चलते-चलाते : वेद की भाषा बोलेंगे
हम हिन्दू हैं, हम सत्य सनातन, वेद की भाषा बोलेंगे।
जो व्याख्या धर्म की होती है,हम उसको तुम्हें बतायेंगे।
दैवीय गुण से परिपूर्ण हो मानव,तो बनते भगवान कहीं।
बर्बर, जाहिल,हत्यारों को तो ,कहते हैं इंसान नहीं।
औरत का रूप भले कुछ हो पत्नी,बहना,माता, पुत्री,
होती नारी सम्मानित हैं, माता के विभिन्न स्वरूपों की।
अपमान यदि इनका करते, दानव बन कर दुष्कर्मों से,
होते हैं नष्ट सभी दानव, कुत्सित-कुकर्म प्रति शापों से।
संहार हेतु संसार असुर का,बन जाती है दुर्गा,काली।
ममता और प्यार लुटाने को बन जाती है माता गौरी।
बन सरस्वती,लक्ष्मी,तारा करती उपकार मनुष्यों का।
पौराणिक कथा में वर्णित है, ऐसी नारी अवतारों का।
जिसने है जलाया तक्षशिला, बर्बाद किया है नालन्दा।
विज्ञानकोष का विन्ध्वंसक,जँगली,जाहिल है कहलाता।
खूंखार, जानवर आतंकी, होते दुश्मन मानवता के।
जो घृणित कर्मरत रहते हैं, वे दुश्मन देश औ दुनियाँ के।
हम बुत विन्ध्वंसक जाहिल को भी ध्वस्त ही होते देखेंगे।
दुनियाँ के पापी मझहब को,दुनियाँ में उपेक्षित देखेंगे।
हम पतित पाप पैगामों को, दुनियाँ में तिरस्कृत देखेंगे।
हम उनके मझहब में उनको,कट-मर कर गिरते देखेंगे।
जिस पापी ने है फैलाया, बलात गुलामी मझहब की।
दलदल में धँस सड़ जाएँगे ये क्रूर पंथ के अनुगामी ।
दैविक संस्कृति विध्वंसक ये,हत्या औ आगजनी करते।
ये देशद्रोह में लिप्त पतित, बर्बरता ही हैं दिखलाते।
दानव दल के दुष्कर्मों का,संग्रह यह मझहब धर्म नहीं ।
अपमानित स्त्री को करना, वो मझहब होगा, धर्म नहीं।
डाकू,गिरोह हत्यारों को इंसान भी कहना उचित नहीं।
मासूमों की हत्या करना,मझहब होगा पर धर्म नहीं।
जो राक्षस गाय का हत्यारा, गोमाँस चाव से खाता हो।
मानव कहना है उचित नहीं,दानव के वंश का होता वो।
हम कृति विध्वंसक जाहिल को भी बॉम्ब से फटते देखेंगे।
हम सत्य सनातन वेद-धर्म को, फिर से विकसित देखेंगे।
सर आँखों पर ढोने वाले ,पापित शापित पैगामों को ,
घुट-घुट पछताते देखेंगे, इन परिवर्तित मज़हबियों को।
जिस दैत्यभूमि के दानव ने, है कत्ल किया मानवता को,
उस महा दैत्य को हम एक दिन, दुनियाँ में घृणित ही देखेंगे।
हम हिन्दू हैं, हम सत्य सनातन वेद की भाषा बोलेंगे। डॉ सुमंगला झा।