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उपाय क्या है?

समूची दुनियाँ में इस्लाम के अनुयाई जिहादी मुसलमानों ने गंदगी, बर्बरता, घिनौने कुकर्मों की अवर्णनीय मिसाल कायम कर मवाद वाले कोढ़, जानलेवा केंसर की बीमारी की तरह जानलेवा गंदगी फैला रहे हैं फिर भी दुनियां का गैर इस्लामी वर्ग शुतुरमुर्ग बने हुए चुप बैठे हैं। देखा जाए तो इस्लामिक देशों की संख्या बहुत ही ज्यादा है परंतु अवैध प्रवासी घुसपैठिए, युद्धरत देश से विस्थापित मुसलमान उन इस्लामिक देशों में शरण लेने नहीं जाते हैं। महजबी भाई-भाई (ब्रदरहुड) कहे जाने वाले इस्लामिक देशों में जिनके द्वारा इन्हें जिहाद फैलाने के लिए हथियार प्रदान किया जाता है ( जिहादियों एवं शरणार्थियों को) उनको घुसने नहीं दिया जाता है। ये घुसपैठिए मुसलमान जिसमें बहुत से अपराधी कृत्यों के कारण दण्डित होने योग्य होते है वे गैर इस्लामिक देशों में ही घुसपैठ करते हैं । साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति से वहाँ की नागरिकता ले अनेकानेक सरकारी फायदे उठाते हैं। मिलती हुई सुरक्षा एवं सुविधाओं के बावजूद ये शरणदाता देश के नागरिकों के प्रति कृतघ्नता की मिसाल कायम करते हैं। उन्हें जब भी मौका मिलता है ये वहाँ भी वहशीपन बर्बरता से परिपूर्ण इस्लाम के आयतों में वर्णित कुकृत्यों को करते हैं। अपने कौम और शरीयत को शरणदाता देश के संविधान से बेहतर एवं ऊंचा समझ वहाँ कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हैं I

ये अपनी सुविधा के अनुसार कभी शरीयत की दुहाई देकर तो कभी वहाँ के देश के कानून की दुहाई दे कर अपने मजहबी कार्य के लिए विशेषाधिकार की माँग करने लगते हैं। ये शरणार्थी जिहादी वहाँ के मूल वाशिंदों एवं गैर इस्लामिक नागरिकों पर पाप, बर्बरता और गंदगी से परिपूर्ण इस्लाम को थोपने की कोशिश में अनेकानेक दुष्कर्मों को व्यवहारिक अंजाम दे वहाँ की स्त्रियों की सुरक्षा, संस्कृति, सभ्यता, विकास, शिक्षा नीति, सामान्य नागरिक सुरक्षा व्यवस्था को तहस - नहस कर देते हैं।

जहां तक भारत की बात की जाए तो इस देश में एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरता है जिसमें इन जिहादी कुकर्मी मुसलमानों के द्वारा हिन्दुओं पर अत्याचार, हिन्दुओं की हत्याऐं, हिन्दुओं के घर- दुकानों की लूट, आगजनी, बलात्कार, उनके प्रति बर्बरता की गाथा न गढ़ी जाती हो! यहाँ बर्बर मुसलमान, मौन समर्थक मुसलमान, अलतकिया मुसलमान के अलावे भी एक वर्ण शंकर वर्ग है जो न सिर्फ इन्हें पनाह देता हैं बल्कि उन्हें आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, नागरिकता प्रमाण पत्र बनवा कर सभी सरकारी सुविधाओं से नवाजता है।

