Thief Rat

धारावाहिक: मेरी, तेरी, उसकी बातें: चोर चूहे (भाग-3)

चूहे सर्वव्यापी होते हैं ठीक जमातियों की तरह। ये सुरंग बनाने में माहिर होते हैं पाकिस्तानी आतंकवादियों की तरह। शायद ही कोई देश हो जहाँ ये घुसे हुए नहीं हों! इक्के-दुक्के चूहों से ज्यादा परेशानी नहीं होती है, जीने का हक़ प्रत्येक जीव-जंतुओं को है तो भला इनसे इनके अधिकार कौन छीन सकता है? अनाज, पानी, सब्जी भाजी खाते हैं, कुतरते भी हैं लोगों को परेशानी तो होती है परन्तु इन्हें झेलने की हम जैसे मध्यम वर्गीय को आदत हो जाती है। इनकी मौजूदगी को बर्दाश्त करने का अभ्यास ठीक वैसे ही है जैसे हिंदुस्तान के गैर-इस्लामिक लोगों को घुसपैठिये रोहिंज्ञाओं एवं जिहादी मुसलमानों को झेलते रहने कीआदत हो गयी हैं। कुछ संख्या में इनकी मौजूदगी तो ज्यादा हानिकारक नहीं है परन्तु जब काले-भूरे-मोटे-पतले,छोटे-बड़े, गुच्छे में बच्चे पैदा करने वाले चूहे-चुहियों की तादाद बढ़ जाती है तो इनके प्रकोप भी खतरनाक तरीके से बढ़ जाते हैं जैसा कि अल्लाह की खेती करने वालों के उत्पादन से दुनियाँ के लगभग सभी प्रान्तों में कमोबेस उत्पात हो रहा है।


जब हम डी. आर. डी. ओ. परिसर के सरकारी आवास में रहते थे तो वहाँ चूहों का उत्पात बहुत बढ़ा हुआ था। सुबह शाम कामवाली काम किया करतीं थीं; कपड़े भी उन दिनों हाथ से ही धुलते थे तो साबुन का खर्चा भी था लेकिन एकाएक खर्च काफी ज्यादा बढ़ गया, लगभग एक बड़ा "रिन बार" एक ही धुलाई में ख़त्म हो जाता था। काम वाली प्रतिदिन यही कहती कि साबुन बाथरूम में नहीं है, खैर बिना कुछ पूछे मैं ही उसे रोज़ एक नया साबुन दे देती थी। लेकिन कुछ दिनों के बाद नहाने के बड़े -बड़े लक्स साबुन एवं अन्य खुशबूदार साबुन भी लगभग प्रतिदिन गायब होने लगे एवं मेरा धैर्य ख़त्म हो गया। बंगलोर में कैम्पस के अन्दर की कामवालियाँ प्रायः ठीक-ठाक ही होती हैं, चोरी-चकारी से परहेज करती हैं क्योंकि शिकायत मिलते ही उसे तुरंत गिरफ्तार कर कैम्पस से परिवार एवं सामान सहित बाहर निकाल कर उसका नाम ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। नयी कामवाली मिलने तक मुश्किलें घर वाली को भी झेलनी पड़ती है अतः बड़े ही कोमल शब्दों में काम वाली को मैंने कहा कि 'तुम्हें अगर साबुन अपने लिए चाहिए तो महीने के शुरुआत में ही बता दे! मैं केंटीन से तुम्हारे लिए अलग से कुछ साबुन ले आऊँगी, बिना बताये ये प्रतिदिन साबुन उठा कर नहीं जाया करो, ये अच्छी बात नहीं है। कामवाली कुछ देर चुप रही फिर तमक बोल उठी मैडम मैंने आज तक एक भी साबुन नहीं लिया है; मैं तो बगल के ताखे पर ही रख कर चली जाती हूँ; लेकिन रोज ही गायब हो जाते हैं। आपने पूछा नहीं इसलिए मैं चुप ही थी; लेकिन मैं भी परेशान हूँ कि आखिर साबुन गायब कहाँ हो जाता है? ..... आदि आदि। ... ... बात आई-गयी हो गई।


मैं दिन भर बच्चों के साथ व्यस्त ही रहती थी इसलिए आया पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती थी उसका काम प्रायः बाहर वाले बाथरूम में ही होता था। एक दिन संयोग से बाहर वाले बाथरूम में गयी तो देख कर हैरानी हुई कि चूहा अपने वजन से ज्यादा वजनी रिन बार पिछले दो पैरों खड़े होकर,पूँछ से संतुलन बनाये; आगे के दोनों पंजों पर उठाये हुए इंसानों की तरह चलता हुआ नाले की ओर जा रहा है, ठीक उसी तरह जैसे फ़्रांस में एक हिजबिनी लूट का बड़ा डब्बा ले कर संतुलन बनाये हुए भागे जा रही थी। मुझे देखते ही चूहे ने अपनी गति बढ़ाई लेकिन उसके हाथ से साबुन छूट गया, उसने साबुन छोड़ कर नाले के सुरँग में भागना उचित समझा । साबुन उठाने गयी तो पाया कि नहाने वाला खुशबूदार लक्स साबुन भी ड्रेनेज के जाली के नीचे पानी में आधा डूबा, थोड़ा अटका पड़ा था,शायद गल कर छोटा होने बाद चूहा उसे अपने स्नान के लिये ले कर जाने वाला था।


जो भी हो ये चोर चूहे ही अब तक बहुत सारे साबुन चुरा कर ले गए थे; ये पक्का हो गया था। मैंने अपने काम वाली को बताया तब से वह साबुन ऊपर के ताखे में बंद करके रखने लगी थी। चूहों ने शायद काफी संख्या में अपने नहाने एवं अपने दर्जनों बच्चे के कपड़े धोने के लिए साबुन इकठ्ठा कर लिया था, लेकिन इसके बावजूद वे बॉथरूम या घर के अंदर टोह लेने आ ही जाते हैं, उनकी चोरियों एवं उत्पात की कहानी यहीं ख़त्म नहीं हुई है, वह अब भी जारी है। उसके बारे में फिर कभी बताउँगी।

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