Dr Sumangala Jha, Chief Editor

सम्पादकीय : 'गुण्डे बचाओ' अभियान'

लम्बे समय से भारत देश में 'बचाओ अभियान' चल रहा है।कभी किसानों आंदोलन, कभी संविधान बचाओ, सी ए ए विरोध में मुस्लिम रोहिंग्या बचाओ अभियान,कभी परीक्षा में बुर्का पहन चीटिंग(नकल करो) बचाओ अभियान,ई डी,सी बी आई ,एन आई ए से आतंकियों, भृष्टाचारियों, घुसपैठियों, को बचाओ अभियान लम्बे समय से चल रहा है। इन सभी के अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ सर्वशक्तिमान नेहरू-खान-गाँधी के खिचड़ी परिवार माइनो, राहुल एवं वाड्रा को बचाओ अभियान भी शामिल है जिसके लिए कहा जा सकता है यह नेताओं के पोल-खोल अभियान के विरोध में पैदा हुआ है। कोर्ट द्वारा सिद्ध किये जाने बाद भी आतंकियों, हत्यारों,भृष्टाचारियों के लिए मानवाधिकार की बातें करने वाले एवं आतंकवादियों को पालने वाले नेताओं की भारत में भी कोई कमी नहीं है। समूचे दुनियाँ में मानवाधिकार की बातें काफी जोर-शोर से की जाती है, परन्तु मजे की बात ये है कि अत्यधिक हंगामा मचाने वाले देश स्वयँ के देश में मानवाधिकार के हनन पर होने वाले किसी भी टीका-टीप्पणी को बर्दाश्त नहीं करते हैं। वस्तुतः अल्पसंख्यकों को लेकर हंगामा मचाने वाले ही सबसे ज्यादा अपने देश में अल्पसंख्यक समुदायों को प्रताड़ित कर मानवाधिकार के सिद्धांतों को मटियामेट कर देते हैं।

भारत तो सदैव से "संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मानासी जानताम, देवा भागे यथा पूर्वे संजनानां उपासते।'
अतिथि देवो भवः,
वसुधैव कुटुम्बक",
आदि के मंत्रों ने हिन्दुओं को अभ्यागतों का स्वागत करने का पाठ पढ़ाया है, इसके विपरीत अन्य विदेशी रिलिजन एवं मजहब ने गैर-रिलिजन मानने वालों को इस्लाम ने गैर-इस्लामियों को लूटने,प्रताड़ित करने,औरतों को अपमानित करने,उन्हें जबरन अपने रिलिजन या मजहब में परिवर्तित करने -कराने का पाठ पढ़ाया है। दुष्ट प्रकृति की दानवी संस्कृति ने मानवों के प्राकृतिक अधिकारों को खतरे में डाल अत्याचारों का जो सिलसिला मध्यकालीन युग में आरम्भ किया था; वह आज भी दुनियाँ में मौजूद है एवं पशुता का प्रतीक बन मानवों का ,विकसित देशों का,दैविक गुणों से सम्पन्न सभ्यता का सर्वनाश करने पर तुला हुआ है।

हिन्दुओं के जीवनयापन की शैली में उदारता,दया, प्रकृति पूजा आदि संस्कारों को आत्मसात किया जाता है। जिसके कारण हिंदुत्ववादी विचारों में मानव के साथ-साथ जीव जंतुओं,पेड़-पौधों प्रकृति के प्रत्येक वस्तु का सम्मान और संरक्षण करना स्वाभाविक रूप से हृदय में अंतर्निहित होता है।वस्तुतः चरित्र में सम्पूर्ण प्रकृति के लिए, गैरों के लिये भी भेदभाव रहित उदारता का बर्ताव ही सच्चे मानवाधिकार के संरक्षण की परिभाषा है। आये दिन बड़े-बड़े वैचारिक समारोह कर या नियम जारी करके भी यदि मनुष्य स्वार्थी प्रवृत्तियों से ऊपर उठ नित्य की आदतों में वैदिक मंत्रों का अनुकरण नहीं करता है तो स्वाभाविक रूप आने वाली पीढ़ियों के अधिकारों की भी उपेक्षा करता है।

सिर्फ वर्ग विशेष, मजहब विशेष या रिलिजन विशेष के लिये भले की चाहत एवं अन्य समुदाय,धर्म, संस्कृति के लिए विनाश भावना की चाहत ही मानवाधिकार का दुश्मन है। विस्तारवाद की चाहत! चाहे जिहादी इस्लामी हो, चीन का वन चाइना पॉलिसी हो या अमेरिका का नेटो समूह में देशों का एकीकरण करना हो! सभी में स्वार्थ सिद्धि निहित है। स्वयँ के प्रभुत्व की स्थापना, अन्य देशों को कमजोर करना, उसे बर्बाद करने की भावना ने ही युध्द को जन्म दे कर अन्तर्राष्ट्रीय मानवतावादी सिद्धान्तों को शर्मसार कर दिया है।