धर्म के आधार पर विभाजित हिन्दू राष्ट्र को कुछ स्वार्थी लोगों ने धर्म निरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर हिन्दुओं के वोट और हिन्दुओं के धन से घुसपैठियों तथा जोंक ऐसे मुसलमानों के लिए इसे मुफ्त खोरों का सराय बना दिया है। धर्म निरपेक्षता की आड़ में भारत के कई राज्यों को अघोषित इस्लामिक राज्य में बदल दिया है जहाँ हिन्दुओं को अपने ऊपर हुए अत्याचार के विरोध में आवाज उठाने पर उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। अल्पसंख्यक कहे जाने वाले मुसलमान बड़ी ही बेबाकी से हिन्दुओं की हत्या करते हैं, उनकी औरतों को उठा ले जाते हैं, उनका घर - व्यवसाय बर्बाद कर देते हैं। उनकी जमीन जायदाद पर वक्फ बोर्ड के गुंडे दावा कर, रातों रात मजार बना देते हैं। हिन्दुओं की सम्पत्ति(जमीन )धार्मिक स्थलों की जमीन को जबरन कब्जे में ले ले लेते हैं। आश्चर्य है कि फिर भी ये अल्पसंख्यक ( क्योंकि संविधान में अल्पसंख्यकों की स्पष्ट परिभाषा या जनसांख्यिकी नहीं दिया गया है ) के नाम पर सभी विशेष प्रकार सुविधाएं पाते हैं।

पकड़े जाने पर अपराध,अराजकता बलात्कार, आगजनी, तोड़फोड़, देश की संपतियों का नुकसान करने में सबसे आगे रहने वाले ये पापी नरपिशाच इस्लामी स्वयं को ही प्रताड़ित बताते हुए राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हंगामा मचाते हैं। इनके रहनुमाओं के वक्तव्य एवं पापी नरपिशाचों के कर्मों से तो इनका मकसद यही प्रतीत होता है कि " वे चाहते हैं कि इन्हें कुरान में वर्णित सभी निकृष्ट अपराध को करने की छूट मिले एवं इन्हें किसी भी प्रकार की सजा भी नहीं मिले" साथ ही शांतिपूर्ण ढंग से अपने रहनुमाओं की उत्प्रेरणा से ये इस्लामी नरपिशाच ज्यादा बढ़ - चढ़ कर अराजकता फैलाएं, हिन्दुओं की हत्या करें, उनके प्रति बर्बरता समूहों में इकट्ठा हो कर करते जाएं। शान्ति प्रिय गैर इस्लामिक समाज पापी जिहादियों के सारे कुकर्मो को निर्विरोध बर्दास्त करते हुए मुर्गों, मछलियों की तरह ही निरन्तर इनके जाल साजियों के शिकार हो, दर्दनाक मृत्यु को प्राप्त करते रहें।

अपने भारत देश के नेताओं में ऐसे लोग भरे पड़े है जिन्हें मुस्लिमों के द्वारा किए गए कुकृत्य दिखाई नहीं देते हैं। तुष्टिकरण की राजनीति के तहत वे शिकायत करने वाले प्रताड़ित, गैर इस्लामियों को विशेष रूप से हिन्दुओं को सताने में, उन्हें ही अपराधी साबित करने में तथा उन्हें सजा दिलाने में लगे रहते हैं। प्रताड़ित होते हुए हिन्दुओं को ही अपराधी करार कर सजा दिलाने का रिवाज मुस्लिम बाहुल्य तथा कॉग्रेस शाशित प्रदेशों में तुष्टिकरण की चरम अभिव्यक्ति है। पक्षपाती रवैया, दोगले नेताओं का कुत्सित बयानबाज़ी, मुसलमानों के अपराधी प्रवृति को उकसाते हुए उनके द्वारा हिन्दुओं की हत्या करवाने के कार्य को सुविधा जनक बनाती है। नेताओं के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष उत्प्रेरणा के परिणामों का ज्वलंत उदाहरण पहलगांव में आतंकी हमला, संदेशखाली, तेलनीपारा, मुजफ्फराबाद, झाड़खंड, दिल्ली,भोपाल, नागपुर दंगा तक ही सीमित नहीं है। किसी भी राज्य का नाम लीजिए दंगाई जिहादी मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं के घर, दुकान, गाड़ियों को जलाना, स्त्रियों का बलात्कार, बच्चों की हत्याएं उनके लिए खेल हो गया है। क्यों कि उन्हें भी पता है कि कोई वकील उन्हें न्यायालय में निरपराध साबित कर बचा लेगा। कुछ पत्रकार और दोगले नेता उनके पक्ष में दलीलें और वक्तव्य देंगे, मुस्लिम समूह उन्हें बेगुनाह, मासूम और हालात का शिकार बताएंगे, सुप्रीम कोर्ट में भी उनकी सीधी पहुँच होगी, वहाँ भी उन्हें किसी न किसी प्रकार से मृत्युदंड से राहत मिल जाएगी, छोटी-मोटी रकम जमा कर उन्हें जमानत भी मिल ही जाएगी जिसके पश्चात ये अपराधी मुसलमान पुनः ज्यादा उत्साह और साजिशों की नई किले बन्दी के साथ उत्तरोत्तर विभिन्न भीषण अपराध करने के लिए उन्मुक्त प्रशिक्षण प्राप्त कर, अग्रसर हो अपने जिहादी मनसूबों को कामयाब करेंगे।

