Dr Sumangala Jha; Chief Editor "The Counterviews"

सम्पादकीय : ढूँढो ढूँढो छेद ढूँढो

मोदीजी के द्वारा किये गए विकास कार्यों से जनता निरंतर लाभ पा रही है।पूर्वोत्तर से पश्चिमी हिस्सों तक उत्तर से दक्षिणी भूभाग के प्रत्येक हिस्से तक सर्वसम्पन्न विकास की गति के साथ अति आधुनिक सुविधाओं का लाभ आमनागरिकों तक पहुँचाना अत्यंत सराहनीय है। जहाँ तक मुझे याद है कि उन्नीस सौ इक्क्यासी में कलकत्ता बंगलोर के बीच उड़ान हेतु लिए गए टिकट का दाम एक केंद्रीय क्लास-वन अफसर की सैलरी से तीन गुना ज्यादा था इसलिए क्लास वन अफसर भी लोन लेकर या मेहनत से जमा किये पैसों से कभी कभार ही यात्रा कर पाते थे। प्रथम श्रेणी के रेलवे डिब्बे में यात्रा करना जरूर आरामदायक होता था परन्तु सुविधाओं की दृष्टि से आज के सेकेंड क्लास के रेलवे से भी बदतर था।अनुमान लगा सकते हैं कि साधारण लोग कैसे यात्रायें किया करते थे। आज की सुविधाएं एवं बढ़ी हुई तनख्वाह में घर का काम करने वाली साधारण सहायिका, दूसरों के घर रशोई का काम करने वाले रसोइयों को भी लम्बी यात्रा मैंने हवाई जहाज से ही करते देखा है। उनके विचार से भी हवाई उड़ान के टिकट सस्ते एवं समय बचाने वाले हैं। यह सत्य है कि साठ सालों से मोदीजी के आने से पूर्व जिस रफ्तार से विकास हो रहा था उसकी तुलना में विकास आज उड़ान पर है।

ऐसी अर्थव्यवस्था जहाँ टमाटर-प्याज,दाल प्रायः प्रत्येक चीजों के दाम न सिर्फ आसमान छू रहे थे बल्कि इन चीजों का आयात भी आरम्भ हो चुका था जो फूड सिक्युरिटी विभाग, किसानों एवं देश के लिए अत्यंत खतरनाक स्थिति में आने का संकेत था,आज वही स्थिर एवं प्रगतिशील सुधार पर है।आज मोदीजी जैसे नेता के हाथ में देश के सभी संस्थान सुरक्षित हैं।आतंकवादियों पर लगाम लगाना, विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध,जबरन धर्म-परिवर्तन करवाने वाले समूहों तथा देश के दुश्मन नेताओं को जरूर कष्ट दे रहा है। कारण स्पष्ट है,उनके द्वारा की जाने वाली अघोषित हरकतों में विदेशी जाल साजिशों के तहत, कश्मीर की ही तरह अन्य राज्यों में हिन्दुओं को मारने,उनकी पारिवारिक संपत्तियाँ लूटने, उन्हें पलायन के लिए मजबूर करने का जिहाद नामक राक्षस प्रवेश कर चुका था जिस पर कुछ समय के लिए ही सही अंकुश लगा हुआ है। कोंग्रेस के शासन काल में देश की सुरक्षा दाँव पर थी,फौजियों का आतंकियों द्वारा मारा जाना, बॉम्ब ब्लास्ट,ट्रेन दुर्घटना, बसदुर्घटना ,अपहरण तथा अनेक आतंकवादी घटनाओं में आम इंसानों की हत्याएं समाचार पत्रिकाओं के प्रायः प्रतिदिन मुख्य समाचारों में हुआ करते थे। आज जब लगभग सभी स्थानों पर कोंग्रेसी शाशित प्रदेशों को छोड़ कर आमनागरिक सुरक्षित हैं, जनता सरकार के द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों का लाभ उठा रहे हैं तो कोंग्रेसी-नेता एवं उनके मन्तव्यों को सार्थक करने वाले सहायक आतंकियों, देशविरोधी पार्टियों एवं वामपंथियों को वातरोग हो गया है।