अफगानिस्तान,पाकिस्तान, सीरिया, इराक, ईरान, टर्की,अजरबैजान, आर्मेनिया, यूक्रेन ,पेलेस्टाइन,सूडान आदि के विनाशकारी युद्ध एवं गृहयुध्द के अलावे जिन आतंकी समूहों ने मानवाधिकार के सभी सिद्धांत एवं नियमों की बलि दी है उसके पीछे निहित उत्प्रेरित तथ्यों,ताकतों,हथियार एवं आर्थिक योगदान देने वाले देशों को स्वचेतना की आवश्यकता है I
मीटिंग,चार्टर,नियमावलियाँ,भाषण कभी कामयाब नहीं हो सकती हैं जब तक कि मानवीय स्वार्थी प्रवृत्तियाँ, अवैध अतिक्रमण,लुटेरी एवं क्रूर प्रवृतियाँ, वैश्विक स्तर के जिहाद, दुनियाँ पर कब्जा करने की भावना,पड़ोसी देशों के विरुद्ध जालसाजी,देश को कमजोर करने की भावना का त्याग नहीं कर सकते हैं।

आजकल कुछ प्रोपोगंडा समूहों के निशाने पर भारत है।इन समूहों को उनके अपने देश में या स्वयँ के पिछवाड़े में होने वाले घोटाले, मानवाधिकार हनन,मंहगाई, बेरोजगारी,भ्र्ष्टाचार,अशिक्षा,अस्वस्थता, गरीबों की मौत,औरतों के प्रति अस्वीकार्य सम्मान हनन,बाल-अधिकार हनन नहीं दिखाई देते हैं। साजिश कर्ता जिसमें देश के अंदरूनी भारतविरोधियों, घुसपैठियों, आतंकियों का भी हाथ है, उन्हें स्वयँ की अंतर्निहित बुराइयों को नजरअंदाज करने या छुपाने की आदत है। अपने सधे क्रूर जालसाजियों के तहत वे भारत के अन्दर की घटनाओं को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ा कर, मिर्च-मसालेदार चटकारे कहानियाँ बना कर प्रसारित करते हैं कि महसूस होता है, दुनियाँ की सभी बुराइयाँ भारत में ही मौजूद हैं। ये जालसाज बीजेपी में,आर एस एस, हिन्दुओं, हिन्दू सनातन वैदिक धर्म, एवँ मूल रूप से मोदी जी को अवगुणों की खान बताने में लगे हैं। ओवैसी,वारिस पठान ऐसे दंगा भड़काने वाले, हिन्दुओं के खिलाफ बयानबाजी करने वाले, आतंकवादियों के हिमायती नेताओं की देश में कोई कमी नहीं है। इनकी रणनीति के तहत हिन्दुओं, संविधान,बीजेपी को निरंतर गालियाँ देते हुए मुसलमानों को वैश्विक जिहाद के लिये उत्प्रेरित करना है। वोट के लोभ में इस्लामी एजेंडे को बढ़ावा देने वाले स्वार्थी हिन्दू एवं ईसाई नेता भी सिर्फ अपने फायदे के लिये हिन्दुओं को, मंदिरों को ,देश को लूटने के लिये धर्म निरपेक्षता को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं। कोंग्रेस नेताओं के द्वारा बनाए गए हिन्दुविरोधी कानूनों एवं धर्म आधारित देश विभाजन के बाद भी मुसलमानों को पाकिस्तान भेजे न जाने का दण्ड हिंदुस्तान के हिन्दू एवं उसकी वर्तमान पीढ़ियाँ भुगत रहे हैं।

ओवैसी,वारिस पठान, ऐसे नेता ,मौलवियों, मदरसों द्वारा उत्पादित आतंकवादियों के साथ मिल कर हिन्दुओं का हिन्दू संस्कृति-सभ्यता का समूल नाश करना चाहते हैं। यह हिन्दुओं का दुर्भाग्य ही है कि धर्म निरपेक्षता,मुस्लिम पर्सनल लॉ, वक्फबोर्ड अधिकार आदि को लागू करने वाले नेहरू-खान-माइनो परिवार के तलवेचट्टू हिन्दू ही रहे हैं। मंदिरों की संपत्ति लूटने का अधिकार,हिन्दू तीर्थों पर 'कर',हज के लिए सब्सिडी देने वाले,इफ्तार की पार्टी देने वाले भी हिन्दू नेता ही हैं। अहिंसा हिन्दुओं के लिये एवं कट्टर वादिता इस्लामियों के लिए प्रदान कर, दुधारी तलवार से हिन्दुओं को काटने की पृष्ठभूमि जो गाँधी ने तैयार की थी आज खतरनाक स्थिति में पहुँच गयी है। कट्टर मुसलमानों की वोट के लालच में उन्हें खुश करने की कोशिश में लगे हिन्दुओं के अधिकार एवं जिंदगी का हनन करने वाले भी ज्यादातर स्वार्थी हिन्दू नेता ही हैं।

