Political debates on TV

नेताओं के वाकयुद्ध

कई राज्यों में होने वाले विधानसभा के चुनावों के प्रचार-प्रसार कार्य में लगे नेताओं की बयानबाजी उनके अत्यंत खतरनाक मंसूबों को चरितार्थ करती है। राज्यसभा ,लोकसभा तथा विधानसभा इन नेताओं के लिए वाकयुद्ध के साथ-साथ मल्लयुद्ध का अखाड़ा बना हुआ है।संविधान एवं पीठाधीश सभापति के प्रति अनुशासन हीनता ने उन्हें पुराने समय के कक्षाओं के उन विद्यार्थियों के समतुल्य ला खड़ा किया है जिन्हें सुधारने के लिए पूर्व-कालिक शिक्षक छड़ी तथा थप्पड़ों का प्रयोग किया करते थे। नैतिकता से कोसों दूर,ज्यादातर भ्र्ष्टाचार में लिप्त रहने वाले नेताओं को जनता या देश के हितों से कोई सरोकार नहीं है। आमजनों के टैक्स के पैसों पर अय्याशी करने वाले नेताओं ने बहस के वक्त का जाया कर संवैधानिक कार्यों में बाधा उपस्थित करने का कार्य ही कुशलता से किया है। कई दिनों तक सभा का जीवन्त कार्यक्रम देखने से महसूस हुआ है कि नेताओं ने उदण्डता की सारी हदें पार कर सभा की कार्यवाही में बाधा उपस्थित करना ही अपना ध्येय बना रखा है। अब जब ये चुनावी भाषण देने के लिए जनता के बीच आये हैं तो जनता को किसी भी प्रकार की सुविधाओं से नवाजने की उम्मीद देने की जगह उन्हें दंगे-फसाद के लिए उकसाने का कार्य अपने शर्मनाक बयानबाजी द्वारा कर रहे हैं।


कहीं ओवैसी,मुस्लिम नेताओं,मौलानाओं आदि के द्वारा हिन्दुओं को धमकी दी जा रहीं हैं तो कहीं मठ के साधुओं के भी प्रतिक्रिया स्वरुप भड़काऊ वक्तव्य सामने आ रहे हैं। घृणास्पद बयानबाजी के खिलाफ किये गये कानूनी कार्यवाही सिर्फ आम जनता के लिए ही प्रायोगिक होते हैं।नेताओं पर कानून लागू करना पुलिस वालों के लिए भी कठिन होता है,खासकर जब नेता गुंडागर्दी करने वालों के सरगना होते हैं।

किसान आंदोलन के दौरान किसानों के द्वारा की गई हत्याएँ,पंजाब गुरुद्वारे में हुई लिंचिंग एवं हत्याकांड से गरीबों के प्रति नेताओं के नकारात्मक सोच के ही दर्शन होते हैं। गरीबों की लाशों पर राजनीतिक रोटी सेंकने की परम्परा कोंग्रेस के लिए नई नहीं है। भोली जनता इसे समझ नहीं पा रही है। मजबूरियों में बंध कर या डर से कोंग्रेस,आ.पा. टी.एम.सी. के ऐसे नेताओं को सत्ता जनता ने सौंप दी है, जिन्होंने दंगे तथा आगजनी आदि घटनाओं को बड़े पैमानों पर करवाया है। पर्याप्त सबूत के अभाव में या सबूतों को दबा दिये जाने के कारण ऐसे नेता खुलेआम घूम, आतंकियों को बढ़ावा दे रहे हैं। कभी बेअदबी,कभी पैगम्बर के अपमान के नाम पर हत्याएँ करने-करवाने वाली जमातें साधुओं, पुजारियों,हिन्दुग्रंथों, हिंदुतीर्थों तथा देवी-देवताओं की मूर्तियों के तोड़े जाने पर चुप रहते हैं। गैर बी.जे.पी. शाशित राज्यों में हिन्दुओं की बस्तियों के जलाए जाने पर,जिनमें दलितों के परिवार वाले भी होते हैं कोंग्रेस और वामपंथी नेता कभी मुँह नहीं खोलते हैं। जहाँ तक हो पाता है,खबरों को छुपाने-दबाने की कोशिश की जाती है । कभी-कभी इसे व्यक्तिगत दुश्मनी या कुछ अलग नाम देकर रफा-दफा किया जाता है। आर.एस.एस की तुलना आतंकियों से करने वाले नेता केरल,महाराष्ट्र, बंगाल,पंजाब,राजस्थान,छत्तीसगढ़ आदि जगहों पर बी.जे.पी. तथा आर एस एस के कार्य कर्ताओं के हत्यारों पर उचित कार्यवाही करने में इतनी लापरवाही बरत रहे हैं कि प्रतीत होता है जैसे प्रशासन ही हत्याएँ करवा रही है।


क्या बी. जे. पी. के कार्यकर्ताओं तथा हिन्दुओं की सुरक्षा गैर बीजेपी शाशित राज्यों के राज्य-सरकारों की जिम्मेदारी नहीं होती है? इन राजनीतिक हत्याकांड की ईमानदारी से जाँच या हत्यारों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं होती है,यह चिंता का विषय है। आतंकवाद,खालिस्तान,पाकिस्तान,चीन तथा आई. एस. आईं.एस. के समर्थकों को हिन्दुओं या देश की सुरक्षा से कोई मतलब नहीं है। इनका उद्देश्य झूठे वायदे कर वोट हासिल कर सत्तारूढ़ होना है ताकि कानून तथा संविधान को ढाल बना कर जनता को ज्यादा से ज्यादा से लूटा जा सके।


