नेता विपक्ष की झूठ और मक्कारी
किसी भी प्रजातांत्रिक पद्धति में संसद और सांसद महत्वपूर्ण होते हैं I इनमें से आम चुनाव में चुन कर आए जन प्रतिनिधि सबसे ज्यादा महत्त्व रखते हैं और परोक्ष चुनाव व मनोनीत सांसदों को जनमानस की नब्ज की अपेक्षाकृत कम पहचान होती है I इनमें से नेता विपक्ष का सरकार से सवाल बहुत ज्यादा मायनें रखता है I उनके सवालों के घेरे में आँखों देखी और कानों सुनी घटनाओं की महत्ता तो होती ही है परन्तु अक्सर उनकी दृष्टि उन घटनाओं पर भी रहती है जहाँ गड़बड़ी होने की संभावनाएं होती हैं I अतः पूरा देश नेता विपक्ष से यह अपेक्षा रखता है कि वह हर गूढ़ मामले पर सरकार के संपर्क में रहकर या तो सवाल करे या फिर अच्छे कार्यों में सकारात्मक भूमिका निभाए I आलोचना करना उसका कर्तव्य है I ऐसे में अगर नेता विपक्ष एक झूठा और मक्कार निकल जाए तो यह देश के लिए अत्यंत ही हानिकारक हो जाता है I फिर उसकी बातों में न तो सरकार को और न ही जनता को विश्वास रहता है I
भारत के संसद में भी इसी बात का डर था कि नेता विपक्ष कहीं एक हलके फुल्के में लेने वाला व्यक्ति न बन जाए I मगर जिस बात का डर था वही हुआ I इंडी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरे कांग्रेस ने राहुल गांधी को अपना नेता चुना और इसी के फलस्वरूप वह लोक सभा में नेता विपक्ष भी बन गया I ज्ञात हो कि पप्पू नाम से कुख्यात राहुल गांधी चुनाव से पूर्व ही झूठ और दुष्प्रचार के बेताज बादशाह मने जाते थे (पढ़ें “Rahul Gandhi: best in fabricating Lies & Dis-information” https://thecounterviews.in/articles/rahul-gandhi-the-best-in-fabricating-lies-and-disinformation/) I वैसे ज्यादातर लोग यही मानते थे कि यह व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर नहीं होगा और ऐसे सरकार द्वारा जो अपनी उपलब्धियों और ख्यातियों द्वारा लगातार तीसरी बार बहुमत से जीतकर सत्ता में आई है (पढ़ें “ प्रधानमंत्री के लगातार तीन कार्यकाल: नेहरू वनाम मोदी” https://thecounterviews.in/articles/three-consecutive-term-prime-ministers-modi-and-nehru/), हलके फुल्के में दरकिनार कर दिया जाएगा लेकिन कुछ राजनैतिक पर्यवेक्षक यह भी मानते थे कि अपनीं जिम्मेवारी को संजीदगी से लेकर शायद राहुल गांधी में परिपक्वता आ जाए I लेकिन ऐसा नहीं हुआ I
राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव में ही पप्पू ने अपना फूहड़पन दिखा दिया I नेता विपक्ष की हैसियत से उसने अपना पहला ही वक्तव्य ऐसा दिया जो झूठों से भरा, मक्कारी का रंग भरे, आपत्तिजनक वयानों से भरा पड़ा था I वक्तव्य के दौरान ही उसे लोकसभा अध्यक्ष ने बारम्बार चेताने की कोशिश की I उसे बताया गया कि वह संसदीय मर्यादाओं को ध्यान में रखकर बोले I गलत वयानबाजी और झूठे तथ्यों के लिए रक्षा मंत्री, गृह मंत्री तथा संसदीय मंत्रियों ने भी उसी सचेत करने की कोशिश की I कुछ आपत्तिजनक वक्तव्यों के लिए उसे प्रधानमंत्री ने भी टोका I पर ढाक के वही तीन पात I राहुल गांधी ने अपनी पप्पूपंथी नहीं छोड़ी I अपने समर्थकों व चाटुकारों की बाहवाही के बीच वह गलतवयानी करता गया और इन सबों का परिणाम यह हुआ कि उसके वक्तव्य के अंत में गृह मंत्री को अध्यक्ष से विनम्र अनुरोध करना ही पड़ा कि राहुल गांधी के झूठे, भ्रामक और आपत्तिजनक वक्तवयों के लिए उनसे सारे तथ्य प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया जाए I जो भी बात झूठ और भ्रामक पाए जाएँ उसे निकल दिए जाएँ I उन्हें शायद अध्यक्ष द्वारा वार्निंग भी दी जाए और आगे से उनकी बातों को हलके में लिए जानें का खतरा भी होगा I
