विरोध प्रदर्शन का पेशा
कोंग्रेसियों की विरोध प्रदर्शन की नीति कुछ इसी तथ्य की है जबकि एक अकड़ू किसी भी खेल में इस बात पर अड़ जाएगा कि चाहे जो भी हो जाये 'चित भी मेरी है और पट भी मेरी ही है'। मेरे लिए सिक्के के दोनों पहलू में मेरे ही अनुसार ठप्पा होना चाहिये। बिगड़ैल बच्चे को जब पिटाई पड़ती है तब भी उसकी अकड़ कम नहीं होती है,वह उछल-उछल कर पिटाई करने वाले को भी गालियाँ बकता रहता है।
हमारे देश के राहुलसुर भी कुछ इसी प्रकार के बिगड़ैल हैं, जिन्हें बार-बार झूठ बोलने, झूठ फैलाने, पिटने की एवँ उछल-उछल कर गालियाँ देने की आदत पड़ गयी है। देशहित में लिया गया किसी भी प्रकार का निर्णय जो वर्तमान भारत सरकार द्वारा लिया जाता है, उसके विरोध में अनोखे नेता अपने भूत-प्रेत राक्षस-राक्षसी तथा सूर्पनखा समूहों के साथ बैठ कर विरोध प्रदर्शन में लग जाते हैं। नागरिकता संशोधन कानून, किसान कानून, बुर्का-विवाद, सेना में युवाओं के भर्ती के लिए निकाले गये अतिरिक्त भर्ती पर भी बुड्ढा-युवा, विरोध-प्रदर्शन कार्य में अपने कार्य-कर्ताओं के साथ जुड़े हुए हैं। राहुलसुर द्वाराभर्ती किये गए अल्प-दिहाड़ी रोजगारों की संख्या में देश की सार्वजनिक संपत्ति को आग में झोंकना, तोड़-फोड़, पुलिस पर पत्थरबाजी के साथ-साथ आम जनता की रोजमर्रा की जिंदगी को मुसीबत में डालना भी शामिल है। वैसी भी मोदी द्वारा दिये गए राशन की मुफ्तखोरी करने वालों के लिए कुछ पैसे ले कर धरना प्रदर्शन सामान्य बातें हो गयी है। विदेशों से उपलब्ध आर्थिक मदद के कारण उपद्रवियों के अनेक देश-विरोधी कार्यों के साथ-साथ उनकी गतिविधियों के समर्थक भी आये दिन बेपर्द हो रहे हैं। कोंग्रेसियों का घिनौना काला चरित्र देखते ही देखते आतंकी तंत्र में परिवर्तित होता दिखाई दे रहा है। इन देश विरोधी, हिन्दू-विरोधियों के सरगना अकथित और अप्रत्यक्ष रूप से भारतीयों के पहचान में आने लगे हैं। प्रसारण सुविधाओं के अभाव के कारण जो बातें दबी-छुपी थी, प्रदर्शन कारियों के गुण्डों ने उसे प्रत्यक्ष प्रदर्शित कर निन्द्रित देशभक्त जनता को जगा दिया है।
पच्छत्तर सालों में असहाय हिन्दुओं के साथ-साथ देश को ,देश की सेना को निरंतर कमजोर एवं हथियारहीन बनाने वाली कोंग्रेस यदि 'सेना में भर्ती बन्द किया जाना चाहिए' जैसे मुद्दे पर भी धरना प्रदर्शन करने बैठेगी तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। कोंग्रेसियों का बस चले तो ये सिर्फ जिहादी मुसलमानों की फौज तैयार करे। ये देश को अन्दर से खोखला करते हुए, दुश्मन-देशों से मिल कर, हिंदुस्तान के हिन्दुओं का सर्वनाश कर दें। भूतकाल की तुलना से भी कई गुना ज्यादा तेजी से ये आतंकवादियों का विकास करें। ऐसा प्रतीत होता है कि देश रक्षक-जवानों के हाथों को पीछे बाँध कर उसमें खाली बन्दूक थमा कर, उसे दुश्मनों के बीच मरने के लिए छोड़ देने की कला कोंग्रेसी सरकार; जिहादी-क्रूर मुसलमानों से भी बेहतर जानती है। इनका का बस चले तो देश की सभी संपत्ति बेच कर विदेश से फौज भी इंपोर्ट करे और जिहादियों के मकसद को पूरा करने में तन्मयता से सहयोग देती रहे ! सम्भवतः यही कारण है कि देशभक्तों ने इन्हें नकार दिया है।