भारत धर्मनिरपेक्ष तथा गणतांत्रिक देश है तो सभी नागरिकों के लिए एक ही प्रकार के सामान्य कानून संहिताओं का लागू होना आवश्यक है परन्तु इसका विरोध करने वाले ज्यादातर वही नेता हैं जो एक विशेष समुदाय के लिए अलग से कानून चाहते हैं। भारत देश में अल्पसंख्यक की परिभाषा भी स्पष्ट नहीं है। विशेषतः मुस्लिम समुदाय जो अल्पसंख्यक नहीं रह गए हैं, अन्य अल्पसंख्यक पारसी,सिख्ख, बौद्ध, ईसाईयों के हक की सुविधाएं हड़प रहे हैं।
मुफ्त का खाना, इलाज,शिक्षा,घर,गैस तथा अन्य सुविधाओं को हजम कर भी नितप्रति कर्मठ जन कल्याण में रत सरकार को निरंतर गालियाँ ही देते रहते हैं।


सच्चाई से देखा जाये तो पायेंगे कि कोंग्रेस ने अल्पसंख्यकों को विशेष सुविधाओं से सम्पन्न करके भी लम्बे अंतराल में इन्हें इन्सान बनाने के बजाय आतंकी, चोर, लुटेरा और गुंडागर्दी करने वाला मानसिक रूप से विछिप्त पागल जानवर ही बनाया है। कोंग्रेस की गलत नीतियों के कारण देश के अन्दर पल रहे भारत तथा हिन्दुओं के दुश्मन, छद्म नीति द्वारा हिन्दुओं की हत्याएं करते रहे हैं। कोंग्रेस द्वारा हिन्दुओं के साथ धोखाधड़ी तथा दोहरेपन की नीतियों के कारण देश में जनसांख्यिकी परिवर्तन आया है जिसके कारण हिन्दू कई जगहों से पलायन करने को मजबूर हैं। सच्चाई को प्रकट करने या बोलने पर'अभिव्यक्ति की आजादी' का जुमला घास चरने चली जाती है। देश को खोखला करने के साथ ही कोंग्रेस एवं उसके सहयोगी गुण्डे, हिन्दुओं के विरोध में खड़े हो जाते हैं। यही झुठे सेक्यूलर लोग घुसपैठिये, रोहिंग्या, बांग्लादेशी, पाकिस्तानी, अफगानिस्तानी और अन्य देशों से आने वाले मुस्लिमों को बसाने की कवायद में कभी चोरी-छुपे तो कभी खुलेआम कार्यरत भी रहते हैं। 'सी.ए.ए.', 'एन.आर.सी','एन.पी.आर' के प्रति विरोधी गतिविधियों द्वारा मूल-कुटिल मकसदों का पर्दाफाश हो रहा हैं जिसका दर्द जहर उगलने वाले सत्ताविहीन नेताओं के भाषण में उबलता है।तीन तलाक, बहुविवाह या लड़कियों की शादी की उम्र का इक्कीस किया जाने का विरोध, इनकी क्रूर अपराधी मानसिक विच्छिप्तता की बीमारी को दर्शाता है।


आपराधिक गतिविधियों में लिप्त कट्टरपंथी मज़हबियों के वक्त्व तथा सामुहिक आक्रामक व्यवहार यह भी प्रमाणित करता है कि ये किसी भी गैरइस्लामी देश तथा गैरइस्लामी समूहों के लिए खतरनाक महामारी या बीमारियों की तरह हैं। जिहादियों को पालने वाले समूह एवं उसे आक्सीजन देने वाले नेता भी मझहब विशेष में निहित बुराइयों को दूर करने में असमर्थ हैं। इस्लामिस्टों की कट्टर वादिता का पोषण कर इस्लाम एवं इस्लामिस्टों को पूरी दुनियाँ के समक्ष घृणा का पात्र बनाया जा रहा है। इनके क्रूर कर्मों को इस्लामोफोबिया के आवरण से ढँकने की कोशिश भी की जा रही है। स्वयं की जाहिलता, बर्बरता, क्रूरता, बलात्कारी एवं ध्वंसात्मक वृत्तियों को न त्याग कर पाने वाले मज़हबियों को आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है। अगर ये झूठ का आडम्बर उतार कर स्वयँ को देखेंगे तो पायेंगे कि बुराइयों की जड़ इनका पिशाची किताब (https://articles.thecounterviews.com/articles/demonic-book-quran/, कट्टर जिहादी प्रवृत्ति तथा समय के अनुसार स्वयँ को न बदलने की जिद है। मानसिक बीमारियों से ग्रसित जिहादियों को कबीर की पंक्तियों को पढ़ने और समझने की पुरजोर आवश्यकता है।


" बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोई,
जो जग देखा आपना, मुझसे बुरा न कोय।"
या
बुरा ये ढूँढें जगत में,बुरा मिले न कोई।
मझहब देखो आपना,इससे बुरा न कोई।

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