था I
  • मुस्लिम वोट बैंक के लिए इन्होंनें अपना राष्ट्रवाद भी छोड़ दिया और अवैध बांग्लादेशी मुसलमानों को जाली दस्तावेज देकर मतदाता सूचि में डालने की कोशिश की I इतना ही नहीं I केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को दिल्ली सरकार की जमीन को हड़पने की छूट दे दी है I दूसरी तरफ मुल्लों को खुश करने के लिए उन्हें २५००० रुपये ही माहवारी वेतन दे दी और मंदिरों के पंडितों प-रोहितों के लिए ठन-ठना-ठन…कुछ भी नहीं I 

चुनावी वादे से मुकर जाना केजरीवाल की फितरत बन चुकी है I दिल्ली में ५०० नए स्कूल, लन्दन पेरिस जैसी सड़कें, मोहल्ला क्लीनिक की कुव्यवस्थाएँ, मुफ्त जाँच और दवाई के बदले धोखा और घोटाला, स्कूलों में टॉयलेट रुम घोटाला, शीश महल घोटाला, अदि इनके प्रमुख घोटाले हैं I अगर बीजेपी या कांग्रेस के किसी प्रवक्ता से पूछें तो वे खेजड़ी सरकार के A to Z घोटाले गिना देंगे I दिल्ली का दारू घोटाला इनकी एक नयी उपलब्धि मानी जा सकती है जो देश के बड़े बड़े जाँच एजेंसियों के नाक में दम कर रखा था I सब जानते थे कि घोटालूवाल ने बड़ा घोटाला किया है लेकिन उसके IIT दिमाग की दाद देनी चाहिए कि चोरी कितनी चतुराई से की जा सकती है I खैर ! कहावत है कि हर चोर कोई न कोई सबूत तो छोड़ ही जाता है जो श्रीमान केजरीवाल को भी जेल ले गया (पढ़ें "नटवरलाल गए ससुराल", https://thecounterviews.in/articles/kejriwal-goes-jail/) I संक्षिप्त में कहें तो आप सरकार की नाकामियाँ दूर दूर से दिखाई देती हैं और इसीलिए इनका नाम आपदा भी पड गया है I सरसरी तौर पर देखें तो दिल्ली निवासी अब और 'आपदा' झेलने को तैयार नहीं है, यह बदहाली का ही दूसरा नाम है I 

उधर दूसरी तरफ केजरीवाल एक गुंडे से कम नहीं रहे वह चाहे अपने ऑफिस में मुख्य सचिव की पिटाई करना / करवाना हो या अपने शीशमहल में महिला सांसद की पिटाई I टीम खेजड़ी तो बहुतेरे गुंडों से सुसज्जित मानी जाती थी जिनमें संजय सिंह, अमानुल्ला एवं कई अन्यान्य भी हैं I झूठ बोलने में तो टीम खेजड़ी को महारथ हासिल है, बड़ी चतुराई से झूठ बोलना, दूसरों पर लांछन लगाना एवं अपनी जिम्मेवारी से मुँह मोड़ लेना आदि इनकी खासियत रही है I जब भी इनके किसी नेता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता तो ये प्रेसवार्ता बुलाकर बीजेपी द्वारा अपने विधायकों के खरीद फरोख्त का इल्जाम लगा देते जिसका कभी कोई सबूत नहीं दिया गया I इनके प्रवक्ता भी कमाल के रहे हैं I दारु घोटाले के दौरान वे TV चॅनेल्स पर आकर दर्शकों को बरगलाने में वे इतने माहिर थे कि 'आजकल' के घाकुड एंकर को भी चक्कर में डाल देते (पढ़ें “भागते भूत की लंगोटी - हमारे AAP-के कलाकार”, https://thecounterviews.in/articles/cunning-liars-of-aap-party/ and “भागते भूत की लंगोटी: आजतक का अद्भुत ‘दंगल और हल्लाबोल’, https://thecounterviews.in/articles/tv-aajtak-dangal-hallabol/) I केजरीवाल रंग बदलनें में माहिर रहे हैं और इनकी तुलना अक्सर गिरगिट से होती रही है (पढ़ें “चलते-चलाते: "गिरगिट", https://thecounterviews.in/articles/chalte-chalaate-chamelion/) I इनकी झूठ और फरेब पर तो कसीदे और कवितायेँ भी लिखी गयी हैं (पढ़ें "कहाँ से लाते हो ?", https://thecounterviews.in/articles/chalte-chalaate-poem/) I कई लोग इनके IIT दिमाग की दुहाई भी देते हैं (पढ़ें “Inventing Corruptions thru’ IIT brain”, https://thecounterviews.in/articles/inventing-corruptions-thru-iit-brain/) I लेकिन यह कहावत सत्य है कि काठ की हांडी आग पर बार बार नहीं चढ़ती I यही फितरत केजरीवाल जी की भी है I 