दूसरी बार मोदी जी की जीत के बाद कोंग्रेसियों और वामपंथी पार्टियों ने धरणाप्रदर्शन के रोजगार की भर्ती खुलेआम कर रखी है। पाँच सौ रुपये गरीब, बेरोजगार घुसपैठिये-मुसलमानों, रोहिंज्ञाओं, जिहादियों तथा चमचों को देकर या पैसों का लोभ देकर,उन्हें इकट्ठा कर अराजकता फैलाने का काम कर रही है। मोदी विरोधी नफरतों का केरोसीन फैलाने के लिए सारे भ्रष्ट-नेता,तस्कर,आतंकी तंत्र,देश-विरोधी वामपंथी, खार-खा कर,हाथ धो कर, तिलमिलाए, जले-भुने से मक्के के दाने से फट-फट करते हुए उछल रहे हैं। आम जनता के लिए असुविधा एवं असुरक्षित वातावरण उत्पन्न करने के लिए,धरनाजीवी-प्रदर्शनकारियों की नौकरी में बहाली भी बहुत ही अच्छे तरीके से कोंग्रेस की सहपरकी रही है।
देश के चार गुणा ज्यादा युवा यदि सेना में भर्ती हो कर देशभक्ति का पाठ पढ़ लेंगे तो दंगाईयों की भर्ती में कमी आ जायेगी, यह देशद्रोहियों के लिए स्वाभाविक रूप से चिन्ता का विषय है । शायद यही कारण है कि मुद्दे को अन्य रूप देकर सेना में भर्ती के विरुद्ध मोर्चा खोल रखे हैं। यद्यपिप्रदर्शन कारियों मेंसेना-भर्ती हेतु विशेष शिक्षा देने वाले, व्यक्तिगत शिक्षण संस्थानों का भी बहुत बड़ा हाथ है, जिन्हें युवाओं से लाखों का लाभ हो रहा है।इन शिक्षण संस्थानों को चलाने वाले कौन हैं?इसके असली मालिक कौन हैं, जिन्हें ये मोटी रकम जाती है ये जाँच का विषय है।
यूँ देखा जाये तो पायेंगे कि जहाँ भी वामपंथी पार्टियों की सरकार है, वहीं घोटालों, तस्करों, हत्यारों, देशद्रोहियों, घुसपैठियों की संख्या में बेशुमार बढ़ोतरी हो रही है। लोकतंत्र की हत्या, धर्मान्तरण, गरीबों एवं हिन्दुओं का शोषण, मँहगाई और फासिस्टों की बढ़ोतरी भी उन्ही राज्यों में उच्चतम स्तर पर है। वामपंथी तथा कोंग्रेस शाशित राज्यों में अराजकता के विरुद्ध आवाज उठाने वालों को ही सजा दी जा रही है। ज्यादातर अपराधी कुकर्मों को जो प्रायः ईसाईयों और मुसलमानों द्वारा किया जा रहा है, नाटकबाजों, देशविरोधी विदेशी, समाचार पत्रिकाओं द्वारा पर्दे कर पीछे डाला जा रहा है। इतना ही नहीं अनेकानेक आपराधिक कार्यों को बढ़ावा भी दिया जा रहा है । अपराधियों को अपराधी न कह , उसे मासूम बता कर विदेशियों द्वारा उन्हें भारत में प्रताड़ित बताने की कोशिश भी की जा रही है। सच्चाई को छुपाने के लिए मुस्लिम बहुल तथा ईसाई बहुल क्षेत्रों में हिंदुओं की शिकायत भी नहीं सुनी जा रही है । लुटेरे, फासिस्टवादी, तालिबानी मानसिकता के आपराधिक चरित्र वाले लोगों को मोदीजी के प्रति विरोध होना स्वाभाविक ही है; इसीलिये हंगामा करना वामपंथियों का प्रिय शगल या आदत की तरह हो गया है। विरोधी अतिशयोक्ति इतनी ज्यादा है कि शायद अगर मोदी जी कह दें कि प्रत्येक भारतीय को नित्यप्रति नहाना चाहिए और ताज़ा गर्म भोजन खाना चाहिये तो ये विरोधी दल सड़क पर विरोध करने बैठ जाएँगे कि न हम नहायेंगे न ही स्वच्छ भोजन करेंगे क्योंकि संविधान में नहीं लिखा हुआ है।
मुसलमानों के लिए तो गाय-भैंस भैंसा खाना तथा जुम्मा के जुम्मा ही नहाने का ही मज़हबी प्रावधान है इसलिए बहुत ही आसानी से धरणाप्रदर्शन और विरोध मार्च के लिये कोंग्रेसियों के साथ दो-सौ, पाँच-सौ की दिहाड़ी पर सड़क पर निकल, तोड़-फोड़, आगजनी करने, हत्याएँ, मार-पीट करने लगेंगे। राहुलसुर को अपने देशविरोधी साजिशों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, मोदी विरोधी प्रदर्शन कर कहेंगे—
''अपना कहा वापस लो ये कथन फासिस्ट वादी है।
ख़ानदानी हैं! गंदगी फैलाने आये हैं, गन्दगी ही फैलाएंगे।''