Congress protest

विपक्ष परेशान, जनता हैरान

कहा जाता है धूर्त दोस्तों से सच्चा दुश्मन बेहतर है। कोंग्रेस धूर्तों का ऐसा समूह है जो एक धूर्त, धोखेबाज एवं झूठे परिवार के चक्रव्यूह में आत्मसम्मान भी खो चुका है। देशविरोधी ताकतों के ताल पर नाचने वाले नेता आखिर कब तक देश की जनता, खास कर हिन्दुओं को छलते हुए सब्जबाग दिखाते रहेंगे। गुनाहों एवं सच्चाई को छुपाने की कला में ये कितने माहिर हैं ये तो पापों के छिलके परत दर परत उतरने के बाद ही लोगों को समझ आ रहा है।

'मोदीजी' प्रधानमंत्री क्या बने विश्व स्तर पर कमीनों का रोना आरम्भ हो गया है। कहावत भी है 'चोर बोले जोर से', 'चोर चोरी से तो जाए हेरा-फेरी से न जाये'। लूटने, झूठ बोलने, गलतियों को छुपाने तथा भोली जनता को बरगलाने की आदत धूर्त नेताओं के गुणसूत्र में बहुत गहरे धँसी हुई है । परिणामस्वरूप सट्टेबाजों और अफीमची लोगों की तरह ही कोंग्रेस की चरस-सट्टेबाजी, लूटने और झूठ फैलाने की आदत छूटती ही नहीं है। फिर चमचे नेताओं की लगाम अगर अन्तर्राष्ट्रीय बारबाला के हाथ में हो तो अनचाहे भी उन्हें अपने खुरताल तो बजाने ही पड़ते हैं। मनोज झा, संजय झा आदि के वक्तव्य सुन, इनकी बेबसी पर दया आती है।..हे भगवान इन्हें कुछ तो सद्बुद्धि दे दो कि सच का साथ दें!

कोंग्रेसी चमचों के बीच ओहदे की पदोन्नति कामान की करण का पैमाना क्या है ? सोनियाँ का प्यादा बन तलवे चट्टू बन उनके सभी असंवैधानिक कार्यों पर परदे डालना !राहुलासुर के बैंकों का रकम बढ़ाना ! या आए दिन देश के प्रधानमंत्री मोदीजी को अपमानित कर, देश-विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों को बचाने की सिफारिश करना?फिलहाल वर्तमान समय के सन्दर्भ में तो कोंग्रेस के मुख्य कार्यउपरोक्त वर्णित तथ्य ही प्रमुख रूप से दृष्टव्य हैं। उदाहरण की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि नेताओं कीस्वाभाविक चिड़चिड़ाहट सोनियाँ परिवार का प्रवर्तन अधिकारियों के समक्ष पेशी के नाम मात्र से ही खेड़ा एवं अन्य भृष्टाचारियों को खुजली प्रारम्भ हो गई है। किसी भी देशहित की बातों से इन्हें तकलीफ होती है। इनका कूदना – फांदना, बेतुके बयानबाजी सुन ऐसा लगता है जैसे इन्हें उर्कुस्सी लग जाती है।

विपक्षी पार्टी के कुछ लोग विशेष रूप से कोंग्रेस के नेता अपने बुने हुए जालों में फँसे होने के कारण सदन के अंदर भी मुद्दे संबंधित दलीलों को तर्कपूर्ण ढंग से नहीं रख पाते हैं। अपनी अक्षमता को बेपर्द होते देख ये सामान्य जनता के सामने झूठ का ढोल इटालिया ताल पर बजाने लगते हैं। विरोध तथ्यों का होता तो एक बात थी इन विपक्षी पार्टियों का विरोध प्रदर्शन सिर्फ अराजकता एवं झूठ फैलाने के लिए होता है। आज जनता भी हैरान है कि अपनी कोंग्रेस पार्टी में नेतृत्व की परिवार वादी मानसिकता से न उबर पाने वाले नेता न जाने किस मुँह से जनतांत्रिक व्यवस्था पर टीका-टिप्पणियों की बौछार करते हैं ?

कुछ बातें सामान्य जनता की समझ से परे होती है उदाहरण स्वरूप किसान आंदोलन जिसके रहने और नहीं रहने दोनों से कोंग्रेस को परेशानी है। बुरका विवाद तो उत्प्रेरित हंगामा ही था क्यों कि मुस्लिम देशों में औरतें बुर्के से छुटकारा माँग रहीं है और भारत में नेताओं और मुल्लाओं के उकसाए जाने पर बुरका पहनने का अधिकार मांग रहीं हैं, वह भी परीक्षा के समय स्कूल और कॉलेजों में जहाँ स्कूलों के एक जैसे परिधान सभी के लिए माननीय हैं।नागरिकता संशोधन, सामान्य नागरिक अधिनियम, रोहिंग्या निर्वासन, जनसंख्याँ नियंत्रण, तीन तलाक आदि का विरोध करने वाले कोंग्रेसियों ने तो जैसे कोंग्रेसी मातोश्री की गुलामी सौ प्रतिशत स्वीकार कर, देश को तोड़ने की कसम खा रखी है।

हास्यपद स्थिति तब उत्पन्न होती है जब निष्कासित नेताओं की भी अक्ल घास चरने चली जाती है। वे प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष सोनिया-राहुल समर्थन में बैठे किराए के भीड़ को उचित साबित करने के लिए बेतुके - भड़काऊ बयान विभिन्न संचार साधनों के माध्यम से प्रसारित हैं। ये एक ज्वलित जिज्ञासा है कि क्या जनता द्वारा चयनित कोंग्रेस के नेताओं ने अपना आत्मसम्मान भी पार्टी प्रमुख के सम्मुख गिरवी रखा हुआ है ? जिन भ्रष्टाचार संलिप्त परिवार की कारस्तानियों को सारी जनता भी जान चुकी है, उन्हीं कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए कोंग्रेसी प्रवक्ता कबतक प्रयत्नशील रहेंगे? खास कर खेड़ा, सुरजेवाला, चिदंबरम, संजय एवं कुछ अन्य पक्के वफादार नेता कितना गुणगान कर सर्विदित अनैतिक कार्यों ढँकने की कोशिश करते रहेंगे ?

