चलते-चलाते : चला खेजड़ी
चला खेजड़ी
चला खेजड़ी उत्तराखंड,
अब करेगा वहाँ भी झंड।
दिल्ली को करके बर्बाद,
मुसलमान को कर आबाद।
देता मौत हिन्दुओं को फ्री,
बसा रहा रोहिंग्या भी फ्री।
समझो इस लोमड़ की चाल,
बदल रहा है चोला व्याल।
पंजाब में पिट कर आया,
यू पी.में मुखड़ा रंगवाया।
राग ‘मुफ्त’ का सदा चलाया,
विज्ञापन में रकम लुटाया।
घर में स्वीमिंगपूल बनाया,
अपनी जेब में बजट बसाया।
जन्तर-मंतर वाला ककड़ी,
खा-खा है,कटहल बन आया।
अब जब ये भाषण देता है,
दोगलापन ही टपकाता है।
बोले कुछ, करते कुछ और,
एन्टोनियो का चमचा चोर।
दिल्ली दंगे,अनगिनत घोटाले,
सब हैं इसने साथ संभाले।
न करना इसका विश्वास,
जाल बिछा यह डाले घास।
बनना नहीं शिकार ओ भाई,
हिन्दू है, पर है हरजाई।
भ्रष्टाचार से फूला पेट,
हत्यारों से लाग-लपेट।
चला खेजड़ी…
चला खेजड़ी उत्तराखंड,
वहाँ भी अब ये करेगा झंड।।
डॉ सुमंगला झा।