Political poetry

विश्व कविता दिवस और कविताओं के बदलते स्वरुप: "हम गरीब"

२०२४ के विश्व कविता दिवस पर संसार भर में बदल रहे कविताओं के स्वरुप को उजागर कर रही हूँ I वैसे तो कवि अपने भावनाओं में स्वतंत्र होते हैं लेकिन उनका भी एक दायरा हुआ करता था I कवितायेँ ज्यादातर साहित्यिक हुआ करती थी जिसमें जीवन के नवों रस आवश्यकतानुसार समाहित होते थे I आधुनिक समाज के परिवेश में जब राजनैतिक भ्रष्टाचारी अपनीं अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहत में लगे हैं, राजनैतिक कविताओं का भीएक अलग स्थान बनता जा रहा है I इस २०२४ विश्व कविता दिवस पर एक ऐसा ही राजनैतिक कविता लिख रही हूँ जिसका सम्बन्ध भारतीय गरीबोंऔर राजनीति में चल रहे भ्रष्टाचारियों से है I 

हम गरीब

दाँव-पेंच, कितने होते हैं,
हम गरीब चुप ही रहते हैं।
सफेदपोश डाकू कितने हैं?
हम गरीब! लुटते रहते हैं।

अड़तालिस का जीप घोटाला,
इक्यावन में सायकिल आया,
'ए.एस.वेंकट रमन',सेक्रेटरी,
जेल की यात्रा कर के आया।

अनठावन में एल.आई.सी.का,
लगभग सवा करोड़ था पैसा,
हरिदास मुन्ध्रआ ने खाया,
जेल गया, पैसा न आया।

'कृष्णामचारी' दे इस्तीफा,
अपनी इज्जत बचा रहे थे,
जनता के पैसे डूबे थे,
नहीं वसूली कर पाये थे।

सिक्सटी में थी,शिपिंग कंपनी,
कर्ज लिया बाइस करोड़ के,
भेज दिया था! देश के बाहर,
पकड़े गए, 'धर्मतेजा' थे।

फिर आया मारुति घोटाला,
संजय गाँधी के चक्कर में,
लाइसेंस देने की गड़बड़ में,
नाम 'इन्दिरा' का भी आया।

साल छिहत्तर, फर्जी सौदा,
'हांग-कांग'की तेल कंपनी,
'कुओ'का झटका तेरह का,
पौ-बारह, संजय-इंद्रा का।

इक्कासी का 'ट्रस्ट-अंतुले',
लोक-कल्याण,नाम ले-ले के,
लिया सीमेंट,आम जनता के,
प्राइवेट बिल्डर को दे-दे के।

सत्तासी में सबमरीन का,
था दलाल एच्.डी.डब्ल्यू.भी,
नहीं सजा ही मिली किसी को,
नहीं वसूली ही! हो पाई ।

उसी साल बोफोर्स का सौदा,
गड़बड़ था,चौंसठ करोड़ का,
राजीव गाँधी के साथी नेता,
नहीं वसूली, नहीं दण्ड था ?

ब्यानबे में 'हर्षद मेहता',
पाँच-हजार करोड़ है घाटा,
गए जेल, साथी के संग थे,
भरपाई में, टैक्स ने लूटा।

एक्सपोर्टर औ कारपोरेटर,
ले करोड़ तेरह हज़ार के,
नहीं उधारी कभी चुकाए!
चेयरमैन ने क्या-क्या पाये?

छियानबे का 'चारा-घोटाला',
'तहलका'औ डिफेंस-डील भी,
स्टॉक-मार्किट,'केतन-पारिख',
पंद्रह हजार करोड़ का फटका।

'रामालिंगा'-'सत्यम-घोटाला',
आठ-हजार करोड़ का झटका,
खातों में कर हेरा-फेरी,
दो हजार आठ में अटका।

मधुकोड़ा की है!प्रॉपर्टी,(2009)
मनी-लॉन्ड्रिंग का भी दोषी,
नहीं वसूली कुछ हो पायी,
चार-हजार करोड़ की राशि।

एयरबस का, गड़बड़ झाला,
एक-सौ-बीस करोड़ है बोला,
नहीं सजा ही हुई किसी को,
नहीं वसूली का ही झमेला!

छियानबे में था! दूर-संचार,
बारह-सौ करोड़ का विचार!
'सुखराम जी' के ऊपर छापे,
नहीं वसूली कुछ कर पाये।

उसी साल, यूरिया-आयात,
कभी नहीं आया वो हाथ,
है एक-सौ-तैंतीस करोड़!
जाने कहाँ गए,किस ओर?

"चैन-रूप-भंसाली" के थे,
बने निवेशक लाखों लोग,
एक हज़ार औ तीस करोड़,
उन सबके हैं, लिए निचोड़।

'आदर्श-हाउसिंग','बेले-केरी-पोर्ट',
'अगस्ता-वेस्ट-लैंड',कर्ज घोटाला।
'तीन-सौ-साठ करोड़' की रिश्वत,
ये है! दो हजार चौदह की बरकत।

ताबूत घोटाला, कारगिल-युद्ध,
सांसद थे,'ये' या कोई गिद्ध ?
बीस हजार करोड़ का चूना,
'तेलगी' को था,जेल में जाना।

चालीस करोड़ टैक्स की चोरी,
'हसन-अली''सुरेश कलमाड़ी'।
कॉमन-वेल्थ-गेम्स, टू-जी भी,
सत्तर हजार करोड़ है!'वो'जी!

नौ हज़ार करोड़ में,कितने जीरो,
"विजय माल्या"बहुत बड़े हीरो!
'नीरव मोदी'औ 'मेहुल चौकसी'
पी.एन.बैंक की ये कैसी बेबसी?

रोटोमैक की है कलम कम्पनी,
मनी-लॉन्ड्रिंग,'विक्रम कोठारी,
कितने-कितने हैं हुए घोटाले ?
हम जनता हैं! किनको पाले?

बंगाल में 'चिट-फंड' है,
'ईमा'का अपना उमंग है,
चँगुल में फँस बनते लोभी,
बुद्धु हैं, हम! या हैं रोगी?

नेशनल हेराल्ड,व्यापम भी है,
वाड्रा-जी का डी.एल.एफ.है।
राणा कपूर की तो!अब जय है,
येस बैंक में, येस-येस-येस है।

जहां कहीं कांग्रेस गठबंधन,
ए से जेड तक है ठगबन्धन,
कहीं वसूली,कहीं है चंदा,
कहीं प्रदर्शन, कहीं है दंगा।

भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण है,
अद्भुत नव प्रारूप में फैला,
उत्पत्ति है आई.आई.टी.का,
करता हाईटेक युक्त घोटाला।

हम गरीब तो जान न पाते,
सूखी रोटी खा, सो जाते।
जिनको चुनते हैं हम नेता,
वे हमको आँसू दे जाते।।डॉ सुमंगला झा।।

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