पप्पू प्रधान और अपनी मातोश्री मालकिन का कीर्ति बखान किसी भी देशभक्त को क्रोधित कर सकता है।... ! ...! .....वो भी तब, जब कि कोंग्रेस परिवार के बहुतायत नेता और विश्वासी भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण जमानत पर जेल से बाहर रह प्रभातफेरी कर रहे हों! खैर ! छोड़ो इन बातों को वस्तुतः इनके लिए इतना कहना ही पर्याप्त है।....

 'राहुल-राहुल रटते-रटते, कोंग्रेसी हो गए पागल हैं;

सोनियाँ के चक्कर में रहते, हुए बहुत ये घायल हैं।

 राष्ट्रपति चुनाव, द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के सन्दर्भ में विभिन्न कोंग्रेसी तथा विपक्षी नेताओं की टिप्पणियों द्वारा पिछड़ों एवं आदिवासियों के उत्थान की दुहाई देने वाले पार्टियों के झूठ के ढोल का चमड़ा भी फट गया है । अब झूठ के ढोल के अंदर का पोल पूरा ही नज़र आ रहा है । यह वैसा ही है जैसे तेजस्वी और पलटूराम की जोड़ी द्वारा किया गया सरकारी नौकरी के वादे को पूरा करने के स्थान पर दण्डमार जंगलराज की वापसी है। यह भी कह सकते हैं जैसे खेजड़ीवाल सरकार की अराजकता की ओर बेलगाम, बेखौफ बढ़ते जाते कदम हैं।

बेतुके बयानबाजी करते हुए यसवंत सिंह ने अपने पुराने वक्तव्यों को तथा तेजस्वी यादव ने अपने परिवार का इतिहास भी भुला दिया है। तेजस्वी अपनी लल्लू पिता और रबड़ी माता के इतिहास को भूल गए हैं। मुर्मू को मूर्ति बोल न सिर्फ महिला का ही नहीं वरन उनकी कर्मठता का भी अपमान कर स्वयं की ओछी बुध्दि का परिचय दे गए हैं। द्रौपदी मुर्मू खुद कम तथा उनके काम ज्यादा बोल रहे हैं।पुराने वक्तव्य मिटाने में लगे यसवंत सिंह को आईना दिखाने का काम देश की घाघ जनता ने व्यापक संचार साधनों द्वारा किया। परिणाम स्वरूप यसवंत सिंह के कहे अनुसार नेताओं ने दिल की ही आवाज सुनी। धनखड़ जी का जीतना भी देश के लिए अति आवश्यक ही था। क्यों कि अल्वा जी तो अल्लाहू और हुलु-लू-हुलु-लू का समर्थन कर देश को बर्बादी की आग में अपनी पुरानी मालकिन के इशारे पर ही झोंक ही देने वाली थी।

हिन्दुओं का जीवन बहुसंख्यक होने के वाबजूद सदैव जिहाद फैलाने वाले आतंकवादियों के तलवार की धार पर असुरक्षित सा है। सोनियाँ, ओवैसी, राशिद खान, पाकिस्तानी मानसिकता के लोग ऐसे में समाज में फूट डालो राज करो कि नीति पर चलती रहती है। फिलहाल हैदराबाद जिहादियों द्वारा उत्प्रेरित दंगाईयों का शिकार बना हुआ है। कोंग्रेस ने पंजाबियों में पगड़ियों का भी बँटवारा कर दिया है। पंजाब में भी गुरुद्वारे की जगह चर्च का उदय हो रहा है। गरीब सरदारों को ईसाई बनाने का करिश्मा पादरियों ने आरम्भ कर दिया है। निहंगों में भी ईसाई निहंग, मुस्लिम निहंग, सवर्ण एवं पिछड़े सरदार आदि प्रजातियाँ पैदा हो आपसी क्लेश को बढ़ावा दे रही है। सीमावर्ती राज्य होने के कारण देश विरोधी ताकतें मजबूती से सीमावर्ती राज्यों में सिर उठा रहीं हैं। देश को बर्बाद करने की सुलगती चाहतों को जहाँ ' आप' की पार्टी घी और हवा दे रही है वहीं कोंग्रेसी नेताओं में ऐसे धूर्त राक्षस भी हैं जो कोरोना की तरह ही बहुतेरे वैरिएंट पैदा करने में तल्लीनता से लगे हुए हैं।ऐसा लगता है देश-विरोधी कैंसर युक्त कोरोना कोंग्रेसी के गुणसूत्रों की जाँच करते-करते वैज्ञानिक भी थक जायेंगे! भगवान ही बचाये विभिन्न राज्यों में रहने वाले हिन्दुओं को, इस भारत देश को इन धूर्तों से, चोला बदलने वाले इक्षाधारी नागिन से,उसके परिवार से, उनके चमचों से तथा देश विरोधी, हिंदू विरोधी विपक्षी पार्टियों से। हिन्दुओं की हालत तो ऐसी है कि.....

जेहि विधि राखे रामा, तेहि विधि रहना,

दुःख सह-सह कर, दुश्मन को खिलाना।

(दुःख को अपना कहना, सुख को भी अपना।)

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