ओवैसी,वारिस पठान ऐसे दंगा भड़काने वाले, हिन्दुओं के खिलाफ बयानबाजी करने वाले, आतंकवादियों के हिमायती नेताओं की देश में कोई कमी नहीं है। इनकी रणनीति के तहत हिन्दुओं, संविधान,बीजेपी को निरंतर गालियाँ देते हुए मुसलमानों को वैश्विक जिहाद के लिये उत्प्रेरित करना है। वोट के लोभ में इस्लामी एजेंडे को बढ़ावा देने वाले स्वार्थी हिन्दू एवं ईसाई नेता भी सिर्फ अपने फायदे के लिये हिन्दुओं को, मंदिरों को ,देश को लूटने के लिये धर्म निरपेक्षता को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं। कोंग्रेस नेताओं के द्वारा बनाए गए हिन्दुविरोधी कानूनों एवं धर्म आधारित देश विभाजन के बाद भी मुसलमानों को पाकिस्तान भेजे न जाने का दण्ड हिंदुस्तान के हिन्दू एवं उसकी वर्तमान पीढ़ियाँ भुगत रहे हैं।

यह हिन्दुओं का दुर्भाग्य ही है कि धर्म निरपेक्षता,मुस्लिम पर्सनल लॉ, वक्फबोर्ड अधिकार आदि को लागू करने वाले नेहरू-खान-माइनो परिवार के तलवेचट्टू हिन्दू ही रहे हैं। मंदिरों की संपत्ति लूटने का अधिकार,हिन्दू तीर्थों पर 'कर',हज के लिए सब्सिडी देने वाले,इफ्तार की पार्टी देने वाले भी हिन्दू नेता ही हैं। अहिंसा हिन्दुओं के लिये एवं कट्टर वादिता इस्लामियों के लिए प्रदान कर, दुधारी तलवार से हिन्दुओं को काटने की पृष्ठभूमि जो गाँधी ने तैयार की थी आज खतरनाक स्थिति में पहुँच गयी है। कट्टर मुसलमानों की वोट के लालच में उन्हें खुश करने की कोशिश में लगे हिन्दुओं के अधिकार एवं जिंदगी का हनन करने वाले भी ज्यादातर स्वार्थी हिन्दू नेता ही हैं।

यह एक कड़वा सच है कि इसके पीछे देशविरोधी, मोदीविरोधी, भृष्टाचारियों एवँ हिन्दुओं की लाखों साल पुरानी वैदिक उच्चकोटि की विकसित संस्कृति एवँ सभ्यता से जलने वालों का बहुत बड़ा हाथ है। सत्तारहित पार्टियाँ जिनके भ्र्ष्टाचार के कारनामों के विभिन्न रंग परत दर परत खुलते जा रहे हैं, स्वयँ को उच्च स्तर के सिद्ध न कर पाने की हीन भावना से अन्तरग्रसित भी है। झूठ, दिखावे का जामा पहन कर, एक स्वर में मोदीजी पर कई झूठे इलजाम लगा 'भ्रष्टाचारी बचाओ' अभियान में शामिल हो गए हैं। ऐसा लगता है कि कोर्ट द्वारा सिद्ध अपराधियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले नेताओं की बुद्धि विदेशी ताकतों द्वारा अपहृत कर ली गयी है। ये लुटेरों-गुन्डों के समर्थक भ्रष्ट नेताओं के गिरोह मोदीविरोध में नारे लगाते-लगाते हिन्दू-विरोध, देशविरोध,झूठ-सच में अंतर नहीं कर पा रहे हैं । ममता,सोनियाँ, राहुल,ओवैसी,अखिलेश, नीतीश, खेजरिवाल ऐसे कुछ नेता पागलपन की स्थिति में पागलखाने जाने लायक हो गए हैं। लेकिन इनके पागलपन का इलाज करने के लिए किसी विशेष डॉक्टर की जरूरत है, जिसे ढूँढना नितांत आवश्यक है।

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