राहुल गांधी आज का वक्तव्य बहुत ही भ्रामक और आपत्तिजनक था जिसके मुख्य अवयव निम्नलिखित हैं :-
१. भगवान शंकर का अभयमुद्रा / वरदहस्त कहता है "डरो मत" I हर हिन्दू या सनातनी उस हाथ की मुद्रा से यही प्रेरणा लेते हैं "तुम्हारा कल्याण हो" I
२. जीसस का ज्ञानसूत्र था अगर कोई एक थप्पड़ मरे तो दूसरा गाल आगे कर दो I
३. जो भी अपने आपको हिन्दू कहता है वह हिंसा करता है, झूठ बोलता और नफ़रत करता है I यह वक्तव्य बहुत ही आपत्तिजनक है जो आम हिन्दुओं में आक्रोश भर गया है I यह राहुल गांधी की ओछी सोच प्रदर्शित करता है I इसके लिए उसे सारे हिन्दू समाज से माफी मैंगनीं पड़ेगी I
४. "प्रधानमंत्री ने कहा है उनका भगवन से सीधा संपर्क है" I यह भी भ्रामक है I प्रधानमंत्री के वक्तव्य अलग थे I
५. "अग्निवीर योजना मोदीजी द्वारा सेना पर थोपी गयी है" I यह बिलकुल झूठ है I राहुल इसे सावित नहीं कर पाएंगे I
६. "अग्निवीर योजना में मृत सैनिक को मुआबजा नहीं मिलता है" जो भ्रामक है I
७. " किसानों के अनाज MSP पर नहीं खरीद होते" हालाँकि इस वक्तव्य को उसने कृषि मंत्री की आपत्ति के बात बदल दिया I
८. राहुल गाँधी ने लोकसभा अध्यक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वे प्रधानमंत्री के सामने झुक गए I ओम बिड़ला जी ने उसी समय इसका खंडन किया I संभव है अध्यक्ष की गरिमा मलीन करने के लिए उसे लिखित में माफी मांगनी पड़े I
९. "प्रधानमंत्री या गृहमंत्री कभी मणिपुर नहीं गए I" यह भी झूठ है I गृह मंत्री मणिपुर हिंसा के पश्चात् बार बार इम्फाल गए हैं I
१०. "NEET परिक्षा सिर्फ अमीरों के लिए बनाई गयी है I " यह एक बेतुका वयान है I
राहुल गांधी भूल गए हैं कि उनका चुनावी झूठ और दुष्प्रचार, भ्रामक व मनगढंत वक्तव्य संसद में नहीं चलेगा I यहाँ वे जो भी लांछन लगाएंगे उसकी उन्हें पुष्टि करनी पड़ेगी तथा बाद में सम्वद्ध मंत्रियों या प्रधानमंत्री का स्पष्टीकरण व उत्तर भी सुनना पडेगा I पूरा देश जानता है और विपक्ष भी प्रधानमंत्री के तीखे जवाबों के स्वाद विगत में चख चुका है और इस बार भी इसकी अपेक्षा की जा सकती है क्योंकि राहुल गांधी ने बड़े ही अपरिपक्व व छिछले वक्तव्य दिए हैं I चूँकि चुनाव के बाद का यह सदन का पहला सत्र है, चुनाव के दौरान इंडी गठ्बंदधन ने जितने भी झूठ दुष्प्रचार व भ्रम फैलाए हैं उन सबों का कडुआ सत्य भी उन्हें सुनना पडेगा I लाजमी है कि प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्ष सदन छोड़कर पहले की ही तरह भाग खड़े हो जाएँ I
आज अधिकतर भारतीयों को राहुल गांधी के "नेता विपक्ष" के रूप में पहले वयान से काफी मायूसी हुई है और पश्चाताप भी हो रहा होगा कि कांग्रेस को क्यों वोट दिए I यह तो पहले से ही पता था कि राहुल गांधी "टुकड़े टुकड़े गैंग" के साथ देश द्रोहियों जैसी बातें करते हैं I वे भारतीय सेना का भी मनोबल तोड़ने की कोशिश कर चुके हैं तथा विगत में भी हिन्दुओं को अपशब्द कह चुके हैं I वे जिहादियों के साथ चुनावी सांठ गाँठ कर चुके हैं वो चाहे इस्लामी जमात हो, फुरफुरा शरीफ या कोई और (पढ़ें "Congress allies with radical Muslims”, https://thecounterviews.in/articles/congress-rahul-radical-muslims-furfura-iuml-kerala-assam-bengal/) I यह अपरिपक्व 'नेता विपक्ष' भविष्य में कुछ अन्य विपक्षी दलों के लिए भी सिरदर्द सावित होने वाला है I