दिल्ली सरकार का पतन पिछले पाँच सालों में धीरे धीरे होता गया है I इसका एक झलक गत लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था जिसमें केजरीवाल जी की आप पार्टी देश की सारी विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बावजूद भी बुरी तरह हार गयी थी I जो I.N.D.I.A गठबंधन दावा करती थी कि बीजेपी को दिल्ली से लोक सभा के लिए एक सीट भी नहीं मिलेगी, उन्हें अपनी ही दाँतों तले उंगली दबानी पडी I पैतरा उलटा पड गया I I.N.D.I.A गठबंधन को दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिली I यह तो होना ही था क्योंकि I.N.D.I.A गठबंधन को शुरू से ही चोरों, घोटालेबाजों, कट्टरवादियों और देशविरोधियों का गुट मना जाता था (पढ़ें "देश के गद्दार", https://thecounterviews.in/articles/chors-scamsters-traitors-of-india/) I कौन नहीं जानता है कि केजरीवाल देश के टुकड़े टुकड़े समूह के साथ खड़े रहते थे I शाहीनबाग और खालिस्तानियों के साथ इनकी विशेष मिली भगत तो जग जाहिर था I 

हालाँकि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के चुनावी मुद्दे अलग अलग होतीं हैं, दिल्ली देश की राजधानी है और इसलिए कई मामले साझा होते हैं I कोई मतदाता नहीं चाहेगा कि देश की राजधानी में केजरीवाल जी के आप पार्टी जैसा एक महा भ्रष्ट सरकार हो I फिर उस चुनाव को बहुत दिन नहीं हुए हैं और उसकी याद मतदाताओं के मस्तिष्क में अब भी ताजा होगी I उलटे, केजरीवाल जी के आप पार्टी का मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने वाला एक और घोटाला सामने आया है जिसमें उसके कई विधायक अवैध बांग्लादेशियों को नकली ‘आधार कार्ड’ बनवाकर देने में लिप्त पाए गए हैं (पढ़ें " 'नकली आधार' आधारित समस्याएँ और उसका समाधान”, https://thecounterviews.in/articles/fake-aadhar-card-fake-voters/) I इसीलिए बहुत लाजमी है कि इस दिल्ली चुनाव में भी मतदाताओं की केजरीवाल जी की पार्टी के विरुद्ध भारी नाराजगी के चलते कुछ वैसा ही परिणाम देखने को मिले I 

दिल्ली का विकास लगभग रुक सा गया है I नयी सड़क, स्कूल या अस्पताल नदारत हैं I दिल्ली आज गंदगियों से भरा शहर है I केजरीवाल की वर्तमान सरकार के दौरान कूड़ों का पहाड़ और ऊँचा होता गया है I दिल्ली का पानी और बिजली विभाग धराशायी हो कराह रही है जो केजरीवाल के मुफ्त की रेवड़ी बाँटने का नतीजा है i दिल्ली की बदहाली का एक और कारण है "राज्य और केंद्र सरकारों के बीच का तनाव" है I केजरीवाल ऐसी किसी भी अवसर को नहीं चूकते जिसमें वो शीर्ष बीजेपी नेता या केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा कर सकें या कोस सकें I इसकी प्रतिक्रया के फलस्वरूप बीजेपी भी आप सरकार की किसी भी विफलताओं को बढ़ाचढ़ाकर पेश करने से नहीं चूकती I

दिल्ली में आप पार्टी द्वारा किए जा रहे चुनावी जनसभाओं में मतदाताओं की नाराजगी साफ साफ झलक रही है I अनेकों चुनावी रेवड़ी बाँटने के वादों के बावजूद भी लोग केजरीवाल पर कम ही विश्वास करते हैं I उन्हें मोदी जी की गारंटी पर ज्यादा भरोसा है I उधर रेवड़ी बाँटने का मुकावला तीनों मुख्य पार्टियों (आप, बीजेपी और कांग्रेस) के बीच तगड़ा है I सवाल है सिर्फ भरोसे का, कि किस नेता पर सबसे ज्यादा भरोसा किया जा सकता है और वहीं बीजेपी और नरेंद्र मोदी काफी आगे निकल कर बाजी मार ले जाते हैं I लगता है दिल्ली से केजरीवाल जी का जाना लगभग तय है I लेकिन वे जाएंगे कहाँ ? यह एक अलग मामला है जिसपर भविष्य में कई लेख लिखे जाएंगे I

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