हिन्दुओं की नितप्रति हत्याओं के लिए आखिर किसे जिम्मेदार ठहराया जाए, संविधान में अपराधियों के प्रति देश का ढुलमुल न्यायिक व्यवस्था, प्रशासनतंत्र की उदासीनता, नेताओं का हिन्दू सुरक्षा के प्रति पक्षपाती रवैया या सीमा पार से घुसपैठियों की बहुतायत। किन लोगों से एवं किस प्रकार से इस देश के हिन्दू सुरक्षा और न्याय की उम्मीद करें! हमारे पाकिस्तान परस्त, इस्लामिक जिहादियों के पत्तल चाटू नेता तो हमारे संविधान के कुछ अस्पष्ट बिंदुओं का लाभ उठा कर अपराधियों को बचाने में लग जाते हैं। घुसपैठिए मुसलमानों की संख्या जिस प्रकार से बढ़ती जाती है, उसी अनुपात में हिन्दुओं पर अत्याचार भी बढ़ रहा है।

हिन्दुओं की भीरू प्रवृति, अहिंसा एवं संविधान के प्रति सम्मान की भावना जो उन्हें हथियार उठाने, आगजनी करने, मुसलमानों पर सीधे आक्रमण करने से बचने की सलाह देता है परिणाम स्वरूप उन्हें अपना मूल स्थान छोड़ने के लिए भी बाध्य करता है। लेकिन कब तक एवं कहां तक हिन्दू अपनी जान बचाने के लिए भागते रहेंगे? कब इन्हें अपना एक हिन्दू राष्ट्र मिलेगा जहां ये स्वयं को सुरक्षित महसूस कर चैन की सांस ले अच्छी नींद सो पाएंगे? क्यों कि आतंकियों की साजिश तो स्पष्टता एवं सक्रियता से बढ़ते हुए गैर इस्लामियों की जानें लेने उनकी संपत्तियों, औरतों को लूटने, बच्चों एवं पुरुषों की हत्याओं में ही संलग्न रहती हैं।

ये कुरान में वर्णित कुकृतियों के संदेश को अपने जीवन में सक्रियता से उतार सम्पूर्ण विश्व को इस्लामिक बर्बरता के अधीन बनाने के उद्देश्य के साथ ही जीते और मरते हैं। गंदगी, बर्बरता, अमानवीय कुकृतियों से परिपूर्ण इस जिहादी इस्लामियों का आखिर इलाज क्या है ? प्रत्येक गैर इस्लामियों यह सोचना होगा कि पाप से परिपूर्ण गंदी,अपराधी प्रवृति के जाहिल नर पिशाचों से देश, दुनियाँ एवं स्वयं को कैसे सुरक्षित रखा जाए ? इन्हें कैसे अलग थलग कर सजा दी जाए! आख़िर कैसे इन नर पिशाचों से मानवता एवं मानवाधिकारों की रक्षा की जाए?

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