प्रत्येक योजनाओं एवं जनहित कानून के विरोध में लोगों को दिहाड़ी पर इकठ्ठा कर, जमावड़े बना कर, विरोध करना एक आंदोलन जीवी रोजगार की तरह हो गया है। भृष्टाचारियों एवं आंदोलन जीवियों का समूह प्रायः प्रत्येक आंदोलन में चिर-परिचित चेहरों एवं रटे-रटाये नारों के साथ आ धमकते हैं। आंदोलन का विषय भले ही अलग-अलग हो लेकिन नारे और चेहरे दोनों ही चिर- परिचित होते हैं। हंगामे के स्वरूप भी पूर्व प्रायोजित होते हैं। बेबुनियाद इल्जाम लगाना, सार्वजनिक एवं हिन्दुओं की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना, तोड़-फोड़, हत्या-बलात्कार के अलावे बीजेपी के कार्यकर्ताओं की हत्याएं करना,आरएसएस तथा बजरंग दल एवं कुछ सम्मानित लोगों को बदनाम करने के साथ-साथ मोदीजी को गाली देने के घटिया हरकतों तक विस्तृत रहता है। फ्री राशन का वितरण घोटाला,उसकी बर्बादी,कोविड वैक्सीन या बच्चों की दवाइयों का विरोध करना,अफवाहें फैलना, दवाइयों को बर्बाद करना, ऑक्सीजन घोटाले करना,ऑक्सीजन प्लांट लगाने में घोटाले करना,ट्रेन द्वारा सप्लायों को बाधित करना,सालों पुराने घटनाओं की तस्वीरों को नए तरीके से नए झूठ के साथ पेश करना आदि असंख्य पापी एवं घृणित कारनामों में लिप्त रहे लोग वस्तुतः कोंग्रेसी टूलकिट का हिस्सा बने हुए हैं।कौड़ियों के भाव बिकने वाले ऐसे लोग देश एवं देशवासियों को बेशुमार नुकसान पहुंचाते रहे हैं।

भृष्टाचारियों के घर ई डी, या सीबीआई के छापों ने अरबों का उपार्जन किया है जो देश की जनता के हित के लिये ही हैं लेकिन वामपंथियों एवं भृष्टाचारियों के लिये यह अत्यंत दर्दनाक है। समूची दुनियाँ में भारत का सम्मान एवं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना उन जोंक देशों के लिए भी जलन का कारण है जिनकी सम्पन्नता, अर्थव्यवस्था भारत के शोषण पर आधारित थी। स्वाभाविक है कि सभी दुश्मन देशों, भृष्टाचारियों एवं आतंकियों ने मोदीजी के विरोध में राष्ट्रीय एवँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोर्चा खोल रखा है,जो किसान आंदोलन ,खालिस्तान उत्प्रेरण,एवं फिलहाल खिलाड़ियों के धरना आंदोलन के रूप में उबाल खा रहा है।मोदीजी के आने से पहले तक खिलाड़ियों को कभी इतना सम्मान कभी नहीं मिला था फिर भी आवाजें कभी नहीं उठती थी क्योंकि सुनने वाला भी कोई नहीं था। परन्तु मोदीजी के शासनकाल में सम्मान मिलने के बावजूद झूठे इल्जाम लगाने वाले ,बिकाऊ खिलाड़ियों के समूह धरने पर हैं। जो खिलाड़ी जाँच से इंकार, सबूत देने से इंकार कर किसी के प्यादे बन राजनीति के तहत इल्जाम प्रायोजित आंदोलन चला करके, मनमानी करने की कोशिशें कर रहे हैं, वे सम्मान के लायक भी नहीं हैं। कोंग्रेस के श्रीनेत, खेरा,दूबे, एवं अन्य कुछ विपक्षी दलों के नेता जो झूठ के धरातल पर खड़े हो कर टी वी चैनलों पर चिल्लाते हैं अत्यंत घटिया प्रतीत होते हैं। ये मुर्गे एवं कुत्ते बिल्लियों की तरह या दारू पी कर झोपड़पट्टी के झगड़ालुओं द्वारा किये जाने वाले गाली-गलौजियों से भी ज्यादा घटिया चिड़चिड़ापन, दर्शकों के लिए पैदा करते हैं। एक मैथिली कहावत है,'चालानी दुसे सूप के,जै में हजारों छेद'। अर्थात चालानी सूप ( दो अनाज को अलग करने वाला यंत्र या आटे को छानने वाला चालनी/झांझ,) (बाँस की पतली पट्टियों से बने सूपअनाज फटकने वाला ) को बताता है कि उसके बुनावट में छेद(gap)रह गया है।

बचपन में एक खेल खेलते थे चादर में छुपने का, अगर उसमें छेद होता था तो अक्सर उसे बड़ा कर देते थे आज कोंग्रेस अपने पापी कारनामों को चादर तले छुपा कर मोदीजी के सम्मान के चादर में छेद ढूँढने का,या छेद करके उसे बड़ा करने के प्रयास करने में लगे हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मोदीजी के विरोध उन्होंने एक नया खेल आरम्भ किया है,
'ढूँढो ढूँढो छेद ढूँढो',
नहीं मिले तो बना के ढूँढो,
लेकिन ढूँढो जरूर।

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